हिंद महासागर में ड्रैगन पर नकेल कसने की तैयारी, नेवी ने मांगा तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर और 3 परमाणु पनडुब्बियां
बेल्ट-रोड-इनिशिएटिव (BRI) की आड़ में बीजिंग समुद्र में अपनी मजबूत रणनीति बनाने के साथ बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर चुका है। इसे लेकर नौसेना सतर्क है।
आईएनएस विक्रांत
Indian Navy: हिंद महासागर में चीन का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। चीनी नौसेना मलक्का जलडमरूमध्य से अदन की खाड़ी तक हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाती ही जा रही है। पीएलए की चुनौती से निपटने के लिए भारतीय नौसेना ने मोदी सरकार से एक और विमान वाहक, तीन परमाणु संचालित पनडुब्बियों और छह डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों का निर्माण करके अपनी ताकत बढ़ाने के लिए कहा है। इनका निर्माण पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत विजन के तहत और भारतीय शिपयार्ड में किया जाएगा।
BRI की आड़ में चीन का खेल
बेल्ट-रोड-इनिशिएटिव (BRI) की आड़ में बीजिंग समुद्र में मजबूत रणनीति बनाने के साथ बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर भी खड़ा कर चुका है। चीन ने मलक्का जलडमरूमध्य के पास कंबोडिया के रीम में लॉजिस्टिक्स बेस, बंगाल की खाड़ी में कोको द्वीप पर लिसनिंग पोस्ट, श्रीलंका में हंबनटोटा बेस, बलूचिस्तान में ग्वादर, जस्क नौसैनिक बेस है। ईरान में और लाल सागर के मुहाने पर जिबूती में एक आधुनिक नौसैनिक सुविधा मौजूद है।
नौसेना भी तैयार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, माना जा रहा है कि भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने मोदी सरकार से 45000 टन के विक्रांत श्रेणी के विमानवाहक पोत के दोबारा ऑर्डर देने की मांग की है। फ्रांस जैसे प्रमुख रक्षा सहयोगियों के साथ तीन परमाणु ऊर्जा संचालित पारंपरिक सशस्त्र पनडुब्बियां (SSN), और प्रोजेक्ट 76 के तहत उच्च तकनीक वाली डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां बनाई जानी हैं। अंदेशा है कि चीनी कैरियर 2025 की शुरुआत में हिंद महासागर में गश्त कर सकती है। इसके मद्देनजर नौसेना ने भी जवाबी तैयारी शुरू कर दी है।
भारत के पास दो विमान वाहक
भारत फिलहाल दो विमान वाहक (aircraft carriers) पोत संचालित करता है। पहला, रूसी मूल का नवीनीकृत आईएनएस विक्रमादित्य को नवंबर 2013 में 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सौदे के तहत शामिल किया गया था। इसमें MiG29K के दो स्क्वाड्रन के लड़ाकू विमान संचालित होते हैं। दूसरा है स्वदेशी विमान वाहक आईएनएस विक्रांत जिसे पिछले नवंबर में चालू किया गया था और इसका बेस विशाखापत्तनम है। भारत का पहला विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य अभी चालू है जबकि आईएनएस विक्रांत कारवार नौसेना बेस में नियमित ओवरहाल से गुजर रहा है।
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