Gujarat Assembly Elections 2022: वोटिंग से पहले BJP का बड़ा दांव, बदले सारे समीकरण !
गुजरात में 1 और 5 दिसंबर को दो चरणों में मतदान होना है। यह चुनाव बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों के लिए अहम है। इस चुनाव के नतीजों को इतिहास बनाने वाला कहा जा रहा है। सवाल यह है कि गुजरात के लोगों के दिमाग में वो कौन से सवाल हैं जो अहम रहने वाले हैं।
बीजेपी का दावा है कि गुजरात चुनाव का रंग, मिजाज और रूख.. पीएम मोदी के दौरों के बाद से और भगवा हो गया है। गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद से.. देश का प्रधानमंत्री बनने तक के दौर में न तो गुजरात से नरेंद्र मोदी दूर हुए और न नरेंद्र मोदी के नाम से गुजरात अलग हुआ। मोदी का यही कनेक्ट गुजरात के सिर पर मैजिक बनकर बोल रहा है.. इस मैजिक के बीच मोदी अपनी रैलियों में एक खास शब्द कई बार इस्तेमाल कर रहैं.. क्या है वो शब्द.. और क्यों मोदी कर रहे हैं उस शब्द का प्रयोग।
गुजरात चुनाव में आतंकवाद बड़ा मुद्दा
गुजरात में सत्ता परिवर्तन के लिए अरविंद केजरीवाल भी रण में उतर आए हैं। ओवैसी भी महजबी कार्ड आजमा रहे हैं और कांग्रेस सत्ता में वापस आने का जोर लगा रही है।लेकिन इन सबके बीच क्या आतंकवाद।गुजरात का चुनावी मुद्दा बनेगा। क्या युवा आतंकवाद से सुरक्षा के नाम पर वोट डालेगा।ये हमने सीधे गुजरात की जनता से जाना।प्रधानमंत्री आतंकी घटनाएं और कांग्रेस की नाकामी याद दिला रहे हैं। तो गृहमंत्री अमित शाह 2001 की हिंसा की बात कर रहे हैं।.जब मोदी गुजरात के सीएम थे। तब भी गुजरात में वोट उनके नाम पर पड़ते थे। आज वो प्रधानमंत्री हैं। लेकिन आज भी गुजरात में वोट उनके नाम मांगे जा रहे हैं। गुजरात में भी मोदी मोदी की आवाज़ गूंज रही है।
गुजरात में नारा, आ रहे हैं नरेंद्र मोदी
गुजरात में एक जबरदस्त लाइन चल रही है।गांव गांव में कहा जा रहा है। नरेंद्र आ रहे हैं। नरेंद्र आ गए हैं। गुजरात में मोदी के नाम के आगे प्रधानमंत्री नहीं जोड़ा जा रहा है।बल्कि ये बताया जा रहा है। मोदी कहीं भी रहे।वो गुजरात को कभी नहीं छोड़ेंगे।ये 100 फीसदी सच है। मोदी को नाम गुजरात से मिला। गुजरात मॉडल ने उनके लिए दिल्ली के रास्ते खोले।सेंटर फ़ॉर द स्टडी ऑफ़ डेवेलपिंग सोसायटीज़ की रिपोर्ट के मुताबिक2009 में नरेंद्र मोदी देश में 2 फीसदी और गुजरात में 17 फीसद लोकप्रिय थे। 2014 में मोदी प्रधानमंत्री बने लोकप्रियता में इजाफा हुआ।देश में 35 फीसद लोकप्रियता हुई और गुजरात में 49 फीसद, 2019 में देश में 47 और गुजरात में 68 फीसद लोकप्रियता पहुंची। गुजरात का चुनाव सिर्फ एक चुनाव नहीं है।ये प्रधानमंत्री मोदी के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है। क्योंकि 2022 का नतीजा 2024 की तकदीर तय करेगा।
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