Delhi Mayor Election: आप उम्मीदवार शैली ओबेरॉय बनीं दिल्ली की मेयर, भाजपा की रेखा गुप्ता को हराया
लंबे सियासी विवाद के बाद आज दिल्ली मेयर पद के लिए चुनाव हुआ था। तीन नाकाम कोशिशों के बाद आखिरकार दिल्ली मेयर के लिए मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई और नतीजा भी आ गया।
दिल्ली मेयर पद चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की है। आप उम्मीदवार शैली ओबेरॉय दिल्ली की मेयर चुनी गई हैं। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार रेखा गुप्ता को हराया। आज 241 पार्षदों सहित कुल 265 सदस्यों ने मेयर पद के लिए वोटिंग की थी। मतदान करीब दो घंटे तक चला और इसके बाद मतगणना हुई जिसमें शैली ओबेरॉय को विजेता घोषित किया गया।
दिल्ली मेयर चुनी गईं शैली ओबेरॉय ने कहा, मैं आप सभी को विश्वास दिलाती हूं कि मैं इस सदन को संवैधानिक तरीके से चलाऊंगी। मुझे उम्मीद है कि आप सभी सदन की गरिमा बनाए रखेंगे और इसके सुचारू संचालन में सहयोग करेंगे।
लंबे विवाद के बाद हुआ मतदान
लंबे सियासी विवाद के बाद आज दिल्ली मेयर पद के लिए चुनाव हुआ था। तीन नाकाम कोशिशों के बाद आखिरकार दिल्ली मेयर के लिए मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई और नतीजा भी आ गया। दिल्ली के डॉ. एस पी मुखर्जी सिविक सेंटर में मतदान हुआ। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव को लेकर रास्ता साफ हुआ है। भाजपा और आप में इसे लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है और सबकी नजरें इस ओर लगी हैं कि बाजी किसके हाथ लगेगी। क्रॉस वोटिंग की आशंका के बीच मेयर पद के लिए मतदान बेहद दिलचस्प हो गया है।
उत्तर-पूर्व दिल्ली से भाजपा सांसद हंसराज हंस ने कहा कि मेयर और डिप्टी-मेयर पद के लिए वोटिंग शुरू हो गई है। भाजपा ईमानदारी से मतदान कर रही है और हम ही जीतेंगे।
भाजपा ने पार्षदों को दिए अहम निर्देश
भाजपा ने मंगलवार को अपने 105 पार्षदों को पार्टी कार्यालय में बुलाया था और आज होने वाले महापौर चुनाव में मतदान करने और अनुभवी पार्षदों से मतदान प्रक्रिया की जानकारी लेने को कहा था। बैठक में दिल्ली भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दावा किया कि अगर पार्टी चुनाव हार जाती है तो भी मेयर चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले होंगे। भाजपा को भरोसा है कि महापौर के चुनाव में पार्टी 138 के जादुई आंकड़े को छूने में भी नाकाम रही तो भी उसके सदस्य को स्थायी समिति का अध्यक्ष चुन लिया जाएगा।
छह पदों के लिए भाजपा ने तीन प्रत्याशियों
यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि छह पदों के लिए भाजपा ने जहां तीन प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, वहीं आम आदमी पार्टी ने चार उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। ऐसे में महापौर के साथ ही उप महापौर पद और स्थायी समिति के सदस्यों के लिए चुनाव होने की स्थिति में भाजपा और आप दोनों की तरफ से क्रॉस वोटिंग के आसार हैं। माना जा रहा है कि दोनों दलों के नेता एक-दूसरे दल के पार्षदों के संपर्क में हैं और अपने प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कराने की कोशिश में भी जुटे हुए हैं।
बुधवार को स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए होने वाले चुनाव में अगर, भाजपा द्वारा उतारे गए तीनों प्रत्याशी सदन में जीत जाते हैं तो भाजपा स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाने की लड़ाई में आ जाएगी। अभी तक महापौर चुनाव कराने को लेकर चल रही खींचतान के पीछे भी स्थायी समिति ही वजह थी।
मनोनीत सदस्य मतदान नहीं कर सकेंगे
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्थायी समिति के छह सदस्यों के चुनाव में दिल्ली नगर निगम के मनोनीत सदस्य मतदान नहीं कर सकेंगे। भाजपा ने स्थायी समिति के लिए तीन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है और सभी को जिताने के लिए उसे अपने सभी पार्षदों के अलावा तीन अतिरिक्त वोटों की जरूरत है। किसी सदस्य को स्थायी समिति में स्थान पाने के लिए 36 मतों की जरूरत होती है। 105 सदस्यों वाली भाजपा को अपने तीनों सदस्यों को समिति में चुने जाने के लिए 108 पार्षद चाहिए।
आप को 10 अतिरिक्त पार्षदों के वोटों की जरूरत
आम आदमी पार्टी को अपने चारों सदस्यों को कमेटी में भेजने के लिए 10 अतिरिक्त पार्षदों के वोटों की जरूरत होगी। हालांकि, सदन में बहुमत वाली पार्टी के तीन सदस्य आसानी से चुने जाएंगे। लेकिन चौथी सीट के लिए उसे आप के पक्ष में मतदान करने के लिए 10 अतिरिक्त पार्षदों को इकट्ठा करने की जरूरत होगी। पार्टी के लिए इसे दूर करना मुश्किल होगा क्योंकि कांग्रेस ने चुनावों का बहिष्कार किया है। स्थायी समिति के अध्यक्ष के चुनाव के लिए 18 पार्षदों में से छह सदन से और 12 पार्षद 12 जोन से चुने जाते हैं।
भाजपा को 104, आप को 134 और कांग्रेस को नौ सीटें मिलीं
सात दिसंबर को घोषित एमसीडी चुनाव के नतीजों में भाजपा को 104, आप को 134 और कांग्रेस को नौ सीटें मिली थीं। तीन निर्दलीय भी चुने गए थे। बाद में एक निर्दलीय उम्मीदवार आप में शामिल हो गया और दूसरा भाजपा में शामिल हो गया। लिहाजा, अब सदन में सिर्फ एक निर्दलीय उम्मीदवार है। जब से 10 मनोनीत सदस्यों को सेंट्रल सिविल लाइंस और नरेला जोन में तैनात किया गया है, चुनावों में भाजपा का बहुमत चार से सात जोन तक बढ़ गया है। एल्डरमैन की तैनाती के बाद आठ जोन में आम आदमी पार्टी को जो बहुमत मिला था, वह घटकर तीन हो गया।
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