Bihar Vidhan Sabha Chunav (बिहार आचारसंहिता): बिहार विधानसभा के चुनावों की घोषणा के साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है। राज्य में अब नई सरकार बनने तक कई कार्यों पर रोक रहेगी। चलिए जानते हैं, इस दौरान किन-किन कामों की मनाही है और किनके लिए चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी होगी।
Bihar Model Code of Conduct: बिहार में आज यानी सोमवार 6 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) की तारीखों की घोषणा कर दी गई। राज्य में कुल 2 चरणों में मतदान होगा और 14 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। चुनाव आयोग ने दोपहर बाद 4 बजे दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पूरे चुनाव कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। इसे के साथ बिहार में आदर्श आचार आचार संहिता भी लागू हो गई है। आदर्श आचार संहिता के दौरान नेताओं और सरकार के कई कार्यों पर रोक लग जाती है। चुनाव आयोग की नजर सरकार और नेताओं के हर क्रिया कलाप पर होती है। चलिए जानते हैं आदर्श आचार संहिता में किन चीजों की मनाही होती है -
आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी भी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता, जिससे किसी खास पार्टी को फायदा पहुंच रहा हो।
सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग इस पर विशेष नजर रखता है।
किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी गाड़ी का इस्तेमान नहीं किया जा सकता।
आदर्श आचार संहिता लगने के बाद सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यांस और भूमिपूजन जैसे कार्यक्रम नहीं हो सकते। यानी आज से चुनाव प्रक्रिया के पूरा होने तक किसी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण या शिलान्यांस नहीं हो सकता।
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी अधिकारियों और पदाधिकारियों के ट्रांसफर और तैनाती पर प्रतिबंध लग जाता है। किसी भी तरह के ट्रांसफर होते भी हैं तो यह चुनाव आयोग ही करता है।
सरकारी खजाने से पार्टी या सरकार की उपलब्धियों के विज्ञापन किसी भी माध्यम में नहीं दिए जा सकते।
सत्तारूढ़ पार्टी ने अपनी उपलब्धियों वाले जो भी होर्डिंग और विज्ञापन सरकारी खर्च से लगवाए हैं, उन सभी को तुरंत हटा लिया जाता है।
किसी भी पार्टी, उम्मीदवार या समर्थकों की रैली या जुलूस निकालने या चुनावी सभा के लिए पुलिस से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होता है।
कोई भी राजनीतिक दल, जाति या धर्म के आधार पर वोट नहीं मांग सकता।
राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइटों से मंत्रियों, नेताओं और राजनीतिक दलों के सभी संदर्भ निकाल दिए जाते हैं।
कृषि-संबंधी उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी निर्धारित करने के लिए सत्तारूढ़ दल को चुनाव आयोग से परामर्श करना पड़ता है।
आदर्श आचार संहिता के नियमों का पालन सभी राजनीतिक दलों, उनके कार्यकर्ताओं और उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य है। आचार संहिता के उल्लंखन को आयोग गंभीरता से लेता है। ऐसा करने पर आयोग प्रत्याशी और राजनीतिक दल के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है। यहां तक की मामला गंभीर होने पर चुनाव आयोग किसी उम्मीदवार के चुनाव लड़ने पर रोक भी लगा सकता है।
आचार संहिता के उल्लंघन पर आपराधिक मामला भी दर्ज हो सकता है और प्रत्याशी या कार्यकर्ताओं के जेल जाने की भी नौबत आ सकती है।
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साल 2006 से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं। शुरुआत में हिंदुस्तान, अमर उजाला और दैनिक जागरण जैसे अखबारों में फ्रीलांस करने के बाद स्थानीय अखबारों और मै... और देखें