EPS Contribution: ईपीएफ और ईपीएस में कौन है बेहतर, आसान तरीके से समझें
ईपीएफओ ने ईपीएस में अधिकतम अंशदान के लिए 3 मार्च 2023 की अंतिम तारीख तय की है। सामान्य तौर पर जेहन में सवाल कौंधता है कि ईपीएफ या ईपीएस कौन बेहतर होगा। यहां पर हम दोनों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
ईपीएफओ की है ईपीएस स्कीम
आमतौर पर सभी को चिंता होती है कि बुढ़ापा कैसे कटेगा। अगर आपके पास उस समय आय के स्रोत हों तो चिंता की बात नहीं होती। लेकिन अगर कोई स्रोत ना हो तो कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस तरह की चिंताओं से मुक्ति के लिए कई तरह की बीमा कंपनियां या कुछ सरकारी संस्थाएं ऑफर पेश करती हैं। उनमें से एक कर्मचारी भवष्य निधि संगठन है जो संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए पेंशन स्कीम ऑफर करती हैं। यहां हम बताएंगे कि ईपीएफओ के जरिए जो ऑफर पेश किया गया है वो कितना लाभदायी साबित होगा। बता दें कि पेंशन में कर्मचारी को अपना अंशदान बढ़ाने की अंतिम तारीख 3 मार्च 2023 है। लेकिन यह जानना जरूरी है कि जिन लोगों ने 1 सितंबर 2014 के बाद ईपीएफ का हिस्सा बने हैं उनके लिए यह विकल्प नहीं है।
ईपीएस बनाम ईपीएफ
- जब इस स्कीम का आप हिस्सा बनेंगे तो ईपीएफ से ईपीएस में फंड का फिर से आवंटन होगा।
- इसके अलावा दूसरे विकल्प भी हैं जिन्हें आप रिटायरमेंट के समय टाइप ऑफ एन्यूटी का चुनाव कर सकते हैं।
- यहां पर ध्यान देने वाली बात है कि ईपीएफओ 10 साल की सेवा के बाद पेंशन देना शुरू करता है जिसके लिए 58 साल का होना जरूरी है।
- विकल्प के तौर पर ईपीएफ से ईपीएस में अधिक फंड ट्रांसफर का विकल्प दिया गया है।
- अब आप अपनी वास्तविक आय का 8.33 फीसद अंशदान दे सकते हैं, पहले 15 हजार कैप।
- ईपीएफओ की नई गाइडलाइंस सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए हए चार महीने की डेडलाइन से महज दो हफ्ते पहले आई है।
- अगर आप ईपीएस में ज्यादा योगदान देते हैं तो आप ज्यादा पेंशन पाने के हकदार होंगे क्यों इसकी गणना आपकी वास्तविक सैलरी पर की जाएगी।
- यदि आप 23 साल की उम्र में इस स्कीम का हिस्सा बनते हैं और 58 साल की उम्र में रिटायर होते हैं तो अधिकतम 7500 प्रति महीने की पेंशन मिलेगी।
- इसकी गणना कुछ यूं है. पेंशनयोग्य सैलरी में पेंशनयोग्य सेवा का गुणा कर 70 से भाग देते हैं। जैसे अगर पेंशनयोग्य सैलरी 15 हजार हो और सेवा 35 साल की हो तो आप 7500 रुपए पेंशन के हकदार हो जाएंगे।
अंशदान की गणना
अब आप यदि नए नियम के तहत अंशदान करते हैं को पेंशन की गणना वास्तविक बेसिक सैलरी, डीयरनेस अलाउंस पर की जाएगी जिसके बाद पेंशन की राशि बढ़ जाएगी। फर्ज करें कि रिटायरमेंट के समय से पांच साल पहले तक यदि आपकी पेंशनयोग्य सैलरी 1 लाख रुपए है तो पेंशन की राशि करीब 50 हजार होगा। हालांकि यदि आप नई पेंशन स्कीम का हिस्सा बनना चाहते हैं तो नियमों को सावधानी से पढ़ें।सबसे पहले आपको समझना होगा कि जब आप नई स्कीम का हिस्सा बनेंगे तो ईपीएफ से ईपीएस में फंड रिअलोकेट किया जाएगा। इसका अर्थ यह है कि ज्यादा पेंशन पाने के लिए ईपीएफ की बड़ी रकम आपको ईपीएस में डालना होगा। इस तरह कंपाउंडिंग के लाभ से आप वंचित हो जाएंगे। इसलिए आप पहले यह गणना करें कि रिटायरमेंट के समय आप कितना पेंशन पाएंगे।
यदि आप 35 के हैं और औसत बेसिक सैलरी 10 साल तक 1 लाख के करीब है तो आपको 8330 रुपए महीने का अंशदान देना होगा। अब अधिक पेंशन पाने के लिए आपको करीब अपने ईपीएफ खाते से करीब 8.5 लाख इस स्कीम में ट्रांसफर करने होंगे। इसके साथ ही आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए इस राशि पर जो ब्याज मिलेगा उसमें परिवर्तन हो सकता है। लिहाजा आपको फैसला करना होगा कि कौन सी स्कीम बेहतर साबित होने वाली है।ईपीएफओ सिर्फ आपको महीने दर महीने पेंशन की रकम देता है इसमें लमसम पेमेंट की व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा अगर अंशदान करने वाले शख्स का निधन हो जाता है तो सिर्फ 50 फीसद रकम ही उसके आश्रित को मिलता है। उसके बाद किसी तरह के भुगतान की व्यवस्था नहीं है। इसलिए जब आप ईपीएस का चयन करते हैं तो आप जीने की दर, स्वास्थ्य और पारिवारिक इतिहास का मुल्यांकन करें।
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