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झारखंड में हाथियों की संख्या 678 से घटकर 217 रह गई, आखिर इतनी हानि के पीछे जिम्मेदार कौन?

भारत में जंगली हाथियों की संख्या 18,255 से 26,645 के बीच होने का अनुमान है। वन्यजीव विशेषज्ञों ने इसे चिंताजनक बताया है और हाथियों की संख्या में कमी के लिए मानव-हाथी संघर्ष की बढ़ती घटनाओं, हाथियों के आवागमन के गलियारों और उनके रहने के स्थानों पर अतिक्रमण को जिम्मेदार ठहराया है।

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झारखंड में हाथियों की संख्या रह गई बेहद कम। Photo- PTI

Jharkhand Elephants News: झारखंड में जंगली हाथियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है और यह मात्र 217 रह गई है, जो 2017 के 678 के आंकड़े से काफी कम है। देश में पहली बार डीएनए आधारित हाथी गणना में यह जानकारी दी गई है। वन्यजीव विशेषज्ञों ने इसे चिंताजनक बताया है और हाथियों की संख्या में कमी के लिए मानव-हाथी संघर्ष की बढ़ती घटनाओं, हाथियों के आवागमन के गलियारों और उनके रहने के स्थानों पर अतिक्रमण को जिम्मेदार ठहराया है।

अखिल भारतीय तुल्यकालिक हाथी अनुमान (एसएआईईई) 2025 ने झारखंड में हाथियों की संख्या 149 से 286 के बीच बताई है, जिसका औसत 217 है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 2021 में सर्वेक्षण शुरू होने के लगभग चार साल बाद मंगलवार को यह रिपोर्ट जारी की।

'झारखंड अब हाथियों के लिए सुरक्षित नहीं'

राज्य वन्यजीव बोर्ड के पूर्व सदस्य डी.एस. श्रीवास्तव ने PTI से कहा, 'झारखंड अब हाथियों के लिए सुरक्षित निवास स्थान नहीं रहा। हमने खनन, सड़क निर्माण और अन्य गतिविधियों के माध्यम से उनके प्राकृतिक आवास को नष्ट कर दिया है। उनके आवागमन के मार्गों पर या तो अतिक्रमण कर लिया गया है या उन्हें नष्ट कर दिया गया है। जंगलों के बड़े पैमाने पर विनाश के कारण हाथियों को भोजन, विशेष रूप से बांस की कमी का सामना करना पड़ रहा है। उनके पास राज्य से बाहर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।'

उन्होंने कहा, 'हाथी राज्य का राजकीय पशु है लेकिन सरकार ने उनके संरक्षण के लिए बहुत कम कदम उठाए हैं।' झारखंड के वन इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल (25,118 वर्ग किमी) का 31.51 प्रतिशत हैं और यह खनिज एवं वनों से समृद्ध राज्य है। इसकी सीमा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और बिहार से लगती है।

एक वन अधिकारी ने बताया कि झारखंड का पलामू बाघ अभयारण्य और कोल्हान प्रमंडल हाथियों के प्रमुख पर्यावास रहे हैं। कोल्हान में तीन जिले - सरायकेला-खरसावां, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम हैं।

हाथी कर रहे पलायन

रिपोर्ट में कहा गया है कि निवास स्थल नष्ट होने के बीच हाथी हजारीबाग और रांची जैसे नए क्षेत्रों में पलायन कर रहे हैं जिससे संघर्षों को रोकने में मुश्किलें पेश आ रही हैं। इसमें कहा गया कि इससे मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2004 से 2017 के बीच लगभग 30 हाथियों की मौत दर्ज की गई, जिनमें से अधिकतर की मौत बीमारियों, जहरीले पदार्थ खाने, अवैध शिकार, रेल दुर्घटनाओं और बिजली का झटका लगने के कारण हुईं।

राज्य के एक वन अधिकारी ने बताया कि हाल के वर्षों में पश्चिमी सिंहभूम जिले में आईईडी विस्फोटों में कम से कम पांच हाथियों की मौत हो गई।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 से शुरू हुई पांच वर्षों की अवधि में झारखंड में हाथियों के साथ संघर्षों ने 474 लोगों की जान ले ली है।

भारत में हाथियों की संख्या

मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एस आर नटेश ने कहा कि वे हाथियों की अनुमानित संख्या रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'रिपोर्ट में दिखाया गया आंकड़ा हमारे अनुमान से काफी कम है।' एसएआईईई 2025 के अनुसार भारत में जंगली हाथियों की संख्या 18,255 से 26,645 के बीच होने का अनुमान है, जिसका औसत 22,446 है। आंकड़ों के मुताबिक कर्नाटक में सबसे अधिक 6,013 हाथी हैं जिसके बाद असम (4,159) और तमिलनाडु (3,136) हैं। ओडिशा में 912 हाथी हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में 451 से अधिक हाथी हैं।

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 Nitin Arora
Nitin Arora Author

नितिन अरोड़ा टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में न्यूज डेस्क पर सीनियर कॉपी एडिटर के पद पर कार्यरत हैं. पिछले आधे दशक से अधिक समय से कई मीडिया संस्थानों में ... और देखें

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