Pathshala on Patna Footpath: पटना में झुग्गी-झोपड़ी के बच्चे को शिक्षित कर रहा एक युवा, फुटपाथ पर लगती है 'अनोखी पाठशाला'
Studying on Patna Pavement : पटना में फुटपाथ किनारे एक पाठशाला चलती है। यहां झुग्गी-झोपड़ी के छोटे-छोटे बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जा रही है। एक नौजवान ने इन बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। अब उनके साथ कुछ युवा भी जुड़ गए हैं। इसके अलावा स्थानीय लोग भी अपने स्तर से कुछ सहयोग कर देते हैं।
पटना में झुग्गी-झोपड़ी के बच्चे को शिक्षित कर रहा एक युवा
- फुटपाथ पर पढ़ने वाले इन बच्चों के गुरु हैं अमन भैया
- अमन सभी को शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से Flash light initiative नाम से मुहिम चला रहे
- शहर के बोरिंग रोड में नौकरी करते हैं अमन
Patna News : वर्तमान में शिक्षा काफी महंगी हो गई। शहरों में निजी स्कूलों की भरमार है तो सरकारी स्कूल बदहाल हैं। ऐसे में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चे स्कूल से दूर ही रह जाते हैं। इन बच्चों को पटना में फुटपाथ पर ही एक नौजवान द्वारा शिक्षित बनाया जा रहा है। शहर के अटल पथ पर हर शाम फुटपाथ पर पाठशाला लगती है। बच्चों के गुरु हैं- अमन भैया। यह बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं।\
अमन का कहना है कि सभी बच्चों को शिक्षित होना चाहिए। यह उनका अधिकार है। आर्थिक तंगी के कारण कोई भी बच्चा अशिक्षित नहीं होना चाहिए। इसी उद्देश्य से उन्होंने Flash light initiative नाम से एक अभियान शुरू किया है। इसके तहत वह झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं।
बैलून बेचने वाली बच्ची से की थी पढ़ाने की शुरुआत
अमन शहर के कंकड़बाग इलाके के रहने वाले हैं। काफी समय से यह बोरिंग रोड में नौकरी कर रहे हैं। इन्होंने बताया कि 2019 में वह दोस्तों के साथ शाम में घूम रहे थे। तभी एक बैलून बेचते एक बच्ची दिखी। बच्ची में पढ़ने की चाहत थी। बच्ची का नाम रेशम था। अमन को उस बच्ची से लगाव हो गया। वह उसे हर दिन खाना खिलाने लगे। एक दिन उस बच्ची ने कहा कि उसे कुछ खाना या पीना नहीं, बल्कि पढ़ना है। उस दिन से वह उसे पढ़ाने लगे। 2019 के नवंबर से रेशम को पढ़ाना शुरू किया और आज वह हर शाम फुटपाथ पर 107 बच्चों को पढ़ाते हैं।
स्थानीय लोग लाकर दे देते हैं पाठ्य सामग्री
अमन का कहना है कि उनकी इस पहल में स्थानीय लोगों का भी सहयोग मिल रहा है। लोग बच्चों के लिए पाठ्य सामग्री लाकर दे देते हैं। अब पढ़ने वाले कुछ युवा भी उनके साथ जुड़ गए हैं, जो इन बच्चों को हर शाम आकर पढ़ाते हैं। यहां पढ़ने वाले बच्चों में किसी के पिता मजदूर तो किसी के पिता होटल में काम करते हैं, लेकिन इनके बच्चे अब आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और फौजी बनने का लक्ष्य बना चुके हैं। कुछ बच्चे-बच्चियां ऐसे भी हैं जिनका कहना है कि वह अमन की तरह बनना चाहते हैं और असहाय बच्चों को शिक्षित करना चाहते हैं।
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