Times Now Summit 2022:अब समय आ गया है कि भारत ग्लोबल रैकिंग इंडेक्स शुरू करे, दूसरों के भरोसे क्यों रहें-एम.के.आनंद से बोले संजीव सान्याल
Times Now Summit 2022: भारत के बारे में वैश्विक स्तर पर जो राय बनाई गई हैं, उसमें अधिकांश अधूरी जानकारी पर आधारित हैं। इसके लिए बेतुके डाटा का इस्तेमाल, पक्षपातपूर्ण सोच रखने वाली ताकतों द्वारा किया जा रहा है। ऐसे में हमें नए रिएक्शन की जरूरत है। जिसमें हमें सर्टिफिकेट देने के लिए आगे आना चाहिए।
- यूरोपीय देशों द्वारा संचालित अधिकांश लोकतांत्रिक सूचकांक बिल्कुल बेतुके मापदंडों पर आधारित हैं।
- भारत को अपने संस्थानों और कदमों के जरिए 'धारणा-आधारित' आकलन को चुनौती देना शुरू कर देना चाहिए।
- संजीव सान्याल ने कहा कि भारत को शिकायत करना बंद कर देना चाहिए और नैरेटिव की कमांड खुद लेनी चाहिए।
Times Now Summit 2022: ऐसे समय में जब भारतीय अर्थव्यवस्था ग्लोबल मार्केट में एक प्रमुख नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरने के लिए तैयार दिख रही है, क्या एशिया के पॉवर हाउस को पश्चिमी देशों के प्रभुत्व वाली उन रैकिंग और इंडेक्स को स्वीकार करना चाहिए, जो कि दुनिया में उसकी स्थिति तय करते हैं ? या फिर भारत के लिए आगे बढ़कर नेतृत्व करने का समय आ गया है। खास तौर से ऐसे मुद्दों के लिए जो भारत के वर्तमान और भविष्य पर असर डालते हैं? वर्षों से, टाइम्स नेटवर्क, भारत का सबसे प्रभावशाली समाचार नेटवर्क है। और वह इस तरह के प्रासंगिक सवालों पर स्पष्टता लाने के प्रयास की अगुआई करता आया है। साथ ही उसने उन लक्ष्यों और उद्देश्यों को परिभाषित किया है जिनकी राष्ट्र को आकांक्षा करनी चाहिए।
राष्ट्रीय विजन और एक्शन प्लान बेहद अहम
टाइम्स नाउ समिट के ताजा संस्करण में, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य (EAC-PM) और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री संजीव सान्याल (Sanjeev Sanyal) के साथ एक बेहद रोचक सत्र में टाइम्स नेटवर्क के एमडी & सीईओ एम.के आनंद ने इन सभी पहलुओं पर बातचीत की ।
समिट की इस वर्ष की थीम, 'इंडिया: ए वाइब्रेंट डेमोक्रेसी, ग्लोबल ब्राइट स्पॉट' के मद्देनजर एम.के.आनंद ने उन प्रमुख सवालों को सान्याल के सामने रखा, जो भारत के उस राष्ट्रीय विजन और एक्शन प्लान के लिए बेहद अहम हैं। जिनके जरिए भारत वैश्विक स्तर पर अग्रणी भूमिका निभा सकता है। बातचीत में इस बात जोर दिया गया कि आज एक वैश्विक नजरिया परिभाषित करने की जरूरत है। साथ ही इस बात पर भी खास जोर दिया गया कि कैसे सही कदमों के जरिए भारत ग्लोबल स्तर पर नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा सकता है।
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भारत के बारे में आधी-अधूरी जानकारी
