Kashi-Tamil Sangamam: बोले PM- हमारे यहां संगमों का बड़ा महत्व, ये दोनों शिवमय और शक्तिमय...जानें- भाषण की बड़ी बातें
Kashi-Tamil Sangamam: दरअसल, इस कार्यक्रम का मकसद काशी और तमिलनाडु के विद्वानों, विद्यार्थियों, दार्शनिकों, व्यापारियों, कारीगरों, कलाकारों सहित जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को एक मंच पर लाना है। साथ ही अपनी श्रेष्ठ परंपराओं को साझा करना और एक दूसरे के अनुभव से सीखने का अवसर प्रदान करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय और शक्तिमय हैं। शनिवार (19 नवंबर, 2022) को उन्होंने एक महीने तक चलने वाले कार्यक्रम 'काशी तमिल संगमम्' में भाषण के दौरान बताया- मेरा अनुभव है कि रामानुजाचार्य और शंकराचार्य से लेकर राजाजी और सर्वेपल्लि राधाकृष्णन तक, दक्षिण के विद्वानों के भारतीय दर्शन को समझे बिना हम भारत को नहीं जान सकते। हमारे पास दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा 'तमिल' है। आज तक यह भाषा उतनी ही पॉपुलर हैं और उतनी ही Alive (जिंदा और प्रासंगिक) है। दुनिया में लोगों को जब पता चलता है कि विश्व की सबसे पुरानी भाषा भारत में है तो उन्हें आश्चर्य होता है।
बकौल पीएम, "हमारे देश में संगमों का बड़ा महत्व रहा है। नदियों और धाराओं के संगम से लेकर विचारों व विचारधाराओं, ज्ञान व विज्ञान और समाजों और संस्कृतियों के हर संगम को हमने सेलिब्रेट किया है। काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय हैं, दोनों शक्तिमय हैं। एक स्वयं में काशी है, तो तमिलनाडु में दक्षिण काशी है। काशी-कांची के रूप में दोनों की सप्तपुरियों में अपनी महत्ता है।"
सुनें, अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने क्या कुछ कहा?:
उन्होंने आगे कहा- एक ओर पूरे भारत को अपने आप में समेटे हमारी सांस्कृतिक राजधानी काशी है तो दूसरी ओर भारत की प्राचीनता और गौरव का केंद्र, हमारा तमिलनाडु और तमिल संस्कृति है। ये संगम भी गंगा यमुना के संगम जितना ही पवित्र है। हमारे देश में संगमों का बड़ा महत्व रहा है। नदियों और धाराओं के संगम से लेकर विचारों-विचारधाराओं, ज्ञान-विज्ञान और समाजों-संस्कृतियों के संगम का हमने जश्न मनाया है। इसलिए काशी तमिल संगमम् अपने आप में विशेष है, अद्वितीय है।
क्या है 'काशी तमिल संगमम'?
दरअसल, इस कार्यक्रम का मकसद काशी और तमिलनाडु के विद्वानों, विद्यार्थियों, दार्शनिकों, व्यापारियों, कारीगरों, कलाकारों सहित जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को एक मंच पर लाना है। साथ ही अपनी श्रेष्ठ परंपराओं को साझा करना और एक दूसरे के अनुभव से सीखने का अवसर प्रदान करना है। प्रोग्राम में तमिलनाडु के 2,500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। दोनों क्षेत्रों के हथकरघा, हस्तशिल्प, पुस्तकों, वृत्तचित्रों, व्यंजनों, कलाकृतियों, पर्यटन स्थलों आदि की एक प्रदर्शनी भी यहां लगाई गईं। कार्यक्रम की दो क्रियान्वयन एजेंसियां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास और काशी हिंदू विश्वविद्यालय हैं।
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