क्या ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर संयंत्र को निशाना बनाएगा इजरायल? बिना US की मदद इस 'किले' को भेद पाना है मुश्किल

फोर्डो संयंत्र चट्टानों के करीब 90 मीटर नीचे है, ऐसे में इसे भेद पाने के लिए बहुत ही शक्तिशाली बम की जरूरत होगी। ऐसा बम केवल अमेरिका के पास है और इस तरह के भारी बम को अमेरिकी प्लेन से ही गिराया जा सकता है। इस संयंत्र को भेदने और तबाह करने के लिए बंकर बस्टर बम की जरूरत होगी। बंकर बस्टर बम जमीन की सतह के काफी नीचे जाकर विस्फोट करने के लिए बनाए गए हैं।

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फोर्डो न्यूक्लियर ईंधन संवर्धन प्लांट।

Fordo nuclear fuel enrichment plant : ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष पांचवें दिन भी जारी है। किसी तरह की सीजफायर होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पहले इस हमले का उद्देश्य पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं। वह कह चुके हैं कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए यह हमला हुआ है। इसीलिए इजरायल ने ईरान के परमाणु संयंत्रों को निशाना बनाकर हमले हुए हैं और उन्हें तबाह किया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा है कि उनकी कोशिश सीजफायर की नहीं बल्कि ईरान को परमाणु कार्यक्रम रहित करना है। यानी दोनों नेता अपने इरादे साफ कर चुके हैं। उनके बयान बताते हैं कि दोनों नेता ईरान की परमाणु कार्यक्रम क्षमता को पूरी तरह से खत्म करने की ठान चुके हैं।

काफी गोपनीय और सुरक्षित है फोर्डो संयंत्र

सवाल है कि इस तरह के हवाई हमलों एवं बमबारी मात्र से ही क्या ईरान की परमाणु बम बनाने की तमाम संभावनाएं खत्म हो जाएंगी? तो शायद ऐसा नहीं हो पाए क्योंकि ईरान के पास एक ऐसा परमाणु संयंत्र है जो काफी गोपनीय और सुरक्षित है। इस संयंत्र का नाम फोर्डो परमाणु ईंधन प्लांट है जो कि राजधानी तेहरान से 125 मील दूर एक पहाड़ के नीचे करीब 300 फीट गहराई में बना हुआ है। बताया जाता है कि पहाड़ी पर स्थित इसी संयंत्र में ईरान अपने लिए अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम (U-235) का उत्पादन करता है।

80 से 90 मीटर मोटी चट्टानों के नीचे है यह संयंत्र

U-235 परमाणु बम निर्माण के लिए बेहद अहम है। यह संयंत्र ईरान के लिए इतना संवेदनशील और महत्वपूर्ण है कि इसकी उसने जोरदार किलेबंदी की है। हवाई हमलों और बम गिराकर इसे नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता। यह ठिकाना कम-से-कम 80 से 90 मीटर मोटी चट्टानों के नीचे बना हुआ है। इसे रूसी S-300 एयर डिफेंस सिस्टम और भारी सैन्य उपस्थिति से ईरान ने इसे सुरक्षित किया हुआ है।

क्या है बंकर बस्टर बम?

चूंकि फोर्डो संयंत्र चट्टानों के करीब 90 मीटर नीचे है, ऐसे में इसे भेद पाने के लिए बहुत ही शक्तिशाली बम की जरूरत होगी। ऐसा बम केवल अमेरिका के पास है और इस तरह के भारी बम को अमेरिकी प्लेन से ही गिराया जा सकता है। इस संयंत्र को भेदने और तबाह करने के लिए बंकर बस्टर बम की जरूरत होगी। बंकर बस्टर बम जमीन की सतह के काफी नीचे जाकर विस्फोट करने के लिए बनाए गए हैं। अमेरिका का GBU-57 A/B मैसिव ऑर्डनेंस पेनेटरेटर इसी तरह का बम है। इस बम का वजन लगभग 30,000 पाउंड (13,600 किलोग्राम) है। इसे गहरी सुरंगों और मजबूत बंकरों पर सटीक हमला करने के लिए बनाया गया है। रिपोर्टों की मानें तो यह बम सतह से लगभग 200 फीट (61 मीटर) नीचे तक घुस सकता है और फिर विस्फोट करता है। इस बम को एक के बाद एक गिराया जा सकता है, जिससे हर विस्फोट के साथ यह और गहराई तक पहुंच जाए।

'फोर्डो में उच्च स्तर पर समृद्ध यूरेनियम का उत्पादन कर रहा ईरान'

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) का कहना है कि ईरान फोर्डो में उच्च स्तर पर समृद्ध यूरेनियम का उत्पादन कर रहा है। इस वजह से, यदि GBU-57 A/B से इस सुविधा पर हमला होता है, तो उस क्षेत्र में रेडियोधर्मी सामग्री के फैलने की आशंका हो सकती है। आईएईए के मुताबिक इजरायल ने अपने हालिया हवाई हमलों में नतांज के एक अन्य ईरानी परमाणु स्थल पर सेंट्रीफ्यूज साइट को निशाना बनाया, जिससे केवल उसी स्थल पर रेडियोधर्मी प्रदूषण हुआ न कि आसपास के क्षेत्र में।

कितना मजबूत है फोर्डो

फोर्डो नतांज के बाद ईरान की दूसरी परमाणु संवर्धन संयंत्र है। रिपोर्टों की मानें तो अभी तक इजरायली हमलों से नतांज के भूमिगत संवर्धन केंद्र को कोई नुकसान नहीं हुआ है, और न ही उन्होंने पास में ईरान द्वारा खुदी जा रही सुरंगों को निशाना बनाया है। फोर्डो नतांज की तुलना में छोटा है और यह तेहरान से लगभग 95 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित कोम शहर के पास एक पहाड़ के अंदर बना हुआ है। इसका निर्माण लगभग 2006 में शुरू हुआ था और 2009 में यह परिचालन में आया। इस संयंत्र की सुरक्षा में ईरान ने अपने स्पेशल फोर्सोज को लगाया है और सतह से हवा में मार करने वाली एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किया है। GBU-57 A/B बम को कोई भी ऐसा बमवर्षक विमान गिरा सकता है जो इसका वजन उठा सके। लेकिन वर्तमान में, केवल अमेरिका का B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर ही इस बम को ले जाने और गिराने के लिए तैयार किया गया है। B-2 बॉम्बर केवल अमेरिकी वायुसेना ही उड़ाती है।

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आलोक कुमार राव author

आलोक कुमार राव न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं। यूपी के कुशीनगर से आने वाले आलोक का पत्रकारिता में करीब 19 साल का अनुभव है। समाचार पत्र, न्यूज एजेंसी, टेल...और देखें

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