GM सरसों के ट्रायल की तैयारी में केंद्र! बोले टिकैत- नहीं करने देंगे...जब पूरे विश्व में कोई चीज बैन, फिर क्या जरूरत?

सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ टिकैत ने 26 नवंबर को लखनऊ में विशाल धरना प्रदर्शन करने की घोषणा की और प्रदेशभर से किसानों से इसमें शामिल होने का आह्वान किया। टिकैत ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के खिलाफ 61 दिनों से चल रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि वह लखनऊ के धरना प्रदर्शन के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र आंदोलन में शामिल होंगे।

rakesh tikait

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत। (File)

तस्वीर साभार : PTI

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा है कि वह कहीं भी अनुवांशिकी तौर पर परिवर्तित (जीएम) सरसों [GM Mustard] का ट्रायल नहीं होने देंगे। उत्तर प्रदेश (UP) के प्रयागराज (Prayagraj) के धूमनगंज थाना के तहत झलवा के घुंघरू चौराहे के पास किसानों की हुई महापंचायत में उन्होंने बताया, ‘‘केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जीएम सरसों के ट्रायल की मंजूरी दी है। दो जगहों उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर और राजस्थान के भरतपुर में ट्रायल करने की तैयारी है। हम न तो उत्तर प्रदेश में और न ही राजस्थान में इसका ट्रायल होने देंगे।’’

बकौल टिकैत, ‘‘जब पूरी दुनिया में कोई चीज प्रतिबंधित है, 400 वैज्ञानिकों की रिपोर्ट हमारे पास है, बीटी काटन की खेती के खराब परिणाम हमारे पास हैं तो ऐसे में भारत सरकार को क्या जरूरत पड़ी है कि वह जीएम सरसों की खेती की अनुमति दे। क्या देश में सरसों की कमी है।’’ टिकैत ने आगे कहा- आप (सरकार) भाव दो, किसान उसे पैदा करके देगा। आने वाले समय में देश में बीज का भी कानून आएगा। बाहर की कंपनियों को बीज बनाने का अधिकार देने की तैयारी चल रही है। देश में बीज के थाने खुलेंगे और कंपनियों के बीज अवैध रूप से बोने वाले किसानों पर जुर्माना लगेगा और उन्हें सजा होगी। इन सब चीजों के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जब यह विपक्ष में होती है तो किसान आंदोलन के साथ होती है, और जब सत्ता में होती है तो व्यापारियों के साथ होती है । केंद्र में आने से पहले उन्होंने स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू करने की बात की थी जो कभी लागू नहीं की। टिकैत ने प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि गन्ना सत्र शुरू होने से पहले एक-एक रुपये का भुगतान हो जाएगा। चीनी मिलें चालू हो गईं, लेकिन किसानों को भुगतान नहीं हुआ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, ‘‘देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि देश डिजिटल की तरफ जा रहा है। एक दुकानदार डिजिटल हो गया, पैसे का आदान प्रदान हो जाता है, लेकिन किसानों की फसल बिकने पर भुगतान 11 महीने में होता है। प्रधानमंत्री से अनुरोध है कि देश के किसान को भी डिजिटल कर दें ताकि वह फसल बेचकर जब घर पहुंचे तो उसके खाते में भी पैसा चला जाए।’’

दरअसल, जीएम सरसों यानी जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों एक तरह की वैज्ञानिक तकनीक है। कृषि क्षेत्र में उन्नत किस्मों के विकास के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। यह जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों के बीच भी बेहतर उत्पादन देती है। इस प्रक्रिया में वनस्पति का जीन निकालकर दूसरे में ट्रांसफर किया जाता है। सरसों के फूल में स्व-परागण रोक कर नर नपुंसकता पैदा की गई, जिसके बाद हवा, तितली, मधुमक्खी और जीवांशों के परागण से धारा मस्टर्ड-11 सरसों तैयार हुई।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

अभिषेक गुप्ता author

छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में पारंगत और "मीडिया की मंडी" ...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited