11 Years of PM Modi: आखिर एक साल में ही PM मोदी ने कैसे पलट दिया पूरा पासा? विपक्ष हारा नहीं बल्कि पूरी तरह से बिखरा भी!

लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से विपक्ष इस समय बिखरा हुआ दिख रहा है यानी विपक्ष लोकसभा चुनाव के बाद जिस उत्साह में दिख था वो उत्साह ठंडा है उधर बीजेपी ने दिल्ली से केजरीवाल सरकार को उखाड़ फेंका वहीं जम्मू कश्मीर में मजबूत हुई साथ ही बीजेपी ने महाराष्ट्र-हरियाणा में सत्ता बरकरार रखी है।

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एक साल में कैसे बीजेपी हो गई विपक्ष पर पूरी तरह से हावी

पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल का एक साल सोमवार को पूरा हो जाएगा। इस एक साल में पीएम मोदी ने विपक्ष की रणनीति की हवा ही नहीं निकाली बल्कि उसे हराया भी और तोड़ा भी। दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक और हरियाणा से लेकर जम्मू कश्मीर तक में बीजेपी ने जहां अपनी रणनीति का लोहा मनवाते हुए कहीं जीती तो कहीं मजबूत हुई। इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव के दौरान गठित विपक्षी गठबंधन इंडिया की भी हवा निकाल दी। केजरीवाल दिल्ली से साफ हो गए, लोकसभा में जिस महाराष्ट्र में विपक्ष काफी मजबूत दिख रहा था, उसे विधानसभा चुनाव में पटखनी दे डाली। जम्मू कश्मीर में कांग्रेस को बड़ी हार मिली, गठबंधन तो जीता लेकिन कांग्रेस सरकार से दूर रही। वहीं बीजेपी ने ऐतिहासिक रूप से मजबूती हासिल की।

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लोकसभा चुनाव में लगे झटके से उबरी बीजेपी

4 जून 2024 को जब लोकसभा चुनाव 2024 का रिजल्ट आया था तब बीजेपी को झटका लगा था, जो बीजेपी 400 सीटों का दावा कर रही थी, वो 240 सीट पर अटक गई। जदूय और तदेपा के साथ मिलकर पीएम मोदी ने सरकार तो बना ली, लेकिन विपक्ष ने इसे खूब भुनाया। विपक्ष ने दावा किया कि मोदी मैजिक खत्म हो गया, यही कारण है कि लोग अब बीजेपी से कट रहे हैं। कांग्रेस ने 99 सीटों पर जीत हासिल की थी और राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भी बने। लेकिन एक साल के अंदर ही पीएम मोदी ने सारा पासा पलट दिया। विपक्ष को चुनाव में हराया, जहां कम उपस्थिति थी वहां मजबूत हुई। विपक्ष भी पूरी तरह से बिखरा दिख रहा है, आज इंडिया गठबंधन की कोई चर्चा ही नहीं हो रही है, विपक्षी पार्टियां अकेले-अकेले, अपने-अपने रास्ते पर चलते दिख रही हैं।

कांग्रेस थी उत्साहित

लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद आलोचकों ने मोदी सरकार की तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जदयू नेता नीतीश कुमार पर निर्भरता पर खूब बात की थी। आलोचकों ने कहा था कि नायडू और कुमार का गठबंधन बदलने का इतिहास रहा है और उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में लोकसभा चुनाव में इसका (भाजपा) प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा है, जिससे भविष्य में राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा था- ‘‘हमने मोदी को मनोवैज्ञानिक रूप से खत्म कर दिया है। उनकी सरकार को जल्द ही सत्ता से हटा दिया जायेगा।’’

विपक्ष जिसे बता रही थी बैसाखी वो निकले भरोसेमंद साथी

सोमवार को मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ तथा कुल मिलाकर 11वीं वर्षगांठ मनायेगी और प्रधानमंत्री पहले की ही तरह मजबूत स्थिति में और पूरे आत्मविश्वास के साथ नेतृत्व करते नजर आ रहे हैं। वहीं, उनके दो प्रमुख सहयोगी (नायडू और कुमार), जिन्हें विपक्ष बैसाखी बता रहा था, न केवल भरोसेमंद साबित हुए हैं, बल्कि जमकर मोदी के नेतृत्व की सराहना कर रहे हैं। भाजपा ने अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक पहुंच को नये सिरे से तैयार करने के लिए फिर से काम शुरू किया है और विधानसभा चुनावों में आश्चर्यजनक रूप से बड़ी जीत हासिल करके अपनी गति फिर से हासिल कर ली।

जहां हुई थी कमजोर, वहीं किया दमदार प्रदर्शन

लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन हरियाणा और महाराष्ट्र में उम्मीद से कम रहा था, लेकिन इस पार्टी ने अपने कल्याणकारी उपायों और क्षेत्रीय नेतृत्व के प्रयासों से स्थिति को बदल दिया और विधानसभा चुनाव में इन दोनों राज्यों में जीत हासिल की। भाजपा ने अंततः 26 वर्षों के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की और अपने प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को पछाड़ दिया।

विपक्ष के लिए चुनौतियां बरकरार

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और केजरीवाल जैसे अन्य भाजपा के प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से दूर हो गए हैं और शिवसेना (उबाठा) और राकांपा (एसपी) जैसे दलों का भविष्य अनिश्चित है। संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक को पारित कराने में तेदेपा, जद(यू) और चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा (रामविलास) से मिले समर्थन और विधानसभा चुनावों में जीत के बाद भाजपा के निर्विवाद प्रभुत्व को रेखांकित किया। यदि भाजपा अपनी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले वर्ष में आम चुनाव में विपक्ष से खोई अपनी राजनीतिक जमीन वापस पाने में सफल होती दिखती है तो अगले वर्ष यह पता चलेगा कि क्या पार्टी अपने प्रतिद्वंद्वियों को और अधिक हैरान कर सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि विपक्ष के कई गढ़ जैसे तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल के अलावा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) शासित दो राज्यों असम और बिहार में भी विधानसभा चुनाव होने हैं।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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