अगर आपको नहीं पसंद तो न देखें...,समाचार चैनलों पर लगाम लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
Supreme Court: अदालत ने सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट तक लाने के चलन पर भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा, दर्शकों को यह चुनने की स्वतंत्रता है कि वे इन चैनलों को देखें या न देखें। आपके पास टीवी के रिमोट का बटन दबाने की आजादी है।
सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court: टेलीवीजन समाचार चैनलों पर लगाम लगाने वाली याचिकाओं को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं सख्त टिप्पणी भी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दर्शकों को यह चुनने की स्वतंत्रता है कि वे इन चैनलों को देखें या न देखें।
अदालत ने सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट तक लाने के चलन पर भी नाराजगी जताई। न्यायमूर्ति अभय ओका की अगुवाई वाली खंडपीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की। उन्होंने सवाल किया कि आप इन याचिकाओं को लेकर हाईकोर्ट क्यों नहीं गए।
आपके पास टीवी का बटन दबाने की आजादी
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में टीवी समाचार चैनलों को विनियमित करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आपके पास टीवी के रिमोट का बटन दबाने की आजादी है। दर्शक यह तक कर सकते हैं कि वे इन चैनलों को देखें या न देखें। अगर आपको कोई चैनल पसंद नहीं है तो आप इन्हें न देखें।
सोशल मीडिया की टिप्पणियों को गंभीरता से नहीं लेते
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों के बारे में दिए गए बयानों पर भी सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा, हम इन बयानों को गंभीरता से नहीं लेते। कोर्ट ने पूछा, सोशल मीडिया के लिए दिशानिर्देश कौन तय करेगा? सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिनमें मीडिया व्यवसायों के खिलाफ शिकायतों पर शीघ्र निर्णय लेने के लिए एक स्वतंत्र मीडिया ट्रिब्यूनल की स्थापना की मांग की गई थी।
स्वतंत्र नियामक प्राधिकरण बनाने की थी मांग
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में प्रसारकों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मुक्त भाषण को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की गई थी। इसके साथ ही साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर टीवी चैनलों द्वारा सनसनीखेज रिपोर्टिंग को रोकने के लिए समाचार प्रसारकों के लिए एक स्वतंत्र नियामक प्राधिकरण बनाने की भी मांग की गई थी।
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