Chanakya Niti: चाणक्‍य के ये चार उपाय खत्‍म कर देंगे जीवन की सभी परेशानियां, हर जगह मिलेगी सफलता

Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य ने मनुष्‍य के जीवन को आसान बनाने के लिए अपने नीति शास्‍त्र में कई उपाय बताए हैं। उन्‍होंने जीवन की हर पहलु और परिस्थिति के बारे में जिक्र करते हुए कई ऐसे उपाय बताए हैं, जो मुश्किल भरे जीवन को भी आसान बना सकती हैं। आचार्य चाणक्‍य द्वारा बताए गए जीवन के चार रहस्‍यों को समझने पर जीवन आसान हो जाता है।

Chanakya Niti

चाणक्‍य के इन चार विचारों में जीवन का रहस्‍य, समझ गए तो...

मुख्य बातें
  • मनुष्‍य के खानाप से प्रभावित होते हैं उसके विचार, रखें इसका ध्‍यान
  • मनुष्‍य के लिए उसका लालच सबसे बड़ा रोग, कर देता है पूरी तरह बर्बाद
  • व्‍यक्ति की सुंदरता और धन नहीं बल्कि उसका ज्ञान होता है सबसे बड़ा धन

Chanakya Niti in Hindi: नीति शास्‍त्र को मनुष्‍य जीवन को आसान व सफल बनाने का एक संग्रह है। जीवन में असफलताओं और समस्‍याओं से छुटकारा दिलाने में यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना सदियों पहले था। यही कारण है कि लोग आज भी इसमें बताए गए उपायों को अपने जीवन में अपनाते हैं। चाणक्य नीति हमें मित्र-भेद से लेकर दुश्मन तक की पहचान करने के साथ असफलता को सफलता में बदलने का रास्‍ता दिखाता है। आचार्य चाणक्‍य ने इसमें कई ऐसे विचार व्‍यक्ति किए हैं, जिन्‍हें अपनाकर जीवन की सभी परेशानी को खत्‍म कर मुश्किल जीवन को भी आसान बनाया जा सकता है। यहां हम चार ऐसे ही उपायों को बता रहे हैं।

भोजन से प्रेरित होते हैं विचार

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि मनुष्‍य का विचार उसके भोजन से प्रभावित होते हैं। जिस तरह से एक जलता हुआ दीपक अंधेरे का भक्षण कर काला धुएं का निर्माण करता है। उसी तरह मनुष्‍य का भोजन भी उसके विचारों को प्रभावित करता है। इसलिए विचारों को संतुलित करने के लिए सही खानापान जरूरी है।

सही हाथों में सौंपे संपत्ति

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि मनुष्‍य को संपत्ति वितरण काफी प्रभाव रखता है। इसलिए व्‍यक्ति को अपनी संपत्ति हमेशा सही हाथों में देना चाहिए। अगर संपत्ति गलत हाथों में चला जाए तो वह कई लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है। किसी भी व्‍यक्ति को अपनी संपत्ति देने से पहले उस व्‍यक्ति के आचरण और विचारों का सही से आकलन जरूर कर लें।

लालच सबसे बड़ा रोग

आचार्य चाणक्‍य ने लालच को मनुष्‍यों का सबसे बड़ा रोग बताया है। आचार्य कहते हैं कि, जिस तरह से संतोष के समान कोई सुख नहीं होता और दया के समान कोई गुण नहीं होता, उसी तरह लालच से बड़ा कोई रोग नहीं होता। यह रोग जिस व्‍यक्ति को लग जाता है, उसका पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है।

विद्या है सबसे बड़ा धन

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि व्‍यक्ति चाहे जितना भी सुंदर और धनवान क्‍यों न हो, लेकिन अगर उसके पास ज्ञान नहीं है, तो उसकी यह खूबसूरती और धन बेकार हैं। मनुष्‍य के लिए उसका सबसे बड़ा धन उसका ज्ञान होता है। इसी ज्ञान से ही उसे धन और सफलता मिलती है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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