महर्षि वाल्मीकि जयंती (Image - TNN)
Maharishi Valmiki Jayanti Hindi Mein: महर्षि वाल्मीकि जयंती इस बार 7 अक्टूबर (Maharishi Valmiki Jayanti 2025 Date) को मनाई जाएगी। इन्हें आदि कवि या फिर संस्कृत भाषा का पहला कवि माना जाता है। इस मौके पर हम उनसे जुड़े कुछ ऐसी बातें जानेंगे, जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के अलावा स्कूली छात्रों को भी जरूर पता होनी चाहिए। Maharishi Valmiki Jayanti एक महत्वपूर्ण दिवस है, जिसके बारे में परीक्षा में अक्सर पूछ लिया जाता है। यही कारण है कि आज हम महर्षि वाल्मीकि के बारे में जानेंगे, महर्षि वाल्मीकि कौन थे, क्या था उनके बचपन का नाम, महर्षि वाल्मीकि जयंती कब है, क्या है आदि।
महर्षि वाल्मीकि जयंती क्या है, Maharishi Valmiki Kya Hai
महर्षि वाल्मीकि जयंती, बता दें ये दिन एक पवित्र हिंदू त्योहार है। इस दिन महर्षि वाल्मीकि के जन्म दिवस मनाया जाता है। वे एक पूजनीय ऋषि रहे हैं, जिन्होंने रामायण के रचना की। आदर्श बेटे, संघर्ष, जीवन और धर्म की स्थापना की कथा को महाकाव्य रामायण के रूप में लिखने वाले महर्षि वाल्मीकि का
रामायण अब तक के सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय महाकाव्यों में से एक है। रामायण करीबन 7000 साल पहले की कहानी है, जिसके पात्रों के नाम पर आज भी हिंदुओं में बच्चों का नाम रखा जाता है। रामायण के किस्सों से मार्गदर्शन किया जाता है। ऐसे महाकाव्य की रचना करने वाले महर्षि वाल्मीकि की जयंती को नमन है।
महर्षि वाल्मीकि जयंती के बारे में, महर्षि वाल्मीकि कौन थे
भगवान राम की जीवनगाथा रामायण की रचना करने वाले महर्षि वाल्मीकि (Maharishi Valmiki kaun the) से जुड़े बहुत से सवाल हैं, जिन्हें आपसे पूछा जा सकता है। इसलिए इस लेख में कुछ ऐसी बाते बताई गई है, जिन्हें पढ़ने से आपको ढेरों सवालों के जवाब आ जाएंगे।
महर्षि वाल्मीकि के बचपन का नाम?, Maharishi Valmiki ke bachpan ka Naam
अपने प्रारंभिक वर्षों में महर्षि वाल्मीकि 'रत्नाकर' नाम के एक राजमार्ग डाकू थे, जो राहगीरों को लूटते और मारते थे। लेकिन एक रोज उनकी मुलाकात नारद मुनि से हुई। रत्नाकर ने उन्हें भी लूटने की कोशिश की, लेकिन नारद मुनि के ज्ञान ने उनका तुरंत हृदय परिवर्तन कर दिया। नारद जी रत्नाकर को सही राह दिखाई, और तप करके पापों से मुक्ति पाने के लिए कहा।
रत्नाकर कैसे कहलाए 'वाल्मीकि'
नारद मुनि के कहने पर रत्नाकर ने ऐसी तपस्या की, कि उन्हें भगवान के नाम के अलावा कुछ भी ध्यान नहीं रहा। कहते हैं, उनकी तपस्या के दौरान दीमकों ने उन पर घर बना लिया था, लेकिन उन्हें कुछ आसास नहीं था। वर्षों तक तपस्या करने के बाद, एक दिव्य वाणी ने उनकी तपस्या को सफल घोषित किया और उन्हें वाल्मीकि नाम दिया। बाद में उन्हें संस्कृत साहित्य के प्रथम कवि होने के कारण आदि कवि के रूप में सम्मानित किया गया।
महर्षि वाल्मीकि के अन्य नाम
वाल्मीकि के कई नाम भी हैं जैसे बाल्मीकि, रत्नाकर, लाल बेग और बाला शाह इत्यादि।
रामायण में क्या है?
रामायण एक विशाल महाकाव्य है। इसमें भगवान राम के परिवार (माता पिता भाई बहन), उनके जन्म से लेकर रावण पर उनकी विजय तक की गाथा है। रावण जो कि अपने समय का सबसे शक्तिशाली असुर राजा था। उसने तीनों लोकों (पाताल, भूमि और स्वर्ग) पर विजय प्राप्त की थी। केवल रावण ही नहीं उसके बच्चे और भाई पृथ्वी के सबसे खतरनाक असुरों में से एक थे। रावण कि पिता ब्राह्मण कुल से थे जिनका नाम था 'विश्रवा', यही कारण है कि रावण में परम ज्ञानी था, इसके अलवा उसकी मां (कैकसी) राक्षस कुल से थी। रामायण की मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पिता अयोध्या के राजा दशरथ से शुरू होती है, जबकि रामायण का अंत रावण वध के साथ होता है। वही रावण जिसके मरने के दिन हर साल दशहरा मनाया जाता है, और चूंकि भगवान राम रावण को समुद्र पार लंका में मारा था, जिसके बाद उन्हें अपने जन्मस्थान अयोध्या लौटेने में 20 दिन का समय लगा, इसलिए दशहरे के 20 दिन बाद खुशी के दिए जलाकर दीवाली मनाई जाती है।
महर्षि वाल्मीकि को रामायण काल का माना जाता है। मान्यता है कि माता सीता को भगवान राम ने नहीं अपनाया था, तब वे महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहती थीं, भगवान राम और माता सीता से दो पुत्र हुए - लव और कुश। दोनों को रामायण का ज्ञान महर्षि वाल्मीकि ने दिया था।
यहां दी गई जानकारी हिंदु मान्यताओं पर आधारित है।
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