पहले छोटी पार्टियों पर निशाना और फिर बड़ी पर, जानिए कैसे चुनाव से पहले ही BJP ने विपक्षी गठबंधन इंडिया को कर दिया पस्त
Modi Strategy For 2024: इंडिया गठबंधन की बात जब चलने लगी तो ऐसा लगा कि बीजेपी के साथ जो पार्टियां नहीं है वो इसका हिस्सा बनेंगी, लेकिन कुछ दल ऐसे रहे जो इससे दूर ही रहे। जैसे- बीजद, टीडीपी, वाईएसआरसीपी, बीआरएस।
बीजेपी की चालों से इंडिया गठबंधन पस्त
Modi Strategy For 2024: लगभग 2 महीने पहले जिस तरह से इंडिया गठबंधन का गठन हुआ था, 25 से ज्यादा पार्टियां इसके अंदर थीं, लग रहा था कि 2024 के चुनाव में बीजेपी को टक्कर मिल सकती है, लेकिन इंडिया गठबंधन की सुगबुगाहट से लेकर गठन तक के बीच, पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने ऐसा खेल रचा कि चुनाव से पहले ही इंडिया गठबंधन की हवा निकलते दिख रही है। नेता से लेकर सहयोगी तक इंडिया गठबंधन से किनारा करने लगे हैं।
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पहले छोटी पार्टियों को अपने पाले में किया
कुछ महीने पहले जब विपक्षी एकता की बात चल रही थी, तब बीजेपी ने उन पार्टियों पर नजर गड़ा दिया, जो थे तो इनके साथ, लेकिन खुश नहीं थे। जैसे उत्तर प्रदेश की ओपी राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानि कि सुभासपा। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, 2022 में विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ लड़ी थी। लेकिन चुनाव के कुछ महीनों बाद ही स्थिति गड़बड़ाने लगी। आपी राजभर अखिलेश यादव से ऐसे नाराज हुए कि बीजेपी के पास चले गए। बिहार में जीतन राम मांझी की पार्टी हम। हम भी महागठबंधन के साथ थी। लेकिन नीतीश से संबंध बिगड़ा और जीतन राम मांझी बीजपी के साथ हो लिए। राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान भी अपनी पार्टी लेकर बीजेपी के पास चले गए। साउथ से एच.डी देवगौड़ा की जनता दल सेक्युलर भी कर्नाटक चुनाव के बाद बीजेपी के साथ हो गई। शिवसेना टूटने के बाद एकनाथ शिंदे का गुट पहले से ही बीजेपी के पास था।
बड़ी पार्टियां NDA के पाले में
इंडिया गठबंधन की बात जब चलने लगी तो ऐसा लगा कि बीजेपी के साथ जो पार्टियां नहीं है वो इसका हिस्सा बनेंगी, लेकिन कुछ दल ऐसे रहे जो इससे दूर ही रहे। जैसे- बीजद, टीडीपी, वाईएसआरसीपी, बीआरएस। इंडिया एलायंस की जब पहली और दूसरी मीटिंग हुई तब भी पार्टियों की संख्या इसमें ठीक-ठाक थी। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, खेल होते गया। पहले एनसीपी टूटी। अजीत पवार, अपने चाचा शरद पवार से अलग हुए और बीजेपी के साथ जा मिले। इसके बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार जो इस गठबंधन का संयोजक बनना चाह रहे थे, असफल होने पर फिर से पलटी मारे और बीजेपी के साथ चले गए। इसके कुछ दिनों बाद ही रालोद ने भी पलटी मारी और जयंत चौधरी सपा-कांग्रेस का साथ छोड़ एनडीए में चले गए।
चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन फेल?
इंडिया गठबंधन से इसके सहयोगी तो छिटके ही, एकता भी नहीं रही। पश्चिम बंगाल में टीएमसी अकेले लड़ने उतर गई है। केजरीवाल कैंडिडेट पर कैंडिडेट की घोषणा कर रहे हैं। सपा भी अपनी तरीख से उम्मीदवारों की घोषणा और सीटों का बंटवारा कर चुकी है। यही नहीं विपक्ष के कई बड़े नेता भी इंडिया गठबंधन से निकल गए और बीजेपी के साथ चले गए।
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