किस अपराध के लिए अब कितनी सजा? IPC-CRPC में होंगे ये सारे बदलाव; आसान शब्दों में समझिए सबकुछ
Changes In Criminal Laws: अपराध से जुड़े कानूनों में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इसके लिए पूरा खाका तैयार किया जा चुका है। शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह ने इससे जुड़ी कई अहम जानकारी साझा की। केंद्रीय उन्होंने बताया कि अब आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले विधेयकों से क्या कुछ बदलाव होगा।
अमित शाह ने बताया नए विधेयकों से क्या-क्या बदलेगा।
Explainer: लोकसभा ने शुक्रवार को तीन विधेयकों को संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा है, जिनका उद्देश्य भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) को प्रतिस्थापित करके आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है। मॉनसून सत्र के आखिरी दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य विधेयक और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में सुधार के लिए तीन विधेयक भारतीय न्याय संहिता (2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (2023) और भारतीय साक्ष्य विधेयक (2023) पेश किए हैं।
अमित शाह ने बताया नए विधेयकों से क्या-क्या बदलेगा
अमित शाह ने कहा कि नए कानून बनने से 533 धाराएं खत्म होंगी। 133 नई धारा शामिल की गई हैं, जबकि 9 धारा को बदल दिया गया है। बता दें इन तीन विधेयकों को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों, कानून विश्वविद्यालयों, मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों आदि सहित कई अन्य के साथ व्यापक चर्चा के बाद तैयार किया गया है। ये विधेयक कई समिति की सिफारिशों के बाद तैयार किया गया है। आपको तफसील से समझाते हैं कि इस नए बिल से क्या-क्या बदलाव होंगे।
भारतीय न्याय संहिता (2023)
ये विधेयक के जरिए भारतीय न्याय संहिता आईपीसी के 22 प्रावधानों को निरस्त करने का प्रस्ताव करती है, 175 मौजूदा प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव करती है और 8 नई धाराएं पेश करती है। इसमें कुल 356 प्रावधान हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (2023)
ये विधेयक भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता सीआरपीसी के 9 प्रावधानों को निरस्त करती है, उनके 160 प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव करती है और 9 नए प्रावधान पेश करती है। विधेयक में कुल 533 धाराएं हैं।
भारतीय साक्ष्य विधेयक (2023)
ये विधेयक भारतीय साक्षी विधेयक साक्ष्य अधिनियम के 5 मौजूदा प्रावधानों को निरस्त करती है, 23 प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव करती है और एक नया प्रावधान पेश करती है। इसमें कुल 170 अनुभाग हैं।
अपने भाषण के दौरान शाह ने कहा कि यह विधेयक राजद्रोह के अपराध को पूरी तरह से निरस्त करता है। हालांकि विधेयक में 'राज्य के विरुद्ध अपराध' का प्रावधान है। विधेयक की धारा 150 'भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों' से संबंधित है। उन्होंने ये भी बताया कि नए कानूनों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध और अन्य संगीन मामलों के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। अमित शाह ने बताया कि सामूहिक बलात्कार के सभी मामलों में 20 साल या उम्रकैद की सजा का प्रवाधान किया गया है। वहीं 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ इस तरह के अपराध को अंजाम देने पर मृत्युदंड का प्रावधान भी किया गया है। आपको आईपीसी के कुछ नए प्रवाधानों से रूबरू करवाते हैं।
आईपीसी के तहत कुछ नए प्रावधान
धारा 109
संगठित अपराध
धारा 110
छोटे संगठित अपराध या सामान्य रूप से संगठित अपराध
धारा 111
आतंकवादी कृत्य का अपराध
धारा 150
भारत की संप्रभुता एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्य
धारा 302
छीनना
गृह मंत्री अमित शाह ने बताया है कि इन विधेयकों के तहत किस अपराध के लिए किस सजा का प्रावधान किया गया है। आपको सजा से जुड़ी कुछ मुख्य विशेषताएं बताते हैं।
- मॉब लिंचिंग के लिए अलग प्रावधान- 7 साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा
- भगोड़ों की एक पक्षीय सुनवाई और सजा
- 'जीरो एफआईआर' के लिए औपचारिक प्रावधान- इससे नागरिक किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा सकेंगे, चाहे उनका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो इसका मतलब है कि अब दिल्ली से जुड़ा एफआईआर मुंबई में भी दर्ज किया जा सकता है।
- जीरो एफआईआर को रजिस्टर करने के 15 दिनों के भीतर कथित अपराध के क्षेत्राधिकार वाले संबंधित पुलिस स्टेशन को भेजा जाना चाहिए।
- एफआईआर दर्ज कराने के 120 दिनों के भीतर जवाब देने में प्राधिकरण की विफलता के मामले में आपराधिक अपराधों के आरोपी सिविल सेवकों, पुलिस अधिकारी पर मुकदमा चलाने के लिए 'मानित मंजूरी' होगी।
- एफआईआर दर्ज करने से लेकर केस डायरी के रखरखाव से लेकर आरोप पत्र दाखिल करने और फैसला सुनाने तक की पूरी प्रक्रिया का डिजिटलीकरण किया जाएगा। जिरह, अपील सहित पूरी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाएगी।
यौन अपराधों से जुड़ी खास बात
यौन अपराधों के पीड़ितों के बयान दर्ज करते समय वीडियोग्राफी अनिवार्य होगा। सभी प्रकार के सामूहिक बलात्कार के लिए 20 साल या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान होगा। नाबालिग से बलात्कार की सजा में मौत की सजा शामिल होगी। एफआईआर के 90 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से चार्जशीट दाखिल की जाएगी। न्यायालय ऐसे समय को 90 दिनों के लिए और बढ़ा सकता है, जिससे जांच को समाप्त करने की कुल अधिकतम अवधि 180 दिन हो जाएगी।
आरोप पत्र मिलने के 60 दिनों के भीतर अदालतों को आरोप तय करने का काम पूरा करना होगा। सुनवाई के खत्म होने के बाद 30 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से फैसला सुनाया जाएगा। फैसला सुनाए जाने के 7 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा।
फोरेंसिक टीमों के लिए अनिवार्य निर्देश
तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। 7 साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक टीमों को अनिवार्य रूप से अपराध स्थलों का दौरा करना होगा। जिला स्तर पर मोबाइल एफएसएल की तैनाती की जाएगी। 7 साल या उससे अधिक की सजा वाला कोई भी मामला पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना वापस नहीं लिया जाएगा। समरी ट्रायल का दायरा 3 साल तक की सजा वाले अपराधों तक बढ़ाया गया (सत्र अदालतों में 40% मामले कम हो जाएंगे)।
संगठित अपराधों के लिए अलग, कठोर सज़ा का प्रावधान होगा। शादी, नौकरी आदि के झूठे बहाने के तहत महिला के बलात्कार को दंडित करने वाले अलग प्रावधान होंगे। चेन/मोबाइल 'स्नैचिंग' और इसी तरह की शरारती गतिविधियों के लिए अलग प्रावधान होंगे। बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए सजा को 7 साल की कैद से बढ़ाकर 10 साल तक की जेल की अवधि की जाएगी। मृत्युदंड की सजा को अधिकतम आजीवन कारावास में बदला जा सकता है।
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