MP Election: वो रात जब कमलनाथ को नहीं आई थी नींद! अब कभी नहीं दोहराएंगे 'गलती'
Madhya Pradesh Chunav: कमलनाथ को 5 मार्च, 2020 के बाद से 20 मार्च तक 2020 तक शायद चैन की नींद नहीं आई होगी। तीन साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, मगर वो सियासी घाव अब तक नहीं भर पाया है। उन्हें उम्मीद है कि इस बार के चुनाव में वो ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवराज सिंह चौहान और भाजपा से बदला जरूर लेंगे।
कमलनाथ की किस गलती के चलते चली गई थी मुख्यमंत्री की कुर्सी?
Kamal Nath News: तारीख थी 5 मार्च 2020, जब कमलनाथ से एक ऐसी भूल हो गई कि उन्हें इसका खामियाजा अपनी कुर्सी गंवा कर भुगतना पड़ा। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजों के बाद कांग्रेस में इस बात की चिंता शुरू हुई कि मुख्यमंत्री के लिए किसकी ताजपोशी की जाए। कुर्सी की रेस में कमलनाथ के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल थे, मगर गांधी-नेहरू परिवार से करीबी रिश्ते होने के चलते कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद से नवाजा गया। उस वक्त राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, उन्होंने सिंधिया और कमलनाथ दोनों से मुलाकात की। सिंधिया के चेहरे से समझ आ चुका था कि उन्हें इस बात की बेहद तकलीफ हुई है कि उन्हें नजरअंदाज करके कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। मार्च 2020 तक विवाद काफी आगे बढ़ चुका था, मगर कमलनाथ से एक गलती हो गई और यहीं से शुरू हुआ असल बवाल...।
कमलनाथ की इस गलती के चलते चली गई कुर्सी
मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से 5 मार्च 2020 को एक सवाल पूछा गया कि 'अपनी ही सरकार के खिलाफ ज्योतिरादित्य सिंधिया सड़क पर उतरने की बात कर रहे हैं, ऐसा आखिर क्यों?' कमलनाथ ने इसके जवाब में कहा कि 'उतर जाएं...' बस उनका इस बयान ने आग में घी की तरह काम किया। 15 महीने से जो आग सिंधिया के सीने में पल रही थी वो भड़क उठी और एक बड़ा पॉलिटिकल ड्रामा शुरू हो गया। उस वक्त एमपी के निर्दलीय, बसपा, सपा और कांग्रेस के करीब 11 विधायकों के लापता होने की खबरें चलने लगीं। कहा जाने लगा कि बेंगलुरू के होटल में रुके हैं।
जब सिंधिया ने कमलनाथ को कहीं का नहीं छोड़ा
5 मार्च के बाद लगातार 3 दिनों तक बयानबाजी और उठापटक का सिलसिला चलता रहा, मगर 9 मार्च को अचानक ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी कहे जाने वाले 19 विधायक लापता हो गए, इनमें 6 मंत्री भी शामिल थे। कुल 22 विधायक बेंगुलरू के एक होटल में हैं, ऐसी जानकारी सामने आई। इस जानकारी के बाहर आते ही कांग्रेस में हड़कंप मच गया। इसके अगले ही दिन 10 मार्च की सुबह गृहमंत्री अमित शाह से मिलने ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके दिल्ली स्थित आवास पर पहुंच गए। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले। मोदी और शाह से मिलने के तुरंत बाद उन्होंने कांग्रेस से अपना इस्तीफा दे दिया। इसके तुरंत बाद 22 विधायकों ने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया। यहीं से कमलनाथ की मुसीबत बढ़ गई।
सीधे कहें तो सिंधिया की एक बाजी ने कमलनाथ सरकार को अल्पमत में ला दिया। 9 दिन ड्रामा चलता रहा, मगर 19 मार्च, 2020 की तारीख सबसे अहम थी। कांग्रेस के दिग्गज कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में बड़े नेता बागी विधायकों को मनाने के लिए बेंगलुरू पहुंचे। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और कांग्रेस की ये आखिरी कोशिश नाकाम हो गई।
19 मार्च 2020 की रात कमलनाथ को नींद नहीं आई!
कमलनाथ को ये जानकारी हो चुकी थी कि आज की रात बतौर मुख्यमंत्री उनकी आखिरी रात है। ऐसे में मुख्यमंत्री आवास में उनको 19 मार्च की सारी रात नींद नहीं आई होगी। 20 मार्च की सुबह हुई और कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट का सामना करना था। हालांकि मुख्यमंत्री आवास पर कमलनाथ ने एक प्रेस वार्ता बुलाई और उन्होंने अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। इसके तुरंत बाद राजभवन पहुंचकर राज्यपाल लालजी टंडन को उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस बार कमलनाथ के सामने ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसा कोई दूसरा रोड़ा नही हैं, ऐसे में उनके लिए इस चुनाव में खुला मैदान होगा। भाजपा ने सबसे चुनाव की घोषणा से पहले ही अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है।
कमलनाथ को भरोसा है कि इस चुनाव को उनकी वापसी जरूर होगी। चुनाव में क्या होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। मगर सियासत में कभी भी कुछ भी हो सकता है। ऐसे में कमलनाथ को निश्चित ही अपनी पुरानी गलती से सबक लेने की जरूरत है। मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों को लोकसभा चुनाव 2024 के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है।
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