Yogini Ekadashi 2025: योगिनी एकादशी का मुहूर्त है बहुत ही खास, 19 साल बाद बन रहा गजब का संयोग
Yogini Ekadashi 2025 Muhurat and Sanjog: उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। 2025 में योगिनी एकादशी 21 जून, दिन शनिवार को है। योगिनी एकादशी का उत्तम मुहूर्त सुबह 4:04 मिनट से सुबह 4:44 मिनट तक रहेगा। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 से दोपहर 12:51 तक रहेगा। इस बार 19 साल बाद ग्रीष्म संक्रांति के दिन योगिनी एकादशी का योग बन रहा है।

Yogini Ekadashi 2025 Muhurat and Sanjog
Yogini Ekadashi 2025 Muhurat and Sanjog: योगिनी एकादशी का व्रत बहुत खास माना जाता है। इस व्रत को आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर रखा जाता है। इस बार योगिनी एकादशी पर एक अजब संयोग बन रहा है। पूरे 19 साल के बाद ग्रीष्म संक्रांति या सोलर सोलिस्टिस पर योगिनी एकादशी का व्रत जाएगा। बता दें कि 21 जून को साल का सबसे लंबा दिन होता है। इसी दिन ही विश्व योग दिवस भी मनाया जाता है।
योगिनी एकादशी का खास संयोग
21 जून उत्तरी गोलार्ध में साल का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति या सोलर सोलिस्टिस के नाम से जाना जाता है। इस दिन सूर्य अपनी अधिकतम उत्तरी स्थिति में होता है, जिसके कारण दिन की अवधि सबसे लंबी और रात की सबसे छोटी होती है। यह योग 19 साल बाद बन रहा है: योगिनी एकादशी और साल का सबसे बड़ा दिन एक ही दिन बन रहे हैं।
योगिनी एकादशी 2025 तारीख और समय
दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून को सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी। तिथि का समापन 22 जून को सुबह 04 बजकर 27 मिनट पर होगा, वहीं राहूकाल का समय सुबह 08:53 से 10:38 तक रहेगा। ऐसे में 21 जून को योगिनी एकादशी व्रत किया जाएगा। 21 जून को सूर्य जल्दी उदय होगा और देर से अस्त होगा, करीब 14 घंटे का दिन रहेगा।
योगिनी एकादशी का क्या महत्व है
मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और बीमारियों के साथ ही पूर्व जन्म के पापों से भी मुक्ति मिलती है। पुराणों में योगिनी एकादशी को रोगों से दूर करने वाली सबसे प्रभावशाली तिथि बताया गया है, खासकर उन लोगों के लिए जो लंबे समय से मानसिक या शारीरिक पीड़ा से जूझ रहे हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने का प्रावधान है, और माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने से सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह व्रत मनुष्य को इंद्रिय संयम और आत्म-चिंतन की प्रेरणा देता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी आपको करनी चाहिए और पूजा के दौरान भगवान विष्णु को मौसमी फल, पीले पुष्प और तुलसी अवश्य अर्पित करना चाहिए। तुलसी के पत्ते आपको एक दिन पहले ही तोड़कर रख देने चाहिए। इनपुट- आईएएनएस
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