Lok Sabha Election: मध्य प्रदेश में 'मिशन 29' को कैसे साकार करेगी भाजपा? इन तीन सीटों पर आसान नहीं होगी जीत

Madhya Pradesh Politics: भाजपा ने मध्य प्रदेश में सभी 29 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है, मगर इस मिशन को वो कैसे साकार करेगी, ये देखना बेहद दिलचस्प होगा। दरअसल, एमपी की तीन ऐसी सीटें हैं, जहां जीत दर्ज कर पाना इस बार आसान नहीं होगा। आपको समीकरण समझना चाहिए।

BJP Mission 29 MP Lok Sabha Chunav

मध्य प्रदेश में भाजपा का राह नहीं आसान।

'Mission 29' for Madhya Pradesh: लोकसभा चुनाव को लेकर हर किसी ने अपनी-अपनी कमर कस ली है। मध्य प्रदेश की सियासत में सटीक निशाना लगा पाना इस बार भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। भाजपा ने एमपी की सभी 29 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है और 'मिशन 29' को अंजाम देने की कोशिश में जुटी हुई है। मगर सूबे की तीन ऐसी सीटें हैं, जहां भारतीय जनता पार्टी को मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।

कैसे पूरा होगा भाजपा का मध्य प्रदेश में 'मिशन 29'?

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आगामी लोकसभा चुनाव में 370 सीटें जीतने के लक्ष्य को पाने के लिए मध्य प्रदेश इकाई ने 'मिशन 29' की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। पार्टी के दिग्गज नेताओं ने अपने-अपने कंधों पर जिम्मा उठा लिया है और सभी 29 सीटों पर जीत हासिल करने की कोशिशों में जुट गए हैं। मगर सवाल यही है कि भाजपा का ये लक्ष्य इतनी आसानी से पूरा हो जाएगा?

इन तीन सीटों पर भाजपा की जीत नहीं होगी आसान

भले ही भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए मिशन 29 के तहत मध्य प्रदेश की सभी सीटों पर जीत दर्ज करने का लक्ष्य रखा हो, मगर इसे पूरा कर पाना आसान नहीं होगा। एमपी की ती ऐसी सीटें हैं, जहां से ये मिशन कमजोर पड़ सकता है। पहली सीट कमलनाथ का गढ़ कहा जाने वाला छिंदवाड़ा है। दूसरी सीट है मंडला (एसटी) जहां से मोदी सरकार में मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते सांसद हैं और तीसरी सीट है- रतलाम (एसटी), यहां से भाजपा के ही गुमान सिंह डामोर सांसद हैं।

छिंदवाड़ा में आसान नहीं होगी भाजपा की जीत

इस सीट को कमलनाथ के गढ़ के नाम से जाना जाता है। मोदी लहर में हुए बीते दोनों लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में भाजपा इस सीट पर कब्जा जमा पाने में नाकाम हो गई थी। 2014 में कमलनाथ को जीत हासिल हुई थी, जबकि 2019 में उनके बेटे नकुलनाथ ने विजय का परचम फहराया था। बीते कुछ दिनों से ये चर्चा हो रही थी कि कमलनाथ और उनके बेटे कांग्रेस से नाता तोड़ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने इन अटकलों पर लगाम लगा दिया। ऐसे में भाजपा के लिए इस सीट को जीत पाना आसान नहीं होगा। हालांकि भाजपा की उम्मीद इस बार थोड़ी मजबूत हुई है। एमपी विधानसभा चुनाव में हासिल हुई जबरदस्त जीत के बाद कॉन्फिडेंस में इजाफा हुआ है और पिछले चुनाव के नतीजों का जिक्र करें तो भाजपा और कांग्रेस के बीच हार-जीत का अंतर महज 3 फीसदी वोट का था।

फग्गन सिंह कुलस्ते की राह नहीं होगी आसान

मोदी सरकार में मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की राह इस बार मंडला लोकसभा सीट से आसान नहीं रहेगी। इसकी वजह समझना मुश्किल नहीं है। बीते मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में उन्हें निवास सीट से उम्मीदवार बनाया गया था। जहां से कांग्रेस के चैन स‍िंह वरकडे ने उन्हें करारी शिकस्त दी। कांग्रेस ने इस सीट पर 9723 वोटों से जीत हासिल की थी। अब जरा लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों पर नजर डालते हैं। मंडला लोकसभा सीट से भाजपा के कुलस्ते और कांग्रेस के कमल सिंह मरावी के बीच जीत हर का अंतर 6.4 फीसदी वोट का था। ऐसे में इस बार इस सीट पर अगर भाजपा अपना प्रत्याशी बदल दे तो हैरानी नहीं होगी।

रतलाम सीट पर क्या कायम रहेगा भाजपा का जलवा?

जिस तरह मंडला लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव के नतीजें भाजपा की टेंशन बढ़ा सकते हैं, उसी प्रकार रतलाम में भी इसी बात की टेंशन सबसे बड़ी होगी। इस सीट पर फिलहाल भाजपा के गुमान सिंह डामोर सांसद हैं। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुमाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को पटखनी दी थी। दोनों के बीच जीत हार के अंतर में 6.5 वोट का अंतर था। पांच सालों में समीकरण भाजपा के पक्ष में भी जा सकता है और भाजपा के खिलाफ भी। ऐसे में रतलाम सीट भी भाजपा के मिशन 29 के लिए मुश्किल बढ़ा सकती है।

भाजपा ने मिशन 29 के लिए कसी अपनी कमर

मध्य प्रदेश के मिशन को पूरा करने के लिए बैठकों का दौर तेज हो चुका है। भाजपा के प्रदेश कार्यालय में प्रदेश पदाधिकारी, संभाग प्रभारी, मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रकोष्ठों के प्रदेश संयोजकों को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, लोकसभा प्रदेश प्रभारी डॉ. महेंद्र सिंह, सह प्रभारी सतीश उपाध्याय एवं प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद ने निर्देश दे दिए हैं, अब देखना होगा कि 29 सीटों पर जीत का सपना साकार होता है या नहीं।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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