शादी, नौकरी या प्रमोशन...ऐसे झांसे और झूठी पहचान की आड़ में औरतों से 'संबंध' पहली बार माना जाएगा अपराध

Crime News in Hindi: दरअसल, शुक्रवार (11 अगस्त, 2023) को एक विधेयक पेश किया गया, जिसमें इन अपराधों से निपटने के लिए पहली बार एक विशिष्ट प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है।

Crime News in Hindi: भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक के तहत अपनी पहचान छिपाकर किसी युवती से विवाह करना प्रस्तावित कानून के तहत अपराध होगा। साथ ही महिला से शादी करने, नौकरी या फिर प्रमोशन का झांसा देकर यौन संबंध बनाने पर भी 10 साल तक की कैद हो सकती है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1860 की भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को बदलने के लिए संसद के निचले सदन लोकसभा में शुक्रवार (11 अगस्त, 2023) को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक पेश किया। उन्होंने बताया कि इसमें महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े प्रावधानों पर खास ध्यान दिया गया है।

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बकौल शाह, ‘‘इस बिल में औरतों के खिलाफ अपराध और उनके सामने आने वाली कई सामाजिक समस्याओं का समाधान किया गया है। शादी, रोजगार, पदोन्नति का वादा और झूठी पहचान की आड़ में महिलाओं के साथ संबंध बनाना पहली बार अपराध की श्रेणी में आएगा।’’ गृह मंत्री के मुताबिक, ‘‘सामूहिक बलात्कार के सभी मामलों में 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा होगी। 18 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के मामले में मृत्युदंड की सजा निर्धारित की गई है।’’

शादी का झांसा देकर बलात्कार का दावा करने वाली महिलाओं के मामलों से कोर्ट्स निपटते हैं, पर आईपीसी में इसके लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है। इस बिल की अब एक स्थाई समिति की ओर से जांच की जाएगी। बिल में कहा गया, ‘‘जो कोई भी, धोखे से या बिना विवाह के इरादे से किसी महिला से शादी करने का वादा करता है और उसके साथ यौन संबंध बनाता है, तो यह यौन संबंध बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, लेकिन अब इसके लिए 10 साल तक की कैद की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।’’

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इस बाबत फौजदारी मामलों की सीनियर वकील शिल्पी जैन ने कहा कि यह प्रावधान लंबे समय से पेडिंग था। ऐसे प्रावधान की अनुपस्थिति के कारण, मामलों को अपराध नहीं माना जाता था और दोनों पक्षों की तरफ से कई व्याख्या के विकल्प खुले थे। वैसे, कुछ लोगों का मानना है कि ‘‘पहचान छिपाकर शादी करने’’ के विशिष्ट प्रावधान को झूठे नामों के तहत अंतरधार्मिक विवाह के मामलों में लक्षित किया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि यहां मुख्य बात यह है कि झूठे के सहारे ली गई पीड़िता की सहमति को स्वैच्छिक नहीं कहा जा सकता। हमारे देश में पुरुषों की ओर से महिलाओं का शोषण किया जा रहा है, जो उनसे शादी का वादा कर यौन संबंध बनाते हैं और अगर वादा करते समय पुरुषों का शादी करने का कोई इरादा नहीं था, तो यह एक अपराध है। हालांकि, जैन का मानना है कि इस प्रावधान में शादी के झूठे वादे को रोजगार या पदोन्नति के वादे के साथ जोड़ना आगे बढ़ने का सही तरीका नहीं हो सकता है।

प्रस्तावित विधेयक में ताक-झांक के अपराध के लिए भी तीन से सात साल की सजा का प्रावधान किया गया है। विधेयक में इसके साथ ही कहा गया कि हत्या के अपराध के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी। अगर किसी महिला की बलात्कार के बाद मौत हो जाती है या इसके कारण महिला मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाती है, तो दोषी को कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।

बिल की मानें तो 12 साल से कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म के दोषी को कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे व्यक्ति के शेष जीवन तक कारावास की सजा तक बढ़ाया जा सकता है।

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अभिषेक गुप्ता author

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