लचित बरफुकन का जिक्र कर पीएम मोदी का सियासी हमला, जानें कौन हैं ये शख्स
अहोम किंगडम के नायक लचित बरफुकन की 400वीं जयंती पर पीएम नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि दी और कहा कि भारतीय इतिहास को लगातार धूमिल किया गया है।
भारत के इतिहास को जानबूझकर लगातार गलत तरीके से पेश किया जाता रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने लचित बरफुकन को श्रद्धांजलि देते हुए अहम बात कही। 17वीं शताब्दी में अहोम राजा ने मुगलों को पराजित किया था। लचित बरफुकन ने औरंगजेब की अगुवाई में मुगलों के बढ़ते कदम को रोका था। नरेंद्र मोदी ने कहा कि असम के लोगों ने आक्रांताओं का कई बार सामना किया और उन्हें कई बार हराया। मुगलों ने गुवाहाटी को अपने कब्जे में लिया। लेकिन लचित बरफुकन ने आक्रांताओं से आजाद कराया।
इतिहास को तोड़ा मरोड़ा गया
पीएम ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने बाहरी लोगों के आतंक के जुल्म सहे। लचित बरफुकन जैसे नायकों ने दिखा दिया कि आतंक को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत में अत्याचार करने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता है। जीत का इतिहास, बलिदान, निःस्वार्थता और वीरता का इतिहास। लेकिन हमें इतिहास पढ़ाया गया जो औपनिवेशिक एजेंडे का हिस्सा था। क्या उनके जैसे वीरों की वीरता कोई मायने नहीं रखती?
असम का इतिहास गर्व का विषय
आजादी के बाद, हमारे ऊपर शासन करने वालों के एजेंडे से लड़ने की जरूरत थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। आज भारत उपनिवेशवाद की बेड़ियों को तोड़ चुका है और आगे बढ़ रहा है, अपनी विरासत का जश्न मना रहा है और अपने नायकों को गर्व के साथ याद कर रहा है। आज भारत न केवल अपनी विविध विरासत का जश्न मना रहा है, बल्कि अपने बहादुर गुमनाम नायकों को भी याद कर रहा है।असम का इतिहास भारत की यात्रा में बहुत गर्व का विषय है। हम भारत के विभिन्न विचारों, विश्वासों और संस्कृतियों को एकजुट करने में विश्वास करते हैं। भारत ने हमेशा अपनी समृद्ध और सांस्कृतिक विरासत को महत्व दिया है; हमने हमेशा अपने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सिद्धांतों की रक्षा की है। यही हमें एक अद्भुत सभ्यता बनाता है।
कौन थे लचित बरफुकन
लचित बरफुकन ने 1671 में लड़ी गई सरायघाट की लड़ाई में असमिया सैनिकों को प्रेरित किया था और मुगलों को अपमानजनक हार दी थी। लचित बरफुकन और उनकी सेना की वीरतापूर्ण लड़ाई हमारे देश के इतिहास में प्रतिरोध के सबसे प्रेरक सैन्य कारनामों में से एक है। बता दें कि सल्तनत से लेकर मुगल पीरिटड में असम पर लगातार हमले किए गए। लेकिन अहोम राज्य को जीत पाना मुमकिन नहीं हुआ।
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