क्या पाकिस्तान से टूटकर एक अलग देश बन जाएगा बलूचिस्तान, जानें एक्सपर्ट ऐसा क्यों कह रहे
पाकिस्तान दुनिया में एक विफल राष्ट्र है। आतंकवादियों को पुचकारने और अपने ही लोगों पर अत्याचार की पाकिस्तान की कहानी 1947 से ही चली आ रही है। यही कारण है कि बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान में सहज महसूस नहीं करते और लंबे समय से आजादी के लिए छटपटा रहे हैं। इस छटपटाहट में वह ट्रेन हाईजैक जैसे कदम उठा देते हैं।

कभी भी पाकिस्तान से टूटकर अलग देश बन सकता है बलूचिस्तान
पाकिस्तान एक बार फिर टूटने की कगार पर पहुंच गया है। साल 1971 में बांग्लादेश के अगल होने के बावजूद पाकिस्तान के हुक्मरानों ने इतिहास से कुछ नहीं सीखा। जिस तरह से 1971 से पहले पश्चिमी पाकिस्तान की तरफ से पूर्वी पाकिस्तान में जुल्म की इंतेहां की जा रही थी और अंतत: पूर्वी पाकिस्तान टूटकर बांग्लादेश बन गया। उसी तरह पाकिस्तान के हुक्मरान बलूचिस्तान में भी मनमर्जी करते रहे हैं। बलूचिस्तान के लोग बार-बार इस संबंध में आवाज उठाते रहे हैं और हाल के वर्षों में उन्होंने हथियार भी उठा लिए। अपने एक अलग देश की मांग के साथ बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) लगातार पाकिस्तान में अपने मंसूबों को अंजाम देते रहती है। पाकिस्तान और उसकी सेना बलूचिस्तान के लोगों पर अत्याचार का अंजाम ही है कि BLA ने मंगलवार 11 मार्च 2025 को पूरी की पूरी एक ट्रेन को हाईजैक कर लिया। बलूच लड़ाकों ने इस ट्रेन में 214 लोगों को बंधक भी बना लिया। इसमें पाकिस्तानी सेना, पुलिस और ISI के कर्मचारी भी शामिल हैं।
BLA ने एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा, 'हमने ट्रेन और सभी बंधकों पर पूरी तरह से नियंत्रण बनाए रखा है। ये 214 बंधक युद्ध बंदी हैं। हम बलूच राजनीतिक कैदियों की रिहाई के बदले इन्हें छोड़ने के लिए तैयार हैं।' बलूचिस्तान की आजादी के लिए लड़ रहे इस संगठन ने पाकिस्तान सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है, जिसमें बलूच राजनीतिक कैदियों, कथित तौर पर गायब किए गए लोगों और राष्ट्रीय प्रतिरोध कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग की गई है। BLA का कहना है कि अगर सैन्य कार्रवाई की कोशिश की गई तो सभी बंधकों को मार देंगे और ट्रेन को भी नष्ट कर देंगे।
आजादी घोषित कर सकता है बलूचिस्तान
बलूचिस्तान कभी भी आजादी घोषित कर सकता है और संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) उसे तुरंत मान्यता भी दे देगा। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि पाकिस्तान के एक नेता मौलाना फजलुर रहमान ने पाकिस्तान की सीनेट में यह बयान दिया है। उन्होंने कहा, 'बलूचिस्तान के 6-7 जिले पूरी तरह से आतंकवादियों के कब्जे में हैं। पाकिस्तान सरकार और सेना का उन जिलों पर कोई नियंत्रण नहीं है।' पाकिस्तान बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई लड़ रहे बलूच नेशनलिस्ट को आतंकी कहता है और अक्सर उनके खिलाफ सैन्य कार्रवाई करता रहता है।
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जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी, एसपी वैद ने भी मौलाना फजलुर रहमान के उस बयान पर सहमति जताई है। कल यानी मंगलवार 11 मार्च 2025 को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का बलूचिस्तान में अपहरण होने के बाद उन्होंने यह प्रतिक्रिया दी। उनका कहना है कि पाकिस्तान एक बार फिर टूटने की कगार पर पहुंच गया है। पाकिस्तान की सेना और वहां की सरकार बलूचिस्तान पर से नियंत्रण खो चुकी है।
