Income Tax Benefit: इनकम टैक्स-प्रॉपर्टी-गिफ्ट पर बकाया टैक्स पर मिलेगी 1 लाख तक की छूट ! CBDT ने जारी किए नियम
Income Tax Benefit: सीबीडीटी ने आदेश में कहा है कि 31 जनवरी, 2024 तक इनकम टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स और गिफ्ट टैक्स से संबंधित ऐसी बकाया कर मांगों को माफ करने को लेकर प्रति करदाता के लिए एक लाख रुपये की अधिकतम सीमा तय की गयी है। एक लाख रुपये की सीमा में कर मांग की मूल राशि, ब्याज, जुर्माना या शुल्क, उपकर, अधिभार शामिल है।
इनकम टैक्स नोटिस नियम
Income Tax Benefit:एक करोड़ से ज्यादा टैक्सपेयर्स के लिए राहत की खबर है। आयकर विभाग ने छोटी कर मांगों को वापस लेने को लेकर बजट में की गई घोषणा के तहत प्रति करदाता एक लाख रुपये तक की सीमा निर्धारित कर दी है। इसका फायद उन लोगों को मिलेगा जिन्हे विभाग ने एक लाख रुपये तक के टैक्स डिमांड को नोटिस भेजा हुआ है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स ने 13 फरवरी 2024 को जारी किए गए अपने आदेश में कहा है कि इनकम टैक्स विभाग ने 31 जनवरी 2024 तक पुराने बकाये टैक्स क्लेम डिमांड पर छूट देने और उसे खत्म करने की शुरुआत कर दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के लिए अपने अंतरिम बजट भाषण में आकलन वर्ष 2010-11 तक 25,000 रुपये और आकलन वर्ष 2011-12 से 2015-16 तक 10,000 रुपये तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस लेने की घोषणा की थी। इसमें शामिल कुल कर मांग करीब 3,500 करोड़ रुपये है।
इनकम टैक्स से लेकर प्रॉपर्टी टैक्स पर मिलेगा फायदा
सीबीडीटी ने आदेश में कहा है कि 31 जनवरी, 2024 तक इनकम टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स और गिफ्ट टैक्स से संबंधित ऐसी बकाया कर मांगों को माफ करने को लेकर प्रति करदाता के लिए एक लाख रुपये की अधिकतम सीमा तय की गयी है। एक लाख रुपये की सीमा में कर मांग की मूल राशि, ब्याज, जुर्माना या शुल्क, उपकर, अधिभार शामिल है।हालांकि, आयकर अधिनियम के टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) या टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) प्रावधानों के तहत कर कटौती करने वालों कर संग्राहकों के खिलाफ की गई मांगों पर यह छूट लागू नहीं होगी।
इनको नहीं मिलेगा फायदा
नांगिया एंडरसन इंडिया के पार्टनर मनीष बावा ने कहा कि यह निर्देश स्पष्ट करता है कि यह छूट करदाताओं को ‘क्रेडिट’ या ‘रिफंड’ के किसी भी दावे का अधिकार नहीं देता है। इसके अतिरिक्त, छूट करदाता के खिलाफ चल रही, नियोजित या संभावित आपराधिक कानूनी कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेगी और किसी भी कानून के तहत कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करेगी ।सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था, ‘‘बड़ी संख्या भें कई छोटी-छोटी प्रत्यक्ष कर मांग बही-खातों में लंबित है। उनमें से कई मांग वर्ष 1962 से भी पुरानी हैं। इससे ईमानदार करदाताओं को परेशानी होती है और रिफंड को लेकर समस्या होती है।’’
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