दुनिया का पहला तंबाकू मुक्त देश, इसकी खेती पर आजतक लगा है बैन; समझिए कैसे दुनिया के सामने मिसाल है भूटान
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, तंबाकू उपयोग से होने वाली मौतों की संख्या हर साल 8 मिलियन से अधिक है, जिसमें से 7 मिलियन मौतें सीधे तंबाकू उपयोग से होती हैं और लगभग 1.3 मिलियन मौतें सेकेंड-हैंड स्मोक के कारण होती हैं । भूटान ने 2004 में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया था। हालांकि, COVID-19 महामारी के दौरान 2021 में तंबाकू बिक्री पर प्रतिबंध को आंशिक रूप से हटा दिया गया था, जिससे तंबाकू उपयोग में वृद्धि हुई है।

दुनिया का पहला तंबाकू मुक्त देश
हर साल दुनिया भर में तंबाकू उपयोग के कारण लगभग 8 मिलियन मौतें होती हैं। इनमें से 7 मिलियन से अधिक मौतें सीधे तंबाकू उपयोग से होती हैं, जबकि लगभग 1.3 मिलियन मौतें उन गैर-धूम्रपान करने वालों की होती हैं जो तंबाकू के धुएं के संपर्क में आते हैं। भारत में भी तंबाकू उपयोग एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कानून (COTPA) के तहत तंबाकू उत्पादों की बिक्री, विज्ञापन, और सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाया गया है। फिर भी, तंबाकू उपयोग की दर उच्च है, विशेषकर युवाओं में। ऐसे में जब पूरी दुनिया तबांकू से होने वाली मौतों का सामना कर रही है, तब एक देश ऐसा है, जहां तंबाकू पर एक समय में पूर्ण प्रतिबंध था, आज की तारीख में हल्के प्रयोग की इजाजत है। भूटान, जिसे अक्सर "दुनिया का पहला तंबाकू मुक्त देश" कहा जाता है, ने 2004 में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया था। यह निर्णय भूटान की "ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस" नीति के तहत लिया गया था, जो मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देती है।
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15 साल पहले का ऐतिहासिक फैसला
आज से ठीक 15 साल पहले भूटान ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 15 जून 2010 को खुद को विश्व का पहला ऐसा देश घोषित किया, जिसने तंबाकू पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया। हालांकि, भूटान ने 2004 में ही तंबाकू की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन 2010 में पारित हुए नए "तंबाकू नियंत्रण अधिनियम" ने इसे एक नए स्तर पर पहुंचा दिया, जिसमें तंबाकू की खेती, उत्पादन, वितरण और बिक्री पर व्यापक रोक शामिल है।
भूटान का यह निर्णय अचानक नहीं था, बल्कि यह एक दशक से अधिक समय से चल रहे प्रयासों का परिणाम था। भूटान की नेशनल असेंबली ने 17 दिसंबर 2004 को देश भर में किसी भी प्रकार की तंबाकू बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था, जिससे यह इस तरह का कदम उठाने वाला दुनिया का पहला राष्ट्र बन गया।
बौद्ध धर्म से प्रेरणा
इसके बाद, फरवरी 2005 तक सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान भी प्रतिबंधित कर दिया गया। भूटान में तंबाकू पर प्रतिबंध सिर्फ सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता से प्रेरित नहीं था, बल्कि इसकी गहरी जड़ें बौद्ध धर्म में भी थीं, जहां तंबाकू को "पाप" माना गया है। इस प्रकार, यह प्रतिबंध स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ धार्मिक-सांस्कृतिक प्रतिबद्धता का भी प्रतीक था। साल 2004 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के 'संयुक्त राष्ट्र का धूम्रपान नियंत्रण फ्रेमवर्क कन्वेंशन' को भूटान द्वारा पुष्टि करने से इस नीति को और भी मजबूती मिली, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी प्रासंगिकता स्थापित हुई।
तंबाकू उत्पादन पर आज भी बैन
दिसंबर 2004 में बिक्री प्रतिबंध के बाद, 2005 से 2010 तक भूटान ने धीरे-धीरे अपने नियमों को और अधिक मजबूत किया। इस कानून में न केवल तंबाकू की खेती, उत्पादन, वितरण और बिक्री पर रोक लगाई गई, बल्कि सरकार द्वारा तंबाकू छोड़ने की सुविधा प्रदान करने का प्रावधान भी शामिल किया गया, जो इस पहल की व्यापकता को दर्शाता है।
हर साल लाखों लोगों की तंबाकू से मौत
श्रेणी | वार्षिक मौतों की संख्या |
---|---|
कुल मौतें | 8 मिलियन से अधिक |
स्मोकिंग से संबंधित मौतें | 7 मिलियन से अधिक |
सेकेंड-हैंड स्मोक से संबंधित मौतें | 1.3 मिलियन |
लंग संबंधित बीमारियों से मौतें | 3.3 मिलियन |
हृदय रोगों से संबंधित मौतें | 2 मिलियन |
कैंसर से संबंधित मौतें | 2 मिलियन |
बैन के बाद बढ़ी तस्करी
हालांकि, इस सख्त प्रतिबंध के कुछ अनपेक्षित परिणाम भी सामने आए। तस्करी में तेजी से वृद्धि हुई, विशेष रूप से भारत से तंबाकू की मांग का एक काला बाजार विकसित हो गया। साल 2010 में सरकार ने सख्त जुर्माना और दंड का प्रावधान किया, जिसमें कुछ साल तक की जेल की सजा भी शामिल थी, लेकिन इसके बावजूद प्रतिबंध के प्रभाव और इससे जुड़े विवाद बने रहे।
2012 के बाद थोड़ी सी ढील
कुछ विरोधों के बाद 2012 में विभिन्न कानूनी संशोधन हुए। व्यक्तिगत उपभोग के लिए लाई जाने वाली तंबाकू की मात्रा की सीमा तय की गई, और तुलनात्मक रूप से सजाओं को हल्का कर दिया गया, जो सरकार की ओर से जन भावनाओं के प्रति कुछ लचीलेपन को दर्शाता है। साल 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन और भारत-भूटान सीमा सील होने के कारण तस्करी पर अस्थायी रूप से असर पड़ा। इस संकट के दौरान, सरकार ने तस्करी को कम करने और संक्रमण की संभावना को कम करने के लिए स्थानीय स्टेट-स्वामित्व वाले ड्यूटी-फ्री आउटलेट्स में सीमित तौर पर तंबाकू की बिक्री फिर से बहाल कर दी। हालांकि, यह बहाली "अस्थायी" बताई गई और तंबाकू की खेती, उत्पादन और व्यापक वितरण पर प्रतिबंध जारी रहा।
दुनिया के लिए मिसाल
भूटान का तंबाकू पर पूर्ण प्रतिबंध का यह सफर एक महत्वाकांक्षी, लेकिन चुनौतीपूर्ण पहल रही है, जो दुनिया के अन्य देशों के लिए एक केस स्टडी के रूप में काम करती है। जहां भूटान ने स्वास्थ्य और धार्मिक-सांस्कृतिक मूल्यों को प्राथमिकता दी है, वहीं इस नीति के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को संतुलित करना भी एक सतत चुनौती रही है।
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