PFI पांच साल के लिए बैनः नरेंद्र मोदी सरकार ने घोषित किया 'गैरकानूनी संघ', आठ और संगठनों पर भी चलाया 'चाबुक'
इस बीच, बीजेपी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला बोले, "पीएफआई आतंकी संगठन है। यह सिमी का अवतार है। यह बात कई सरकारों ने कही है। आज सवाल तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों से है कि वह इस बैन का समर्थन करते हैं या नहीं?" वहीं, विहिप नेता विनोद बंसल ने बताया कि PFI जैसे संगठन पर प्रतिबंध जरूरी थाय़ मैं तो कहूंगा कि देर आए मगर दुरुस्त आए।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर बड़ा फैसला लिया है। मंगलवार (27 सितंबर, 2022) को केंद्र ने पीएफआई, इसके सदस्यों, संबद्ध संगठनों और फ्रंट्स को तत्काल प्रभाव से पांच साल के लिए अवैध संघ (Unlawful Association) घोषित कर दिया।
केंद्र की ओर से इस कार्रवाई के अलावा आठ और संगठनों पर भी टेरर लिंक को लेकर चाबुक चलाया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनमें रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कनफडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वीमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन व रिहैब फाउंडेशन (केरल)।
बुधवार (28 सितंबर, 2022) को बीजेपी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला बोले, "पीएफआई आतंकी संगठन है। यह सिमी का अवतार है। यह बात कई सरकारों ने कही है। आज सवाल तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों से है कि वह इस बैन का समर्थन करते हैं या नहीं?" वहीं, विहिप नेता विनोद बंसल ने बताया कि PFI जैसे संगठन पर प्रतिबंध जरूरी थाय़ मैं तो कहूंगा कि देर आए मगर दुरुस्त आए।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने बुधवार को बेंगलुरु में कहा- राजस्थान में भी जिस प्रकार कई ज़िलों में दंगा हुआ। उसी समय हम कह रहे थे कि पीएफआई का इसमें हाथ था। यहां (कर्नाटक में) पर भी जब सिद्धारमैया कि सरकार था उस समय भी 23 से अधिक लोगों की हत्या हुई थी। देश को अखंड रखने के लिए इसपर (पीएफआई) बैन जरूरी था।
केंद्र की ओर से यह एक्शन ऐसे वक्त पर लिया गया जब एक रोज पहले मंगलवार (27 सितंबर, 2022) को पीएफआई के खिलाफ नए सिरे से कार्रवाई की गई थीं। देश के सात राज्यों में इस संगठन से जुड़े 170 से अधिक लोग हिरासत में लिए गए या गिरफ्तार किए गए थे।
पीएफआई पर कट्टरपंथ से जुड़े होने का अक्सर आरोप लगाया जाता रहा है। इसके खिलाफ पांच दिन पहले देशभर में इसी तरह की एक कार्रवाई किये जाने के बाद ये छापे मारे गए। छापेमारी की कार्रवाई, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, असम और मध्य प्रदेश की पुलिस ने की।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के नेतृत्व में विभिन्न एजेंसी की टीम ने देश में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के आरोप में 22 सितंबर को पीएफआई के खिलाफ 15 राज्यों में छापेमारी की थी। उसके 106 नेताओं व कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। एनआईए, पीएफआई की संलिप्तता वाले 19 मामलों की जांच कर रही है।
पीएफआई की शुरुआत 16 साल पहले दक्षिण भारत से हुई थी। 2006 मं मनिथा नीति पसाराई (एमएनपी) और नेशनल डेवलपमेंट फंड (एनडीएफ) नाम के संगठनों ने मिलकर पीएफआई का गठन किया था। साउथ इंडिया के बाद देखते-देखते यह यूपी और बिहार समेत लगभग 23 सूबों तक अपने पैर पसार चुका था।
पीएफआई की अधिकतर फंडिंग सदस्यता फीस और जकात के जरिए होती है। संगठन के पदाधिकारी लगातार उन मुल्कों में भी आते-जाते रहते हैं, जबकि खाड़ी देशों और अन्य इस्लामिक मुल्कों से भी भी इसे जकात के नाम पर मोटा फंड हासिल होता रहा है।
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