मौलवी के घर पर 'कायदा' पढ़ने जाती थी मासूम, हैवान ने बना डाला हवस का शिकार; अब जेल में कटेगी जिंदगी!
न्यायमूर्ति पूनम ए. बम्बा ने दोषी व्यक्ति की अपील खारिज करते हुए कहा कि इस तरह, मैं निचली अदालत के फैसले में इस निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई त्रुटि नहीं पाती हूं कि अपीलार्थी पॉक्सो अधिनियम की धारा 9 (एम) के संदर्भ में यौन उत्पीड़न करने का दोषी है, जो पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम की धारा 10 के तहत दंडनीय है।
मौलवी ने किया छह साल की मासूम से रेप
दिल्ली उच्च न्यायालय ने छह साल की एक बच्ची का यौन उत्पीड़न करने के मामले में एक मुस्लिम धर्मगुरु को सुनाई गई छह साल कैद की सजा को बरकरार रखा।साथ ही अदालत ने कहा कि दूसरों को कुरान की शिक्षाएं देने वाले मौलवी पर बहुत भरोसा किया जाता है और उसे सम्मान की नजरों से देखा जाता है लेकिन इस मामले में दोषी ने एक मासूम बच्ची के भरोसे को आघात पहुंचाया।
कोर्ट ने लगाई फटकार
उच्च न्यायालय ने उसकी दोषसिद्धि निरस्त करने या सजा की अवधि घटाने से इनकार कर दिया। साथ ही, इस बात पर जोर दिया कि वह (मौलवी) किसी क्षमा का हकदार नहीं है क्योंकि दोषी अत्यधिक विश्वास करने वाले एक पद पर था, लेकिन उसने एक मासूम बच्ची का यौन उत्पीड़न कर इसका (विश्वास का) हनन किया।
अदालत ने कहा कि यह साबित हो चुका है कि अपीलार्थी/आरोपी (मौलवी) ने बच्ची का यौन उत्पीड़न किया, जो घटना के समय छह साल साल की थी।
क्या कहा जज ने
न्यायमूर्ति पूनम ए. बम्बा ने दोषी व्यक्ति की अपील खारिज करते हुए कहा- "इस तरह, मैं निचली अदालत के फैसले में इस निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई त्रुटि नहीं पाती हूं कि अपीलार्थी पॉक्सो अधिनियम की धारा 9 (एम) के संदर्भ में यौन उत्पीड़न करने का दोषी है, जो पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम की धारा 10 के तहत दंडनीय है और अपीलार्थी को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 10 के तहत दोषी करार दिया गया है।"
क्षमा का हकदार नहीं
उच्च न्यायालय ने कहा- "मौलवी/हाफिज पर काफी विश्वास किया जाता है, जो दूसरों को कुरान की शिक्षा देता है और उसे (मौलवी को) सम्मान की नजरों से देखा जाता है। इस तरह अपीलार्थी अत्याधिक विश्वास वाले एक पद पर था, जिसका (विश्वास का) उसने छह साल की एक मासूम बच्ची का यौन उत्पीड़न कर हनन किया। इसलिए, अपीलार्थी इस सिलसिले में किसी क्षमा का हकदार नहीं है।"
कब की है घटना
उल्लेखनीय है कि दोषी ने निचली अदालत के जनवरी 2021 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसे छह साल जेल की सजा सुनाई गई थी। यह घटना दिल्ली के बुराड़ी इलाके में सितंबर 2016 में हुई थी। पीड़िता, मौलवी के घर ‘कायदा’ पढ़ने के लिए जाती थी।
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