INDIA नहीं BHARAT : सरकार को सबसे पहले किसने सुझाया 'भारत' नाम? क्या कहता है संविधान और सुप्रीम कोर्ट
INDIA vs BHARAT: देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत किए जाने का मुद्दा अचानक से सामने नहीं आया है। इसकी मांग लंबे समय से उठ रही है। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर दो बार याचिका भी दाखिल हुई है, जिन्हें खारिज कर दिया गया था।
भारत vs इंडिया विवाद
INDIA vs BHARAT: संसद के विशेष सत्र और जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले देश में एक नया सियासी भूचाल खड़ा हो गया है। अटकलें हैं कि सरकार विशेष सत्र के दौरान संविधान से 'INDIA' शब्द को हटाने के लिए बिल ला सकती है। इस बीच राष्ट्रपति भवन की ओर से जी-20 समिट के दौरान रात्रिभोज के लिए भेजे गए निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखे जाने पर कांग्रेस भड़क गई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने चुपके से देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत कर दिया है। उन्होंने कहा, यह संविधान के खिलाफ है। अब 'राज्यों का संघ' खतरे में है। ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि एकाएक यह बवाल कैसे खड़ा हो गया? सरकार नाम बदलने पर कब से विचार कर रही है? सबसे पहले सरकार को यह सुझाव किसने दिया और संविधान और सुप्रीम कोर्ट में INDIA और BHARAT को लेकर क्या कहा गया है? आइए जानते हैं...
एकाएक नहीं हुआ विवाद
बता दें, देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत किए जाने का मुद्दा अचानक से सामने नहीं आया है। इसकी मांग लंबे समय से उठ रही है। हालांकि, बीते कुछ दिनों से कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार आधिकारिक रूप से देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत कर सकती है। बता दें, इससे पहले यह मसला सुप्रीम कोर्ट में भी उठाया जा चुका है।
सरकार को किसने सुझाया नाम
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्षी दलों ने गठबंधन बनाया है और इसका नाम INDIA रखा है। इसके बाद से देश में INDIA नाम की सियासत ने जोर पकड़ लिया है। इसके बाद इसी महीने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में लोगों से अपील की थी कि वे इंडिया की जगह भारत नाम का इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा था कि सदियों से देश नाम भारत ही है, इंडिया नहीं।
संविधान में क्या कहा गया है?
संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है कि "इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा।" यहां एक बात समझना जरूरी है कि संविधान का अनुच्छेद 1 'इंडिया' और 'भारत' दोनों नामों को आधिकारिक मान्यता देता है। ऐसे में यदि सरकार केवल 'भारत' को आधिकारिक नाम बनाने का निर्णय लेती है, तो उन्हें संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पेश करना होगा। संविधान का अनुच्छेद 368 संविधान को साधारण बहुमत संशोधन या विशेष बहुमत संशोधन के माध्यम से संशोधित करने की अनुमति देता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या कहा?
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2016 में, सुप्रीम कोर्ट में देश का नाम इंडिया की जगह भारत किए जाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल कर दी थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था। इसके चार साल बाद यानी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर इंडिया से भारत नाम बदलने की मांग वाली इसी तरह की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। उस समय न्यायालय ने सुझाव दिया था कि याचिका को एक अभ्यावेदन में परिवर्तित किया जा सकता है और उचित निर्णय के लिए केंद्र सरकार को भेजा जा सकता है।
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मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें
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