CUET UG: सीयूईटी-यूजी में अंकों के सामान्यीकरण समाप्त करने की योजना, जानें पूरा मामला
CUET UG News in Hindi: कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट-अंडरग्रेजुएट (सीयूईटी)-यूजी में ‘अंकों के सामान्यीकरण’ को इस वर्ष से समाप्त किया जा सकता है और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) इस अहम परीक्षा में बदलाव करने की योजना बना रही है।
सीयूईटी-यूजी में अंकों के सामान्यीकरण समाप्त करने की योजना
दरअसल प्रत्येक सत्र में उम्मीदवारों को प्रश्न पत्र के अलग-अलग सेट दिए जाते हैं। हालांकि एनटीए प्रश्न पत्रों को समान स्तर का बनाने का पूरा प्रयास करता है, लेकिन ऐसा भी होता है कि किसी पाली में उम्मीदवारों को परीक्षापत्र में कुछ कम कठिन प्रश्न मिलें, वहीं किसी पाली में उम्मीदवारों को कुछ कठिन प्रश्नों का सामना करना पड़े।
एनटीए क्यों अपनाता है 'यूजीसी नेट सामान्यीकरण'
इसके कारण यह भी संभव है कि ऐसे उम्मीदवार अन्य उम्मीदवारों की तुलना में अपेक्षाकृत कम अंक प्राप्त करें। इस समस्या को दूर करने और परीक्षा में निष्पक्षता लाने के लिए, एनटीए प्रतिशत स्कोर के आधार पर अंकों के ‘यूजीसी नेट सामान्यीकरण’ को अपनाता है।
अभी तक यह परीक्षा कम से कम एक माह तक जारी रहती थी अब इसके कम अवधि में संपन्न कराए जाने की भी संभावना है। एजेंसी ओएमआर शीट और कंप्यूटर आधारित परीक्षा कराने की योजना तैयार कर रही है। इस कदम से यह भी सुनिश्चित होगा कि अधिकतर छात्रों को अपनी पसंद के शहर में परीक्षा देने का मौका मिले।
क्या कहा यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘बड़ी संख्या में पंजीकरण कराए जाने पर एनटीए ओएमआर मोड में परीक्षाएं आयोजित करने की संभावना पर विचार कर रहा है। इससे हमें परीक्षा केन्द्र बनाने के लिए बड़ी संख्या में स्कूलों का चुनाव करने में मदद मिलेगी। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि छात्रों को अपने शहरों अथवा कस्बों में ही परीक्षा केन्द्र मिल जाएं और उन्हें दूर नहीं जाना पड़े।’’
कुमार ने कहा, ‘‘जिन विषयों के लिए अधिक आवेदन प्राप्त होंगे, उनके लिए परीक्षा पेन-पेपर मोड में आयोजित करने जबकि कम संख्या में आवेदन प्राप्त होने पर केवल कंप्यूटर आधारित परीक्षा कराने की पद्धति से यह सुनिश्चित होगा कि पिछले दो वर्ष की ही तरह सीयूईटी-यूजी परीक्षा कम अवधि में आयोजित की जा सकेंगी।
खत्म हो सकती है 'अंकों का सामान्यीकरण'
हाइब्रिड मोड सभी के लिए समान अवसरों को बढ़ावा देता है और यह सुनिश्चित करता है कि भौगोलिक बाधाएं ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में छात्रों की शैक्षिक आकांक्षाओं में बाधा न बनें।’’ उन्होंने कहा कि एक ही दिन में एक विषय की परीक्षा आयोजित करने से ‘अंकों के सामान्यीकरण’ की आवश्यकता खत्म हो जाएगी।
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