महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किस-किसने गड़ा रखी है नजर? पूरा सियासी बखेड़ा समझिए
Maharashtra Political War For CM: महाराष्ट्र की सियासत में कब क्या होने वाला है इसका अंदाजा लगा पाना शायद किसी के बस की बात नहीं है। एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर सियासत में कानाफूसी शुरू हो गई है। अब समझने की जरूरत है कि आखिर असल बखेड़ा क्या है और किस-किसने ने कुर्सी पर नजर गड़ा रखी है?
अजित पवार ने मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर क्या कहा?
Maharashtra Politics: पूर्ण बहुमत हो या फिर मजबूत से मजबूत मुख्यमंत्री महाराष्ट्र की सियासत में अगले पल क्या होने वाला है, इसका अंदाजा शायद बड़े से बड़े सियासी आकाओं को भी नहीं होगा। कब किसकी सरकार गिर जाए और कब कौन मुख्यमंत्री बन जाए इसका कोई ठिकाना नहीं है। महाराष्ट्र के सियासत का इतिहास ये समझाता है कि बेवफाई ही राजनीति का पहला उसूल है। इन दिनों एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गरम है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कुछ अपने ही नजर गड़ाए बैठे हैं। अब वो अपने कौन-कौन हैं ये उनका मन ही जानता होगा, मगर कांग्रेस नेता लगातार दावे कर रहे हैं। उन दावों से सियासी बखेड़ा खड़ा होना लाजमी है। तो सबसे पहले ये समझना होगा कि आखिर सीएम की कुर्सी को लेकर क्या बवाल मचा हुआ है।
अजित पवार को देनी पड़ गई सफाई!
महाराष्ट्र की सियासत में सबसे तेजी से रंग बदलने वाले नेताओं की लिस्ट में जिनका नाम टॉप पर है वो शायद अजित पवार ही है। दरअसल, हाल ही में अपने चाचा शरद पवार को गच्चा देकर एनडीए के साथ आने वाले अजित को डिप्टी सीएम पद की कुर्सी मिल गई। अब उनके विरोधी लगातार ये दावा कर रहे हैं कि उनकी नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। जिसके बाद शनिवार को आखिरकार डिप्टी सीएम अजित पवार ने अपने बयान के जरिए सफाई पेश कर दी। उन्होंने कहा कि अफवाहों पर ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं है, राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हैं और वो अच्छा काम कर रहे हैं। हम दोनों (अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस) इस कुर्सी की चाहत क्यों रखेंगे।
आखिर क्या है कुर्सी को लेकर पूरा बखेड़ा?
हुआ यूं कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने एकनाथ शिंदे को सचेत करते हुए ये दावा किया था कि उनकी कुर्सी खतरे में है। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दोनों डिप्टी सीएम नजर गड़ाए रखे हैं। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार में अनबन और भीतरी कलह चल रही है। मगर अब अजित पवार ने नाना पटोले के उस दावे को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि ये अफवाह बेवजह फैलाई जा रही है कि अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस की नजर डिप्टी सीएम की कुर्सी पर है। अजित पवार ने बोला कि 'वैसे भी सीएम शिंदे अच्छा काम कर रहे हैं। हम तीनों ही विकास कार्यों में लगे रहने वाले नेता हैं। हमें आपस में जो आवंटित किया गया है उससे संतुष्ट हैं। पत्रकारों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।'
मगर क्या अजित पवार की बात सच्ची है?
अजित पवार सियासत में गच्चा देने के लिए काफी मशहूर हैं। कहा जाता है कि उन्होंने ये कला अपने चाचा शरद पवार से ही सीखी। भला इतने साल साथ रहने का कुछ तो फायदा होना भी चाहिए। साल 1978 की बात है जब शरद पवार वसंत दादा पाटील की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। सीएम पाटील उस वक्त पवार पर बहुत भरोसा करते थे, मगर 38 साल के शरद पवार ने वसंत दादा पाटील के 38 विधायक तोड़ लिए और उस वक्त के सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का खिताब हासिल किया। बीते कुछ सालों में अजित पवार ने जिस तरह अपना रंग बदला उसके बाद कुछ भी कह पाना मुश्किल है। मगर नाना पटोले का दावा कितना मजबूत है और कितना खोखला, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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