Agra Mubarak Manzil: आखिर क्या है आगरा की मुबारक मंजिल का सच, बल्केश्वर गोशाला या औरंगजेब का पुस्तकालय

Agra Mubarak Manzil: राज्य पुरातत्व विभाग ने ताजनगारी आगरा के जिन आधा दर्जन स्मारकों को संरक्षित घोषित करने का प्रस्ताव राज्य पुरातत्व परामर्शदात्री समिति की मीटिंग में रखा था, उनमें मुबारक मंजिल भी शामिल है। माना जाता है कि भवन का निर्माण औरंगजेब ने पुस्तकालय के लिए कराया था। मौजूदा समय में भवन को गोशाला के नाम से जाना जाता है।

mubarak ali

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तस्वीर साभार : Times Now Digital

Mubarak Manzil: यूपी के राज्य पुरातत्व विभाग ने बल्केश्वर स्थित गोशाला के जिस भवन को मुबारक मंजिल (औरंगजेब का पुस्तकालय) मानते हुए संरक्षित स्मारक घोषित करने की कोशिश शुरू की गई है, उसके इतिहास पर सवाल उठ रहे हैं। इतिहासकारों की राय इससे अलग है। इतिहासकारों का मानना है कि दाराशिकोह की हवेली मुबारक मंजिल थी। मुबारक मंजिल आगरा किला से लगी हुई थी। इतिहासकारों का कहना है कि राज्य पुरातत्व विभाग जिसे मुबारक मंजिल बता रहा है, वो तो आगरा किला से भी काफी दूर स्थित है।

आपको बता दें कि राज्य पुरातत्व विभाग ने ताजनगारी आगरा के जिन आधा दर्जन स्मारकों को संरक्षित घोषित करने का प्रस्ताव राज्य पुरातत्व परामर्शदात्री समिति की मीटिंग में रखा था, उनमें मुबारक मंजिल भी शामिल है। विभाग की ओर से तैयार बुकलेट के अनुसार, यमुना के दाएं किनारे पर 17वीं शताब्दी के निर्मित भवन में लाखौरी ईंटों और रेड सैंड स्टोन का उपयोग हुआ है। भवन के चारों तरफ मेहराबदार कई प्रवेश द्वार हैं, इन सभी की निर्माण कला मुगलकालीन है।

स्मारक संरक्षण के अभाव में धीरे-धीरे हो रहा नष्ट

कहा जाता है कि भवन का निर्माण औरंगजेब ने पुस्तकालय के लिए कराया था। मौजूदा समय में भवन को गोशाला के नाम से जाना जाता है। गौरतलब है कि स्थापत्य कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्मारक संरक्षण के अभाव में धीरे-धीरे नष्ट हो रहा है। आस्ट्रियन इतिहासकार ईबा कोच ने अपनी किताब 'द कंप्लीट ताजमहल एंड दि रिवरफ्रंट गार्डंस आफ आगरा' में औरंगजेब की दो हवेलियों और मुबारक मंजिल का जिक्र किया हुआ है। जयपुर म्यूजियम में प्रदर्शित आगरा के पुराने नक्शे के हवाले से यमुना के दाएं किनारे पर बनीं औरंगजेब की दो हवेलियों और मुबारक मंजिल का किताब में जिक्र किया है। ईबा कोच के अनुसार, औरंगजेब की दोनों हवेलियां, मुबारक मंजिल, आसफ खां और शाइस्ता खां की हवेलियों के बीच थीं।

औरंगजेब ने दिया था मुबारक मंजिल का नाम

इतिहासकार बताते हैं कि आगरा किला के पास दाराशिकोह की हवेली थी। सामूगढ़ युद्ध में दाराशिकोह को हराने के बाद औरंगजेब इस हवेली में रुका था। औरंगजेब ने इसे मुबारक मंजिल का नाम दिया था। किताब 'आगरा का प्राचीन इतिहास' में भी इस बात का जिक्र किया गया है। लेखक बाला दुबे ने 'मोहल्ले आगरा के' में दाराशिकोह की ओर से तीन हवेलियां बनवाने का जिक्र किया है, मुबारक मंजिल, कुतुबखाना और पतुरिया महल इसमें शामिल थे। औरंगजेब की हवेली मुबारक मंजिल के पास ही थी।हालांकि अधिकांश इतिहासकारों का इसे लेकर अलग-अलग मत है। आज इस ऐतिहासिक इमारत को संरक्षण की आवश्यकता है।

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