Bhopal Tiger:भोपाल का कालियसोत बांध बना टाइगर की सैरगाह, लोगों में दहशत

गया। महकमे के अधिकारियों के मुताबिक इस इलाके में टाइगर का आना- जान विगत 3 माह से चल रहा है। भोपाल शहर के आसपास का करीब 25 किमी का इलाका टाइगर्स की टेरेटरी है। यहां 20 बाघों का अक्सर मूवमेंट रहता है।

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टाइगर की चहल कदमी से शहर के लोगों में दहशत

Bhopal News: राजधानी भोपाल में टाइगर की चहल कदमी से शहर के लोगों में दहशत है। दरअसल टाइगर का मूवमेंट कलियासोत बांध इलाके की वाल्मी पहाड़ी पर है। कई लोगों ने टाइगर के घूमने का वीडियो भी बना लिया जो कि अब सोशल मीडिया पर तेजी से ट्रेंड हो रहा है। इधर, जिम्मेदार महकमे के अधिकारियों के मुताबिक इस इलाके में टाइगर का आना- जान विगत 3 माह से चल रहा है। मगर अभी तक किसी को नुकसान पहुंचाने की बात सामने नहीं आई है।

फॉरेस्ट महकमे के आला अधिकारी आरएस भदौरिया के मुताबिक टाइगर के घूमने की जानकारी सामने आई है। ये बाघ इस इलाके में कई माह से घूम रहा है। हालांकि अभी तक इसने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है। इस इलाके में बाघों का आना - जाना पहले भी रहा है।

बाघों का है ये इलाका

वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक भोपाल शहर के आसपास का करीब 25 किमी का इलाका टाइगर्स की टेरेटरी है। यहां 20 बाघों का अक्सर मूवमेंट रहता है। जिसमें कलियासोत, समेत केरवा का वन क्षेत्र व कोलार-बैरसिया इलाका शामिल है, जहां पर बाघ देखे गए हैं। इस साल फरवरी में चूना भट्टी चौराहे समेत भोज विश्वविद्यालय के कैंपस में बाघ देखे जाने का मामला सामने आया था। वहीं कोलार इलाके में भी टाइगर का मूवमेंट होने का मामला सामने आया था।

वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस समय पूरे प्रदेश में बाघों की संख्या 526 है। जिसमें से भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय पार्क के 13 टाइगर भी शामिल हैं। वन महकमे के अधिकारियों के मुताबिक राजधानी के कलियासोत, केरवा, समरधा, अमोनी और भानपुर के दायरे में 13 टाइगर घूम रहे हैं। इनका जन्म यहीं हुआ है। अब यहीं इनका राजसी ठाट बाट कायम है। बता दें कि मादा बाघिन टी 123 का तो पूरा परिवार यहीं जन्मा और पला बढ़ा है। इसमें ये बात जरूर है कि बाघों ने कभी भी इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचाया है।

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