जबलपुर में तंदूर रोटी के शौकीनों पर संकट, प्रदूषण का हवाला दे प्रशासन ने लगाई रोक

जबलपुर प्रशासन ने प्रदूषण का हवाला देकर तंदूर पर रोक लगाने का फैसला किया है। प्रशासन के इस फैसले के बाद होटल संचालकों में रोष है को तंदूर रोटी के शौकीनों को मायूसी हाथ लगी है।

मुख्य बातें
  • प्रशासन ने लगाई तंदूर के इस्तेमाल पर रोक
  • 50 से ज्यादा होटल संचालकों को नोटिस जारी किया
  • प्रदूषण बढ़ने का हवाला दिया

जबलपुर/ भोपाल: जबलपुर में स्वाद के शौकीनों के लिए तंदूर की रोटी का स्वाद कहीं गुजरे जमाने की बात न हो जाए। दरअसल प्रशासन के एक आदेश से होटल मालिकों के साथ-साथ रेस्टोरेंट संचालकों के भी होश उड़े हुए हैं। बढ़ते प्रदूषण का हवाला देकर प्रशासन ने होटल और रेस्टोरेंट में तंदूर पर रोक लगाने का निर्णय लिया है इसके अमल के लिए जिले के खाद्य सुरक्षा विभाग ने शहर के 50 होटलों के मालिकों को नोटिस जारी कर लकड़ी और कोयला आधारित तंदूर का उपयोग बंद कर इलेक्ट्रिक या एलपीजी का इस्तेमाल किए जाने के निर्देश दिए हैं। जबलपुर होटल एसोसिएशन ने इसे राज्य स्तर पर उठाने का फैसला किया है, होटल संचालकों का कहना है कि पूरे प्रदेश के होटल संचालक मिलकर इस पर चर्चा करेंगे।

स्वाद के शौकीनों को झटका

तंदूर से निकलने वाली इन गर्मागर्म रोटियों को देखकर भला किस के मुंह में पानी नहीं आएगा लेकिन अब स्वाद के शौकीनों को झटका लग सकता है। प्रशासन ने बढ़ते प्रदूषण का हवाला देते हुए होटल और रेस्टोरेंट में चलने वाले तंदूर की भट्टियों पर रोक लगाने का मन बनाया है, इसके तहत जिले के खाद्य सुरक्षा विभाग ने शहर के 50 होटलों को नोटिस जारी कर तंदूर का कम से कम उपयोग करने और उसके बदले एलपीजी आधारित गैस का प्रयोग किए जाने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन की मानें तो तंदूर में इस्तेमाल होने वाले कोयला और लकड़ी के धुएं से प्रदूषण तो फैलता ही है साथ ही तंदूर की रोटियों मे कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी ज्यादा होती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है लिहाजा तंदूर के बजाय अब इलेक्ट्रिक या एलपीजी आधारित गैस का उपयोग किया जाना जरूरी है। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक नियमों का पालन न करने वाले होटल और रेस्टोरेंट मालिकों पर 5 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।

प्रशासन के फैसले का विरोध

इधर प्रशासन के इस आदेश को होटल मालिक अव्यावहारिक मान रहे हैं उनकी माने तो इलेक्ट्रिक और गैस आधारित चूल्हों में तंदूर की रोटियों का वह स्वाद नहीं आएगा जो तंदूर की भट्टी से निकली रोटियों में आता है इसके अलावा एलपीजी और इलेक्ट्रिक ओवन के इस्तेमाल से उन्हें आर्थिक रूप से काफी नुकसान भी होगा। प्रशासन ने तंदूर पर रोक लगाने के आदेश के अमल के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ ही प्रदूषण नियंत्रण मंडल की टीमों को भी मुस्तैद कर दिया है संभवत मध्यप्रदेश का जबलपुर ऐसा पहला जिला है जहां तंदूर पर रोक लगाने के साथ ही एलपीजी और इलेक्ट्रिक आधारित गैस के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है फिलहाल प्रशासन सख्ती के मूड में नहीं है यही वजह है कि प्रशासन द्वारा जारी नोटिस में तंदूर का कम से कम उपयोग का उल्लेख किया गया है फिलहाल प्रशासन के इस आदेश से होटल और रेस्टोरेंट संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है।

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मकरंद काले author

सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।\nततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि\n\nसाल 2008 में by chance journalist बना। 2013 से by choice journalist ह...और देखें

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