Chandigarh: इन्होंने देश की पहली प्लान सिटी ‘चंडीगढ़’ को बनाया और बसाया, जानिए इनके बारे में रोचक बातें

Chandigarh: चंडीगढ़ को रचाने और बसाने का काम स्विट्जरलैंड में जन्मे फ्रांसीसी नागरिक ली कार्बूजिए ने किया। इन्होंने 1952-1959 के बीच भारत में अपने आठ साल के प्रवास के दौरान इस खूबसूरत शहर की रचना की। उन्होंने शहर और भवनों के डिजाइन ऐसे तैयार किया कि ये आज भी आधुनिक युग के लगते हैं। ली कार्बूजिए के कारण ही चंडीगढ़ देश का पहला प्लान और खूबसूरत शहर बन सका।

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-ली कार्बूजिए ने 1952-1959 के बीच की चंडीगढ़ की रचना

मुख्य बातें
  1. ली कार्बूजिए ने 1952-1959 के बीच की चंडीगढ़ की रचना
  2. इन्होंने चंडीगढ़ का मैप और भवनों का डिजाइन भी तैयार किया
  3. फ्रांस के भूमध्य सागर में 27 अगस्त 1965 को तैरते हुई मौत

Chandigarh: चंडीगढ़ को ‘सिटी ब्यूटीफुल’ का तमगा ऐसे ही नहीं मिल गया है। इस शहर की संरचना बनाने और बसाने में सालों तक कड़ी मेहनत की गई। जिसके बाद यह शहर देश का पहला प्लान और खूबसूरत शहर बनकर उभरा। इस शहर को बनाने और बसाने में सबसे बड़ा योगदार ‘ली कार्बूजिए’ की है। इन्होंने 8 साल तक कड़ी मेहनत कर इस शहर की रचना की। स्विट्जरलैंड में 6 अक्टूबर 1887 को जन्मे ली ली कार्बूजिए का बचपन का नाम चार्ल्स एदुआर् जिआन्नेरे-ग्रि था। इन्हें अपना नाम पसंद नहीं था, इसलिए खुद से नाम को बदल कर ली कार्बूजिए रख लिया। ली कार्बूजिए का जन्म स्विट्जर्लैंड में भले हुआ था, लेकिन ये 30 साल की उम्र में फ्रांस चले गए और वहां की नागरिकता ले ली। ली कार्बूजिए ने आखिरी सांस भी फ्रांस में ही ली।

1952-1959 के बीच की चंडीगढ़ की रचना ली कार्बूजिए 1952 में भारत आए और यहां पर 1959 तक रहे। इस दौरान उन्होंने चंडीगढ़ और इसके भवनों का डिजाइन तैयार किया। आज से करीब 65 से 70 साल पहले बने ये भवन आज भी आधुनिक युग के लगते हैं। ली ली कार्बूजिए की सोच और डिजाइन के कारण ही चंडीगढ़ आज अपनी खूबसूरती और हरियाली के लिए मशहूर है। चंडीगढ़ अन्य शहरों की तरह नहीं है। यह पूरी तरह से प्लांड और हरियाली से भरपूर शहर है। ली कार्बूजिए ने शहर का नक्शा व मैप तैयार करने के अलावा यहां के न्याय भवन, कला वीथी व संग्रहालय, चंडीगढ़ सचिवालय, राज भवन और विधान सभा भवन का डिजाइन भी तैयार किया था।

ली कार्बूजिए की अन्य रचनाएं व निर्माण 1905- विला फाले, ला शॉ-दे-फॉ, स्विट्जरलैंड

1923- विला ला रोश/विला जियानरे, पेरिस

1928- विला सेवॉय, पोइसी-सु-सीन, फ्रांस

1929- आरेमे दु सालू, सिते दे रेफुज, पेरिस

1949-1952- संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य (सलाहकार)

1951- विला साराभाई व विला शोदन, अहमदाबाद, भारत

1956- अहमदाबाद संग्रहालय, अहमदाबाद, भारत

1956- सद्दाम हुसैन व्यायामशाला, बगदाद, ईराक

1957- राष्ट्रीय पाश्चात्य कला संग्रहालय, टोक्यो

1967- हेइदी वेबर संग्रहालय, ज्यूरिख

तैरते हुए ली कार्बूजिए की मौत ली कार्बूजिए को डॉक्टरों ने पानी से दूर रहने की सलाह दी थी, लेकिन इसके बाद ये 27 अगस्त 1965 को फ्रांस में भूमध्य सागर में तैरने चले गए। उनका शव अन्य तैराकों को मिला। माना गया कि तैरते हुए 77 साल की आयु में इन्हें दिल का दौरा पड़ा और मौत हो गई। उनका अंतिम संस्कार फ्रांस के लूव्र महल में हुआ।

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