उन्होंने कहा कि यह सब जो कुछ भी हो रहा है, इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। पाकिस्तान टूटने की कगार पर पहुंच चुका है। कुछ दिन पहले ही बलूचिस्तान और सिंध क्षेत्र से ऑपरेट होने वाले तमाम अतिवादी संगठन एक मंच पर आए हैं और उन्होंने पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तानी सेना की संप्रभुता को चुनौती दी है। अगर पाकिस्तान के टुकड़े हो जाते हैं, तो मुझे इससे बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं होगा।
मंगलवार 11 मार्च को बलूचिस्तान के कच्छी जिले में माच टाउन के पास आब-ए-गुम के करीब 6 बंदूकधारियों ने जाफर एक्सप्रेस पैसेंजर ट्रेन पर गोलीबारी की, जिसमें कई यात्री घायल हो गए। अलग बलूचिस्तान देश की मांग के लिए लड़ रहे बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने इसकी जिम्मेदारी ली। बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा तो लंबे समय से है। लेकिन हाल के समय में बलूच नेशनलिस्ट खुलकर पाकिस्तान के खिलाफ खड़े हो रहे हैं और हिंसात्मक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। नवंबर 2024 में क्वेटा रेलवे स्टेशन पर हुए एक ऐसे ही आत्मघाती हमले में कम से कम 26 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 62 लोग घायल हुए थे। यहां पर चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का भी जमकर विरोध होता रहा है। बलूचों ने CPEC को भी निशाना बनाया है।
खजाना है बलूचिस्तान
बलूचिस्तान एक खजाना है, जिसे पाकिस्तान ने कभी पहचाना ही नहीं। यहां पर तेल और प्राकृतिक खनिजों का भंडार है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा लेकिन सबसे कम बसावट वाला प्रोविंस है। बलूचिस्तान की सीमाएं ईरान और अफगानिस्तान से मिलती हैं।
दशकों के उत्पीड़न का नतीजा
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी द्वारा ट्रेन को हाईजैक करने के बाद दुनिया की नजर इस ओर गई है। पाकिस्तान लंबे समय से बलूचों पर अत्याचार करता आ रहा है। बलूच लोगों और पाकिस्तान के बीच यह लड़ाई आर्थिक उत्पीड़न, राजनीतिक रूप से हाशिए पर धकेले जाने, सांस्कृतिक भेदभाव और पाकिस्तान के दमन चक्र का अंजाम है। इसकी जड़ें 1947 में भारत के विभाजन से जुड़ी हैं। पाकिस्तान अलग देश बना तो बलूचिस्तान (कलात रियासत) के तत्कालीन शासन ने भी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी। लेकिन उस समय पाकिस्तान ने जबरन बलूचिस्तान पर कब्जा किया था। हालांकि मौजूदा बलूचिस्तान में उस समय खारन, लास बेला और मकरान रियासतें भी थीं, जिन्होंने पाकिस्तान में सामिल होने का फैसला किया था। दरअसल बलूच एक समुदाय है, जो पाकिस्तान के साथ ही ईरान और अफगानिस्तान में भी फैले हुए हैं। समुदाय को उनकी सांस्कृतिक, क्षेत्रीय और भाषाई पहचान केल ए जाना जाता है। लेकिन पाकिस्तान ने कभी उन्हें वह सम्मान नहीं दिया।
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1876 से आजाद था बलूचिस्तान
कलात को साल 1876 में ही अंग्रेजों के साथ एक एग्रीमेंट के तहत ब्रिटिश राज से मुक्त इंटरनल ऑटोनॉमी हासिल थी। 5 अगस्त 1947 को बलूचिस्तान ने अपनी आजादी का ऐलान भी कर दिया था। लेकिन अनय तीन प्रांत चाहते थे कि एक पूर्ण बलूचिस्तान राज्य बने। आजादी के समय आखिरी अंग्रेज वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के साथ बैठक में मोहम्मद अली जिन्ना ने बी कलात की आजादी का समर्थन किया था। लेकिन आजादी के सिर्फ सात महीने बाद ही पाकिस्तान सरकार ने भारत के प्रभाव के डर से 1948 में कलात में सेना भेज दी। पाकिस्तान सरकार को डर था कि कहीं भारत वहां अपनी सेना न भेज दे। उस समय सैन्य ताकत के दम पर कब्जा किए जाने का बलूचिस्तान के लोगों ने कड़ा विरोध किया। तभी से यह विवाद और हिंसात्मक संघर्ष भी चला आ रहा है। पाकिस्तान की तरफ से बलूचिस्तान में बम गिराए जा चुके हैं, जबकि बलूचिस्तान की लड़ाई लड़ने वाले लड़ाके आत्मघाती हमले, बम ब्लास्ट और हाईजैक की घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं।
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