भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी है लाल किला, बनाने में लग गए थे इतने साल

हम सब भारत के लाल किले के बारे में तो जानते ही हैं। लेकिन, पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में भी एक लाल किला है, जिसका निर्माण मुजफ्फराबाद शहर के जनक सुल्तान मुजफ्फर खान ने करवाया था।

Pakistan Red Fort

मुजफ्फराबाद का लाल किला

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में भी लाल किला
  • इस लाल किले को बनाने में 87 साल लगे थे
  • साल 1926 तक इस किले का इस्तेमाल किया गया

Pakistan Red Fort: इस दुनिया में ऐतिहासिक धरोहर की कमी नहीं है। इसी में एक नाम है देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित लाल किले का। हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री यहीं पर झंडा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं। लेकिन, क्या आपको मालूम है लाल किला केवल भारत में ही नहीं है बल्कि हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी है। हो सकता है कुछ लोगों को इसके बारे में जानकारी हो, जबकि कुछ लोग अब तक इस सच्चाई से अनजान हों। तो आइए, आज हम आपको पाकिस्तान के लाल किले से आपको रू-ब-रू कराने जा रहे हैं, जिसे बनाने में 10, 20 , 30 या 50 साल नहीं बल्कि 87 साल लगे थे।

पाकिस्तान का लाल किला मुजफ्फराबाद में मौजूद है। लिहाजा, इस लाल किले को मुजफ्फराबाद फोर्ट या मुजफ्फराबाद का किला के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, स्थानीय लोग इसे किला या फिर रुट्टा किला भी कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस किले का निर्माण मुजफ्फराबाद शहर के जनक सुल्तान मुजफ्फर खान ने करवाया था। लाल किले का निर्माण सन 1559 में शुरु हुआ था। लेकिन, कुछ समय बाद इस किले पर मुगलों ने आक्रमण कर कब्जा कर लिया था। हालांकि, धीरे-धीरे इसका निर्माण कार्य चलता रहा। सन 1646 में यह किला पूरी तरह बनकर तैयार हो गया। इतना ही नहीं जब डोगरा शासकों ने इस किले में कई बदलाव करवाए।

1926 तक इस्तेमाल किया गया

यह किला तीन दिशाओं से नीलम नदी से घिरा है। उत्तरी भाग में सीढ़ियों के साथ छत बनाई गई है। यहां से नदी के किनारे जाया जा सकता है। पूर्वी दिशा से किले को काफी सुरक्षित बनाया गया है। कारण ये कि इसे बाढ़ के पानी से बचाया जा सके। लेकिन, अनदेखी के कारण उत्तरी भाग के कई हिस्से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। बताया जाता है कि किले का पूरा काम महाराजा रणबीर सिंह के शासनकाल में हुआ था। इस किले का इस्तेमाल साल 1926 तक किया गया था। उसके बाद से ये किला खाली पड़ा है और अब यह खंडहर बनकर रह गया है।

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Kaushlendra Pathak author

मूलरूप से बिहार के मधुबनी जिले का रहने वाला हूं और समस्तीपुर जिले में पला-बढ़ा। 12वीं करने के बाद देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का रूख किया और दिल्ल...और देखें

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