इस मसले पर सान्याल का कहना था कि भारत के बारे में वैश्विक स्तर पर जो राय बनाई गई हैं, उसमें अधिकांश अधूरी जानकारी पर आधारित हैं। इसके लिए बेतुके डाटा का इस्तेमाल, पक्षपातपूर्ण सोच रखने वाली ताकतों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत, दुनिया को अपना आकलन करने देने के बजाय, खुद दुनिया को सर्टिफिकेट देना शुरू करे। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को अपने संस्थानों और कामों के जरिए 'धारणा-आधारित' आकलन को चुनौती देना शुरू कर देना चाहिए। सान्याल ने कहा कि भारत को शिकायत करना बंद कर देना चाहिए और नैरेटिव की कमांड खुद लेनी चाहिए।
इस दिलचस्प सत्र में उन मुद्दों को भी डिकोड किया गया जो भारत को अपनी ताकत पर विश्वास करने और विश्व मंच पर मुखर होने से रोक रहे हैं। सान्याल ने कहा कि भारत को लोकतंत्र और पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर दुनिया से लेक्चर लेने की जरूरत नहीं है। भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और ऐसा होने में आम सहमति सबसे बड़ा फैक्टर रहा है।
सान्याल ने समिट में कहा कि विश्व स्तर पर किसी देश के बारे में धारणा बनाने वाले इंडेक्स, लोकतंत्र, स्वतंत्रता और खुशहाल (Happiness)जैसे सभी ऐसे हैं, जिसमें भारत हमेशा बहुत खराब दिखता है। इस मामले पर भारत का सामान्य एक्शन यह रहता आया है कि वह उनके बारे में शिकायत करता है। हाल ही में मैंने एक पेपर प्रकाशित किया है। जिससे यह पता चलता है कि ये रैंकिंग कई बार ऊटपटांग तरीके से तैयार की जाती हैं। जो कि पक्षपात आधारित धारणाओं पर तैयार होती है। आश्चर्य की बात यह है कि जिसे तैयार करने में कई बार भारत के बारे में आधा दर्जन से भी कम लोगों की राय शामिल होती है।
भारत को रिएक्शन प्लान बदलने की जरूरत
सान्याल ने यह भी कहा कि, हालांकि, इस मामले में एक तथ्य यह भी है कि हमने ऐतिहासिक रूप से सिर्फ इसके बारे में शिकायत की है और कभी भी उन्हें चुनौती देने की कोशिश नहीं की है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि ये धारणाएं बेहद मायने रखती हैं। क्योंकि वे विश्व बैंक के गवर्नेंस इंडेक्स के माध्यम से सॉवरेन रेटिंग जैसी चीजों में असर डालती हैं। हमें एक और कदम उठाने की जरूरत है। हम हमेशा दुनिया को क्यों हमारे बारे में तोड़-मरोड़ कर पेश करने की छूट देते हैं। और फिर वह हमें प्रमाणपत्र देते हैं? वास्तव में, अब हमें उन्हें प्रमाणपत्र देने के लिए आगे आना चाहिए।
अगर आप देखें, तो यूरोपीय देशों द्वारा संचालित अधिकांश लोकतांत्रिक सूचकांक बिल्कुल बेतुके मापदंडों पर आधारित हैं। सबसे अहम बात यह है कि पश्चिमी देशों की इस रैंकिंग में अधिकांश ऐसे देश हैं जो वास्तव में संवैधानिक राजतंत्र हैं।यानी वे देश पूरी तरह लोकतांत्रिक भी नहीं हैं।
इस नैरिटिव यानी नजरिए का मुकाबला करने की तत्काल आवश्यकता है। सान्याल ने सुझाव देते हुए कहा कि इसके लिए टाइम्स ग्रुप को पहल करनी चाहिए। वह इन तथाकथित वैश्विक रैकिंग में भारत और अन्य देशों को रैंक करने के लिए इस्तेमाल होने वाली पद्धतियों की पारदर्शिता और मापदंडों के स्तर पर सर्वेक्षण कर सकता है। एक देश के रूप में हमें सबसे पहले भारत समर्थक ग्लोबल नैरेटिव का निर्माण और उसके नियंत्रण पर जोर देना चाहिए। जिसमें यह संदेश हो कि भारत वैश्विक स्तर पर अपना सही मुकाम हासिल के लिए दृढ़ कदम उठाता है।
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