हिंदुस्तान से अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान तक कांपी धरतीः तुर्की में अब तक 34 बिलियन डॉलर्स का नुकसान, आ चुके 10 हजार झटके

नोनी में भूकंप के झटके जमीन से 25 किलोमीटर नीचे गहराई पर महसूस किए गए थे। हालांकि, राहत की बात यह है कि जहां-जहां धरती कांपी है, वहां से फिलहाल किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है।

हिंदुस्तान से लेकर अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान तक मंगलवार (28 फरवरी, 2023) को धरती तब कांप उठी, जब सुबह-सवेरे भूकंप के झटके महसूस किए गए। भारत में ये झटके नॉर्थ ईस्ट के सूबे मणिपुर में नोनी में महसूस किए गए। वहां पर भूकंप की तीव्रता 3.2 रही। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी की ओर से यह जानकारी देते हुए बताया गया कि ये झटके तड़के दो बजकर 46 मिनट पर महसूस किए गए।

नोनी में भूकंप के झटके जमीन से 25 किलोमीटर नीचे गहराई पर महसूस किए गए थे। यही नहीं, सेंटर की ओर से आगे यह भी बताया गया कि अफगानिस्तान में 4.1 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए, जबकि ताजिकिस्तान में झटकों की तीव्रता 4.3 रिएक्टर स्केल थी।

हालांकि, राहत की बात यह है कि जहां-जहां धरती कांपी है, वहां से फिलहाल किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। वहीं, विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि तुर्की में आए भूकंप के चलते लगभग 34 बिलियन डॉलर्स का नुकसान हुआ। हैरत की बात है कि वहां तबाही मचाने वाले भूकंप के बाद सोमवार (27 फरवरी, 2023) को ताजा भूकंप के झटके महसूस किए गए। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, 5.6 तीव्रता के ये झटके दक्षिणी हिस्से में आए थे, जिससे कुछ इमारतें जमींदोज हुईं और इन घटनाओं के दौरान एक शख्स की जान भी चली गई।

दरअसल, तीन हफ्ते पहले जोरदार भूकंप से तुर्की-सीरिया क्षेत्र में भारी तबाही हुई थी। छह फरवरी को आए भूकंप से अब तक (खबर लिखे जाने तक) दोनों मुल्कों में 48,000 से अधिक जानें जा चुकी हैं, पर तुर्की में 173,000 इमारतों को गंभीर नुकसान पहुंचा। वैसे, तुर्की की आपदा प्रबंधन एजेंसी के चीफ ने बताया कि भूकंप के बाद कई झटकों के आने का खतरा बना है। छह जनवरी के शक्तिशाली भूकंप के बाद से क्षेत्र में करीब 10,000 झटके आ चुके हैं।

धरती की ऊपर की सतह सात टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। चूंकि, ये प्लेट्स किसी भी समय स्थिर नहीं रहती हैं, लिहाजा ये लगातार हिलती हैं और ये एक-दूसरे की तरफ जब बढ़ती हैं, तब ये टकराती और उसी समय उर्जा निकलती है। ऐसे में जब यही प्लेट्स जब अधिक हिल जाती है, तब हम उस स्थिति को भूकंप महसूस होना कहते हैं। भूकंप की शुरुआत जमीन के भीतर से होती है और जहां पर वह टकराता है, उसे उसका केंद्र या एपिसेंटर कहा जाता है। सर्वाधिक नुकसान उसी जगह पर होता है।

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अभिषेक गुप्ता author

छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में पारंगत और "मीडिया की मंडी" ...और देखें

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