Shayari on Intezaar: इक रात वो गया था जहां बात रोक के, अब तक रुका हुआ हूं वहीं रात रोक के.., पढ़ें इश्क में इंतजार पर चुनिंदा शेर

Intezaar Shayari in Hindi: इंतज़ार बयां करना मुश्किल है शायद इसीलिए इसे शब्द देने पड़े। इंतज़ार (Shayari on Intezaar in Hindi) ऐसी चीज़ है जिसमें हौसला और उम्मीद, दोनों बेहद ज़रूरी है। अगर ऐसा ना हुआ तो इंतज़ार टूटते वक़्त नहीं लगता। उम्मीद करते हैं मशहूर शायरों की ये चुनिंदा शायरियां (Shayari on Intezaar in Hndi 2 line) आपके इंतज़ार की साथी बने।

Intezaar

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Shayari on Intezaar in Hindi: किसी भी एहसास को लफ्जों में बयां करना ही शायरी है। अगर ये एहसास इंतजार को हो तो फिर क्या ही कहने। इंतजार पर काफी कुछ लिखा पढ़ा गया है। ना जाने कितने ही शायर हुए जिन्होंने इंतज़ार को शब्द देकर उसे ज़िंदा कर दिया। इंतज़ार बयां करना मुश्किल है शायद इसीलिए इसे शब्द देने पड़े। इन शायरों की कलम से इंतजार पर जो नज्में निकलीं, उनकी मदद से तमाम लोगों ने अपने हमराह तक अपने दिल की बात पहुंचाई। आइए पढ़ते हैं इंतजार पर लिखे चंद मशहूर शेर

Shayari on Intezaar in Hindi 2 line | Intezaar Shayari | इंतजार शायरी दर्द भरी

ओ जाने वाले आ कि तेरे इंतज़ार में

रस्ते को घर बनाए ज़माने गुज़र गए

- ख़ुमार बाराबंकवी

क़दम क़दम पर बिछे हैं गुलाब पलकों के

चले भी आओ कि हम इंतज़ार करते हैं

- कामिल जनेटवी

इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के

अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के

- फ़रहत एहसास

अब ख़ाक उड़ रही है यहाँ इंतज़ार की

ऐ दिल ये बाम-ओ-दर किसी जान-ए-जहाँ के थे

- जौन एलिया

जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ

उस ने सदियों की जुदाई दी है

- गुलज़ार

कोई इशारा दिलासा न कोई व'अदा मगर

जब आई शाम तिरा इंतिज़ार करने लगे

- वसीम बरेलवी

ऐसे ही इंतज़ार में लज़्ज़त अगर न हो

तो दो घड़ी फ़िराक़ में अपनी बसर न हो

- रियाज़ ख़ैराबादी

एक रात वो गया था जहाँ बात रोक के

अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के

- फ़रहत एहसास

इक उम्र कट गई है तेरे इंतज़ार में

ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात

- फ़िराक़ गोरखपुरी

आहटें सुन रहा हूँ यादों की

आज भी अपने इंतज़ार में ग़ुम

- रसा चुग़ताई

आने में सदा देर लगाते ही रहे तुम

जाते रहे हम जान से, आते ही रहे तुम

- इमाम बख़्श नासिख़

अब इन हुदूद में लाया है इंतज़ार मुझे

वो आ भी जाएँ तो आए न ऐतबार मुझे

- ख़ुमार बाराबंकवी

इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं

आने वाले बरसों बाद भी आते हैं

- ज़ेहरा निगाह

इसी ख़याल में हर शाम-ए-इंतज़ार कटी

वो आ रहे हैं वो आए वो आए जाते हैं

- नज़र हैदराबादी

कब ठहरेगा दर्द-ए-दिल कब रात बसर होगी

सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी

- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

बता दें कि इंतज़ार ऐसी चीज़ है जिसमें हौसला और उम्मीद, दोनों बेहद ज़रूरी है। अगर ऐसा ना हुआ तो इंतज़ार टूटते वक़्त नहीं लगता। उम्मीद करते हैं मशहूर शायरों की ये चुनिंदा शायरियां आपके इंतज़ार की साथी बने।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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