राजनीति में जाति और जाति की राजनीति: क्या राहुल गांधी ने फिर अपने ही पैर पर मारी कुल्हाड़ी? समझिए नफा-नुकसान
Caste Politics: राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति का मुद्दा उठाया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष का दावा का है कि पीएम मोदी जन्मजात ओबीसी नहीं हैं। भाजपा ने राहुल के इस बयान पर उन्हें तथ्यों के आधार पर घेरना शुरू कर दिया। चुनावी सरगर्मी के बीच उठा ये मुद्दा कांग्रेस को फायदा पहुंचाएगा या नुकसान?
राहुल गांधी ने पीएम मोदी की जाति पर उठाया सवाल।
चाणक्य नीति 'साम, दाम, दंड, भेद' सियासत का मूलभूत आधार माना जाता है। साम- सम्मान देकर या समझाकर, दाम- मूल्य देकर या खरीदकर, दंड- सजा देकर और भेद- फूट डालकर। मतलब साफ हर पैंतरा राजनीति का हिस्सा ही होता है। राजनीति में जाति का महत्व बेहद खास है, जाति की राजनीति चुनाव का सबसे बड़ा आधार होता है। शायद यही वजह है कि बीते कुछ दिनों से जाति जनगणना के मुद्दे को तूल देने की कोशिशें हो रही हैं। विपक्ष लगातार इसकी मांग कर रहा है, कई पार्टियों के लिए ये एक चुनावी मुद्दा बन चुका है। इसी बीच जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के पटल से इस विषय पर जवाब दिया तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान पीएम मोदी की जाति पर ही सवाल खड़ा कर दिया।
क्या राहुल गांधी ने कर दी कोई बड़ी गलती?
केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने दावा किया है कि 'गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपनी जाति बदलकर ओबीसी कर ली, इसलिए मोदी जी जन्म से ओबीसी नहीं हैं।' राहुल के इस दावे के बाद सियासी महकमे में एक नई बहस शुरू हो चुकी है। भाजपा ने तथ्यों के आधार पर कांग्रेस नेता के इस दावे को सिरे से नकार दिया और उन्हें नासमझ करार दिया है। देश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी सबसे अधिक है। पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के मुताबिक, 2021-22 में ओबीसी की आबादी 46 फीसदी के आसपास होने का अनुमान है। ऐसे में अगर ये धड़ा जिस भी नेता और पार्टी ने नाराज हो गया, उसकी जमीन खिसकनी तय है। राहुल के इस बयान के मायने चाहे जो भी हो, अगर कांग्रेस ओबीसी जाति के लोगों को ये समझाने विफल होती है तो इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
चुनाव से पहले जाति के मुद्दे पर क्यों छिड़ी बहस?
लोकसभा चुनाव नजदीक है और राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले हुए हैं। एक तरफ वो भारत जोड़ने और न्याय की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीति में जाति के मुद्दे को तूल देने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस और राहुल ये समझते हैं कि ओबीसी धड़े को अपनी ओर खींचकर चुनाव में बड़ा लाभ हासिल किया जा सकता है। बीते 10 सालों से कांग्रेस की स्थिति को देखकर ये समझा जा सकता है कि अपनी जमीन तलाशने वाली पार्टी 'साम, दाम, दंड, भेद' अपनाने में जरा भी संकोच नहीं करेगी। कांग्रेस ने जाति की राजनीति की बहस को तूल दिया, भाजपा भी राहुल गांधी को माकूल जवाब दे रही है।
आखिर राहुल ने क्या कहा और सच क्या है?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ओडिशा में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान अपने भाषण में कहा था कि मोदी का जन्म ऐसे परिवार में हुआ जो सामान्य जाति की श्रेणी में आता था। कांग्रेस नेता ने कहा, 'मोदी जी लोगों को यह कह कर गुमराह करते आ रहे हैं कि वह अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं। उनका जन्म ‘घांची’ जाति के परिवार में हुआ था, जिसे 2000 में गुजरात में भारतीय जनता पार्टी सरकार के कार्यकाल के दौरान ओबीसी सूची में शामिल किया गया।' उन्होंने कहा, 'गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपनी जाति बदलकर ओबीसी कर ली, इसलिए मोदी जी जन्म से ओबीसी नहीं हैं।' हालांकि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, धर्मेंद्र प्रधान समेत कई भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि गांधी इस मुद्दे पर झूठ फैला रहे हैं।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री जोशी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 'सच्चाई यह है कि मोदी को ओबीसी का दर्जा 27 अक्टूबर 1999 को दिया गया, उनके गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से दो साल पहले। कांग्रेस एक बार फिर ओबीसी समुदाय को अपमानित कर रही है लेकिन ओबीसी समुदाय आगामी लोकसभा चुनाव में इसका करारा जवाब देगा।' इसके बाद राहुल गांधी ने भी ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 'मोदी जी जन्म से नहीं बल्कि 'कागजी ओबीसी' हैं। अपने जन्म के पांच दशक बाद तक वह ओबीसी नहीं थे। मेरी इस सच्चाई की पुष्टि करने के लिए भाजपा सरकार को धन्यवाद।'
सुर्खियां बटोरने के लिए मोदी की जाति का मुद्दा उठाया?
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी के उस बयान की आलोचना की, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्म अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से ताल्लुक रखने वाले परिवार में नहीं हुआ था। अनुराग ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस नेता सुर्खियां बटोरने के लिए कोई भी ‘अनाप-शनाप’ दावा कर सकते हैं। ठाकुर ने गांधी पर जातिवाद और क्षेत्रवाद की राजनीति करके देश को विभाजित करने का भी आरोप लगाया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने यह भी मांग की कि गांधी अपनी टिप्पणी से ओबीसी समुदाय का अपमान करने के लिए देश से माफी मांगें।
ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, 'हर बार की तरह इस बार भी राहुल गांधी का एक और झूठ बेनकाब हुआ। या तो राहुल गांधी सचमुच नासमझ हैं या फिर उन्हें लगता है कि बार-बार झूठ बोलने से झूठ को सच मान लिया जाता है। राहुल गांधी जी को पहले खुद के साथ न्याय करना चाहिए, अगर वह हर दिन इसी तरह झूठ फैलाएंगे और बेचेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब वह केवल हास्य, व्यंग्य और मनोरंजन तक ही सीमित रह जाएंगे।'
ओबीसी के अपमान से क्या होगा नुकसान?
चुनाव नजदीक है, ऐसे में ओबीसी का अपमान करना किसी भी सियासी दल के लिए अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने के समान होगा। भाजपा ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी का बयान पूरे ओबीसी समुदाय का अपमान है। राहुल के इस बयान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। भाजपा ये संदेश देने की कोशिश में है कि ये सिर्फ पीएम मोदी का नहीं, बल्कि ओबीसी जाति का अपमान है। कांग्रेस ने इससे पहले भी पीएम मोदी के खिलाफ चायवाला, नीच, जहरीला सांप, हिटलर, तानाशाह, चूहा, मौत का सौदागर जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके अपनी काफी भद्द पिटवाई है। ऐसे में अगर राहुल का ये बयान कांग्रेस की नई मुसीबत खड़ी कर दे, तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी।
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