Valentine Day Sanskrit Wishes: प्रणयदिनस्य शुभकामनाः -देखें वैलेंटाइन डे विशेज इन संस्कृत, देवभाषा में इस सुंदर तरीके से करें प्रेम का इजहार

Happy Valentine's Day in Sanskrit (वैलेंटाइन डे विशेज इन संस्कृत): इस वैलेंटाइन डे अगर आप कुछ खास करने की सोच रहे हैं तो शुरुआत पार्टनर को अलग तरीके से विश करने से ही कर सकते हैं। पार्टनर को विश करने के पुराने घिसे-पिटे तरीके छोड़कर इस बार आप उसे प्यार के संदेश संस्कृत से शुरू करिए। हम आपके खास संस्कृत में Valentine Wishes लेकर आए हैं। देखें वैलेंटाइन डे विशेज इन संस्कृत, वैलेंटाइन डे स्‍टेटस इन संस्कृत आद‍ि। यहां आपको प्रणयदिनस्य शुभकामनाः जैसे और संदेश संस्‍कृत में मिलेंगे।

valentine day sanskrit wishes, वैलेंटाइन डे इन संस्कृत

Happy Valentine's Day in Sanskrit

Happy Valentine's Day in Sanskrit (वैलेंटाइन डे विशेज इन संस्कृत): वैलेंटाइन भले कल का त्योहार लगता हो, लेकिन प्यार कोई कल की चीज नहीं है और ना ही प्रेम का संदेश भेजना। सदियों से प्रेम को जाहिर करने के लिए प्रेमी को संदेश भेजे जाते रहे हैं। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हम आपके लिए कुछ वैलेंटाइन डे के wishes लाए हैं, इस बार संस्कृत में। संस्कृत भाषा में भी प्रेम पर खूब काव्य लिखे गए। कहते हैं कि जब वाल्मिकी के मुंह से पहली बार कोई संस्कृत श्लोक निकला तो उसके केंद्र में प्रेम ही था।

दुख और गुस्से में निकला वह श्लोक यह था-

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः ।

यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी काममोहितम् ।।

यानी हे निषाद, तुम अनंत वर्षों तक प्रतिष्ठा प्राप्त न कर सको, क्योंकि तुमने कामभावना में लीन क्रौंच पक्षियों के जोड़े में से एक का वध कर डाला है।

ऐसी कई बातें प्रेम के गिर्द कही-बुनी गई हैं। आइए कुछ ऐसे ही संस्कृत के वाक्यों को जानते हैं जिनको आप वैलेंटाइन डे पर अपने पार्टनर को भेजकर उसे इंप्रेस कर सकते हैं और अपने सच्‍चे प्‍यार का इजहार कर सकते हैं। नोट करें वैलेंटाइन डे विशेज इन संस्कृत, वैलेंटाइन डे स्‍टेटस इन संस्कृत।

Happy Valentine's Day in Sanskrit | हैपी वैलेंटाइन डे विशेज इन संस्कृत

1. ददाति प्रतिगृह्णाति गुह्यमाख्याति पृच्छति।

भुङ्क्ते भोजयते चैव षड्विधं प्रीतिलक्षणम्॥

यानी, लेना, देना, खाना, खिलाना, रहस्य बताना और उन्हें सुनना ये सभी छह प्रेम के लक्षण है।

2. प्रेमणां परमुख्तिर्यः स जीवनमुत्तमम्।

यानी, प्रेम सबसे बड़ा लक्ष्य है, यही जीवन है।

3. प्रेम्णा अभावे सर्वं शून्यमेव।।

यानी, बिना प्रेम सब शून्य के समान होता है।

4.स्नेहानाहु: किमपि विरहे ध्वंसिनस्ते त्वभोगा-

दिष्टे वस्तुन्युपचितरसा: प्रेमराशीभवंति॥

यानी, कहते हैं कि विरह में स्‍नेह कम हो जाता है। पर सच तो यह है कि भोग के अभाव में प्रेम बढ़ता है।

5.बन्धनानि खलु सन्ति बहूनि प्रेमरज्जुकृतबनधनमन्यत्।

दारुभेद निपुणोऽपि षडङ्घ्रि निष्क्रियो भवति पङ्कजकोशे॥

यानी, बंधन तो अनेक हैं पर प्रेम के बंधन जैसे नहीं। (प्रेम बन्धन के कारण ही लकड़ी छेदने वाला भौंरा कमल में कुछ नहीं कर पाता।

6. दर्शने स्पर्शणे वापि श्रवणे भाषणेऽपि वा।

यत्र द्रवत्यन्तरङ्गं स स्नेह इति कथ्यते॥

यानी, यदि किसी को देखने से, छूने से या सुनने से या बात करने से हृदय द्रवित होकर तरंगित हो जाए तो इसे प्रेम कहते हैं।

7. कृते प्रतिकृतं कुर्यात्ताडिते प्रतिताडितम्।

करणेन च तेनैव चुम्बिते प्रतिचुम्बितम्॥

यानी, हर कार्रवाही के लिए एक जवाबी कार्रवाही होनी चाहिए। हर प्रहार के लिए एक प्रति-प्रहार और उसी तर्क से हर चुम्बन के लिए एक जवाबी चुम्बन।

8. प्रेमं विवशतः प्रयुञ्जीत निर्विघ्नेन चेतसा।

न तु बाह्येन विर्येण मन्त्रैव पशुपालवत्॥

यानी, प्रेम को अपनाने के लिए अपने विचार को किसी बाहरी शक्ति से बांधने के बजाए बिना किसी बंधन के रखें।

9.अन्यमुखे दुर्वादः स्वप्रियवदने तदेव परिहासः।

इतरेन्धजन्मा यो धूमः सोगुरूभवो धूपः॥

यानी, जो बात दूसरे के कहने पर निंदा समझी जाती है। वही बात प्रेमिका के कहे जाने पर हंसी मान ली जाती है। साधारण लकड़ी के जलने पर धुआं निकलता है और यही यदि अगर की लकड़ी से निकले तो धूप समझा जाता है।

10.प्रेमास्तु तद् यन्न हि किदेव कस्माच्चन प्रार्थयतेऽविकारः।

यानी, प्रेम तो वह है जो विकृतहीन रहकर किसी से कुछ नहीं मांगता।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। लाइफस्टाइल (Lifestyle News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

मेधा चावला author

हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

End of Article
Subscribe to our daily Lifestyle Newsletter!

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited