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Indian Air Force Day: पहले IAF था RIAF, इंडियन एयरफोर्स को आखिर कैसे और कब मिले पंख, इसका कराची से क्या लेना-देना?

भारतीय वायु सेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को भारतीय विमानन कोर के रूप में की गई थी, जिसका उद्देश्य भारतीय सेना को हवाई सहायता प्रदान करना था। आइए आज के दिन इंडियन एयरफोर्स से जुड़ी कुछ अहम बातों पर ध्यान देते हैं। ये भी जानेंगे कि कैसे पहले अंग्रेजों के दौरान इंडियन एयरफोर्स काम करती थी।

​इंडियन एयरफोर्स

इंडियन एयरफोर्स को आखिर कैसे और कब मिले पंख। Photo-ANI

Indian Air Force News: 8 अक्टूबर, 1932 को भारतीय वायुसेना की स्थापना के साथ ही भारत के लिए फिर कोई सीमा नहीं रही। यानी वह आज दुश्मनों को उसकी सीमा के अंदर घुसकर मारती है और खुद का भी आसमान सेफ रखती है। बात शुरुआती दौर की करें तो ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन, भारतीय विमानन कोर की स्थापना विमानों के एक छोटे से बेड़े के साथ की गई थी। यह भारतीय सशस्त्र बलों का तीसरा विंग बन गई, जो आज भी भारत के आसमान को हर खतरे से बचाता है।

भारतीय वायु सेना की स्थापना

भारतीय सशस्त्र बलों के सबसे महत्वपूर्ण विंग्स में से एक की स्थापना 8 अक्टूबर, 1932 को हुई थी। आज की भारतीय वायु सेना को उस समय भारतीय विमानन कोर के नाम से जाना जाता था। इस कोर का उद्देश्य भारतीय सेना को हवाई सहायता प्रदान करना था।

कराची से क्या संबंध?

भारतीय वायु सेना के गठन के कुछ ही महीनों बाद 1 अप्रैल, 1933 को इसका परिचालन शुरू हुआ। फ्यूचर नंबर 1 स्क्वाड्रन का कोर कराची के ड्रिघ रोड पर 'A' फ्लाइट के रूप में स्थापित किया गया, जहां रॉयल एयर फोर्स द्वारा प्रशिक्षित छह अधिकारियों और 19 हवाई सिपाहियों ने चार वेस्टलैंड वापिटी IIA बाइप्लेन उड़ाए। अधिकारियों को भारत और विदेशों में विशेष रूप से यूनाइटेड किंगडम में प्रशिक्षित किया गया, जिससे एक पेशेवर और अनुशासित वायु सेना की नींव रखी गई।

जब पहली बार चार वेस्टलैंड वापिटी IIA बाइप्लेन उड़ाए गए
रॉयल एयर फोर्स के छह प्रशिक्षित अधिकारियों और 19 हवाई सिपाहियों ने पहली बार चार वेस्टलैंड वापिटी IIA बाइप्लेन उड़ाए। Photo- विकिमीडिया कॉमन्स

रॉयल इंडियन एयर फोर्स

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आधुनिक युद्ध में वायु शक्ति के बढ़ते महत्व के कारण 1945 में भारतीय विमानन कोर का पुनर्गठन रॉयल इंडियन एयर फोर्स (RIAF) के रूप में किया गया। महत्वपूर्ण बात यह है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, RIAF ने ब्रिटिश भारतीय सेना को आवश्यक सहायता प्रदान की और यूरोप, अफ्रीका और पश्चिम एशिया में लड़ रही मित्र देशों की सेनाओं की सहायता के लिए स्क्वाड्रन तैनात किए।

इंडियन एयरफोर्स से पहले संघर्ष

1947 में स्वतंत्रता के बाद IAF ने खुद का तेजी से विस्तार किया। जहां इसने कई युद्ध लड़े,जिनमें प्रथम कश्मीर युद्ध (1947-48), 1962 का चीन-भारत युद्ध, 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और बाद में कारगिल संघर्ष के दौरान ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन सफेद सागर जैसे अभियान शामिल थे।

हॉकर हरिकेन मार्क IIBs में काम चल रहा
भारत के इम्फाल मेन में भारतीय वायुसेना के नंबर 1 स्क्वाड्रन के हॉकर हरिकेन मार्क IIBs में काम चल रहा है। Photo- विकिमीडिया कॉमन्स

आज मजबूत एयरफोर्स में से एक

वहीं, IAF आज दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे एडवांस वायु सेनाओं में से एक है, जिसके पास लड़ाकू जेट, परिवहन विमान, हेलीकॉप्टर और मानव रहित हवाई वाहन हैं। इसका प्राथमिक मिशन भारतीय हवाई क्षेत्र की सुरक्षा करना, रणनीतिक टोही प्रदान करना और जमीनी अभियानों में सहायता प्रदान करना है। सैन्य अभियानों के अलावा, भारतीय वायुसेना आपदा राहत, मानवीय मिशन और अंतर्राष्ट्रीय शांति प्रयासों में भी योगदान देती है।

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 Nitin Arora
Nitin Arora Author

नितिन अरोड़ा टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में न्यूज डेस्क पर सीनियर कॉपी एडिटर के पद पर कार्यरत हैं. पिछले आधे दशक से अधिक समय से कई मीडिया संस्थानों में ... और देखें

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