Rakha Bandhan Muhurat 2023: रक्षाबंधन में गलती से भी भद्राकाल में ना बांधे भाई को राखी, जानिए क्या होता है भद्राकाल
Rakha Bandhan 2023: रक्षाबंधन का त्योहार जल्द ही आने वाला है। ये त्योहार भाई- बहनों के लिए बेहद ही खास होता है। इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उनकी तरक्की के लिए ईश्वर से कामना करती हैं। भद्राकाल में क्यों नहीं बांधनी चाहिए राखी। भद्राकाल क्या होता है। इस साल राखी का शुभ मुहूर्त क्या है। किस दिन मनाई जाएगी राखी। आइए जानते हैं यहां सबकुछ।
भद्राकाल में क्यों नहीं बांधनी चाहिए राखी
Rakha Bandhan Muhurat 2023: हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार का खास महत्व है। ये त्योहार भाई- बहन के प्यार का प्रतीक है। इस दिन सभी बहने अपने भाई कलाई पर अपने प्यार का बंधन राखी के रूप में बांधती हैं,और भाई भी बहने को उपहार देकर अपना प्रेम प्रकट करते हैं। रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार इस साल रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल का साया है। इस साल लोगों को काफी दुविधा है कि राखी किस दिन मनाई जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल राखी का शुभ मुहूर्त क्या है।
क्या है शुभ मुहूर्तरक्षाबंधन भद्रा काल के बाद ही मान्य होता है। साथ ही इस साल सावन पूर्णिमा के दिन यानी 30 अगस्त 2023 के दिन में भद्रा का साया है। ऐसे में 30 अगस्त की रात 9 बजे के बाद या 31 अगस्त की सुबह 07:00 बजे तक भाई को राखी बांधी जा सकती है। 30 अगस्त की रात को 9 बजे के बाद भद्रा का साया समाप्त हो जाएगा। उसके बाद राखी का पर्व मनाया जा सकता है। ऐसे में आप 30 की रात 9 से लेकर 31 की सुबह के 7:05 बजे तक राखी बांध सकते हैं।
भद्राकाल में क्यों ना बांधे राखीपौराणिक कथाओं के अनुसार, भाद्रकाल के दौरान शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को राखी बांधी थी और इससे रावण की मृत्यु हो गई थी। रावण का सम्पूर्ण कुल नष्ट हो गया। इस कारण भद्राकाल में कभी भी भाई के कलाई पर राखी नहीं बांधना चाहिए। वहीं यह भी माना जाता है कि भगवान शिव भाद्र के दौरान ताड़व कर रहे होते हैं और भगवान शिव बहुत क्रोधित होते हैं। इस कारण इस काल शुभ नहीं माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस समय में शुभ काम करते समय शिव के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है। इन सब कारणों की वजह से भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए।
क्या है भद्राकालपुराणों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री और राजा शनि की बहन हैं। भद्रा अपने भाई शनि देव की तरह स्वभाव से सख्त मानी जाती हैं। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए, भगवान ब्रह्मा ने उन्हें विष्टि करण अधिकांश कलगणन या पंचांग में स्थान दिया। भद्रा की स्थिति में कुछ शुभ कार्य यात्रा, लेखन आदि करना अशुभ माना जाता है। भद्रा काल के दौरान तांत्रिक कार्यों, न्यायिक और राजनीतिक चुनावों के लिए यह समय शुभ माना गया है।
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