RBI MPC Meeting 2024: आरबीआई की मौद्रिक नीति, रेपो रेट 6.5% पर स्थिर, कम से कम 6 महीने बाद मिलेगी राहत

RBI MPC Meeting 2024(आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति 2024): आरबीआई ने एक बार फिर ईएमआई पर राहत नहीं दी है। और उसके रूख को देखते हुए अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अभी होम लोन से लेकर दूसरे लोन लेने वाले ग्राहकों को सस्ते कर्ज के लिए लंबा इंतजार करना होगा।

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आरबीआई मीटिंग

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति 2024(RBI MPC) :भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने के फैसले के साथ, सस्ते कर्ज का इंतजार बढ़ा दिया है। आरबीआई के रुख के बाद अर्थशास्त्रियों का मानना है कि निकट भविष्य में या कम से कम छह महीनों तक रेपो रेट में कटौती नहीं हो सकती है। उनका कहना है कि आरबीआई ने बाजार की उम्मीदों के विपरीत आक्रामक रुख जारी रखा है। ऐसे में अब कटौती की संभावना बेहद कम हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति 2024: क्या कहते हैं अर्थशास्त्री

एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रमुख अर्थशास्त्री सुमन चौधरीने कहा है कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आरबीआई एमपीसी ने लगातार छठी बार ब्याज दरों पर यथास्थिति बनाए रखने का फैसला किया। हालांकि, आरबीआई ने बाजार की उम्मीदों के विपरीत आक्रामक रुख जारी रखा है और समायोजन वापस लेने से मौद्रिक रुख में बदलाव के समय के बारे में कोई संकेत नहीं दिया है। चौधरी ने कहा कि हमारा मानना है कि अगले छह महीनों में आरबीआई द्वारा किसी भी दर में कटौती की संभावना काफी कम हो गई है।

मौद्रिक नीति समिति 2024: अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर आरबीआई की नजर

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, आरबीआई एमपीसी अमेरिकी फेडरल रिजर्व से पहले रेपो दर में कटौती नहीं करेगी। अरोड़ा ने कहा कि हम समझते हैं कि वैश्विक आख्यानों पर बहस को स्थानांतरित करने के लिए आरबीआई को भी लचीला होने की आवश्यकता है। पिछले दो वर्षों में आरबीआई के रुख और कार्रवाई में तेजी से बदलाव पूरी तरह से वैश्विक आख्यानों से प्रभावित है। हम नहीं देखते कि आरबीआई दरों में कटौती के मामले में फेड से आगे निकल जाएगा।

मौद्रिक नीति समिति 2024: महंगाई पर नजर

केयर रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि स्वस्थ आर्थिक विकास केंद्रीय बैंक को कुछ और समय के लिए यथास्थिति बनाए रखने की गुंजाइश देता है। सिन्हा ने कहा,“हालांकि, साल की दूसरी छमाही में, जैसे ही घरेलू मुद्रास्फीति की चिंताएं कम होंगी और यूएस फेड ने दरों में कटौती शुरू की है, हम आरबीआई द्वारा कटौती की उम्मीद कर सकते हैं। आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के मुख्य अर्थशास्त्री और कार्यकारी निदेशक सुजान हाजरा का भी मानना है कि दर में जल्द कटौती नहीं हो सकती है और आरबीआई प्रतीक्षा और निगरानी मोड पर रहेगा।

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