मुंबई ही नहीं आगरा में भी 261 साल पुराना सिद्धि विनायक मंदिर, आप भी करेंगे गर्व

आगरा के गोकुलपुरा में राजा की मंडी इलाके में भगवान गणेश का ऐतिहासिक सिद्धि विनायक मंदिर है। 261 साल पुराने ऐतिहासिक सिद्धि विनायक मंदिर की कहानी बेहद दिलचस्प है।

agra sidivinayak temple

आगरा में भी है सिद्धि विनायक मंदिर

मुख्य बातें
  • आगरा में भी है भगवान गणेश का ऐतिहासिक सिद्धि विनायक मंदिर
  • 261 साल पुराने ऐतिहासिक सिद्धि विनायक मंदिर की कहानी बेहद दिलचस्प
  • कई बार किया था मुगलों ने सिद्धि विनायक मंदिर पर आक्रमण

सिद्धि विनायक मंदिर मुंबई ही नहीं ताजनगरी आगरा में भी है। गोकुलपुरा में बने 261 साल पुराने ऐतिहासिक सिद्धि विनायक मंदिर की कहानी बेहद दिलचस्प है। आगरा में गणेश चतुर्थी पर्व का नाता कुछ कम ऐतिहासिक नहीं है। यहां गणेशोत्सव की शुरुआत मराठा सरदार महादजी सिंधिया ने कराई गई थी। माना जाता है कि मंदिर की स्थापना मुगल काल में साल 1646 में हुई थी। मराठा सरदार महादजी सिंधिया ने साल 1760 में मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। उसी वक्त सिंधिया ने मंदिर में पीपल का वृक्ष लगाया था, जो आज भी परिसर में है।मराठा सरदार महादजी सिंधिया उस दौरान ग्वालियर के शासक थे और आगरा जब भी आते थे इस मंदिर में पूजा-अर्चना जरूर किया करते थे। सिद्धि विनायक मंदिर का इतिहास मुगलों और अंग्रेजों से भी जुड़ा है।

मुगलों ने किया था मंदिर पर आक्रमण

ऐसा बताया जाता है कि कई बार मुगलों ने सिद्धि विनायक मंदिर पर आक्रमण किया और इसे तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन समय के साथ-साथ यह मंदिर आज भी मौजूद है। कालांतर में यह मंदिर सिद्धि विनायक के नाम से जाना जाने लगा। गुजराती नागर और मराठा परिवारों की आस्था के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित मंदिर में आगरा दौरे के वक्त वो नियमित पूजा-अर्चना कराते रहे। स्थानीय लोगों ने बताया कि महादजी सिंधिया ने ही गणेश चतुर्थी के दिन मंदिर से

शाही संरक्षण में गणेश शोभायात्रा की शुरूआत कराई थी। यह शोभायात्रा 1860 तक चलती रही। एक हमले में यह बंद हो गई। फिर देश की आजादी के बाद साल 1859 में यह दोबारा शुरू हुई।

भगवान गणेश की 100 साल से अधिक पुरानी प्रतिमा

आज भी इस मंदिर में भगवान गणेश की 100 साल से अधिक पुरानी प्रतिमा है, भगवान गणेश चंदन के सिंहासन पर विराजमान है। भगवान गणेश को चंदन से बनी पालकी पर नगर भ्रमण कराया जाता है। भगवान गणेश की धूमधाम से शोभा यात्रा भी निकाली जाती है। मंदिर के पुजारी ज्ञानेश शास्त्री महाराज के अनुसार, मंदिर अपने आप में बेहद ऐतिहासिक है। यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। गणेश चतुर्थी के दिन 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं।

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