उन्होंने हमें मोटरसाइकिल तो दी, लेकिन पेट्रोल नहीं- मराठा आरक्षण बिल पर बोले मनोज जारांगे-पाटिल, कहा- शुरू होगा राज्यव्यापी आंदोलन

Maratha Reservation Protest: महाराष्ट्र सरकार ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की है, बिल पास किया है। जिसके बाद शिवबा संगठन के नेता मनोज जारांगे-पाटिल ने एक बार फिर सरकार को घेरने का मन बना लिया है।

Manoj Jarange Patil

मराठा आरक्षण बिल से मनोज जारांगे-पाटिल खुश नहीं

Maratha Reservation Protest: महाराष्ट्र सरकार की ओर से विधानसभा में पास किए गए मराठा आरक्षण बिल को लेकर आंदोलनकारी खुश नहीं दिख रहे हैं। मराठा आरक्षण की मांग करने वाले संगठन ने इसे एक छलावा बताते हुए कहा कि उन्होंने हमें मोटरसाइकिल तो दी, लेकिन पेट्रोल नहीं, इसलिए यह हमें स्वीकार्य नहीं है। मराठा और कुनबी एक ही हैं, इसलिए मराठों को केवल ओबीसी आरक्षण मिलना चाहिए।

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24 फरवरी से आंदोलन

महाराष्ट्र सरकार ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की है, बिल पास किया है। जिसके बाद शिवबा संगठन के नेता मनोज जारांगे-पाटिल ने एक बार फिर सरकार को घेरने का मन बना लिया है। मराठा नेता ने 24 फरवरी से फिर राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की। बुधवार को अपने गांव अंतरावली-सरती में मीडिया से बात करते हुए जारांगे-पाटिल ने दावा किया कि सरकार ने मराठों को कोटा दिया लेकिन ''यह समुदाय की जरूरत के हिसाब से पर्याप्‍त नहीं हैं, इसलिए इसे स्‍वीकार नहीं किया जाएगा।"

भूख हड़ताल पर हैं जारांगे-पाटिल

अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के 12वें दिन जारांगे-पाटिल ने अपनी मांगे फिर से दोहराई, जिसमें कहा गया था कि कुनबी और मराठा एक ही हैं, इसलिए मराठों को केवल ओबीसी आरक्षण ही मिले। उन्होंने कहा- "हमने जो मांगा, वह सरकार ने नहीं दिया। विधानमंडल का विशेष सत्र चुनाव से पहले राजनीतिक कारणों से रखा गया था। हमें मराठों के हितों की रक्षा करनी है। उन्होंने हमें मोटरसाइकिल तो दी, लेकिन पेट्रोल नहीं, इसलिए यह हमें स्वीकार्य नहीं है।"

सरकार का तर्क

महाराष्ट्र विधानमंडल ने मंगलवार को एक-दिवसीय विशेष सत्र के दौरान सर्वसम्मति से एक अलग श्रेणी के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला एक विधेयक पारित किया है। विधेयक में कहा गया है कि बड़ी संख्या में जातियों और समूहों को पहले से ही आरक्षित श्रेणी में रखा गया है, जिनका कुल आरक्षण प्रतिशत 52 है, ऐसे में मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में रखना पूरी तरह से न्यायविरुद्ध होगा।

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