Japan Economy:मंदी के चपेट में जापान, इकोनॉमी चौथे से फिसलकर तीसरे पर पहुंची, जर्मनी हुआ आगे

Japan Economy: जापान की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादकता खो रही है। जापान की उम्रदराज आबादी और बच्चों के कम जन्म के कारण जनसंख्या में युवा आबादी की संख्या कम हो गई है।

JAPAN ECONOMY

मंदी की चपेट में जापान

Japan Economy:जापान की इकोनॉमी मंदी में चली गई है। और उसकी इकोनॉमी में लगातार दूसरी तिमाही गिरावट आई है। इसकी वजह से वह एक स्थान गिरकर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर पहुंच गई है, जर्मनी ने उसे पछाड़ते हुए तीसरा स्थान अपने नाम कर लिया है। विश्लेषकों का कहना है कि आंकड़े इस बात को रेखांकित करते हैं कि कैसे जापान की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादकता खो रही है। जापान की उम्रदराज आबादी और बच्चों के कम जन्म के कारण जनसंख्या में युवा आबादी की संख्या कम हो गई है।चीन ने 2010 में जापान से अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का तमगा छीन लिया था। तब जापान फिसलकर तीसरे स्थान पर आ गया था।अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी जापान के चौथे स्थान पर आने का अनुमान लगाया था।

ऐसे पिछड़ी जापान की इकोनॉमी

जापान की वास्तविक जीडीपी पिछले साल कुल 4500 अरब अमेरिकी डॉलर या लगभग 591000 अरब येन थी। जर्मनी ने पिछले महीने जीडपी (मुद्रा रूपांतरण के आधार पर) 4400 अरब अमेरिकी डॉलर या 45000 अरब अमेरिकी डॉलर होने की घोषणा की थी।वास्तविक जीडीपी पर कैबिनेट कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जापानी अर्थव्यवस्था 0.4 प्रतिशत की वार्षिक दर से सिकुड़ गई है जो पिछली तिमाही से शून्य से 0.1 प्रतिशत कम है। 2023 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद पिछले वर्ष की तुलना में 1.9 प्रतिशत बढ़ा।

जापान को ऐसे उठना पड़ा नुकसान

जापान और जर्मनी दोनों ने छोटे तथा मझोले आकार के व्यवसायों के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था का निर्माण किया। जापान के विपरीत जर्मनी ने मजबूत यूरो और मुद्रास्फीति से निपटने के लिए ठोस आर्थिक कदम उठाए। कमजोर येन भी जापान के लिए नुकसान की वजह बना।तोक्यो विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर तेत्सुजी ओकाजाकी ने कहा कि नवीनतम आंकड़े कमजोर होते जापान की वास्तविकताओं को दर्शाते हैं। इसके परिणामस्वरूप दुनिया में जापान की उपस्थिति कम होने की संभावना है।उन्होंने कहा kf मिसाल के तौर पर कई साल पहले जापान एक शक्तिशाली मोटर वाहन क्षेत्र होने का दावा करता था, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों के आगमन के साथ वह लाभ भी प्रभावित हुआ।ओकाजाकी ने कहा कि विकसित देशों और उभरते देशों के बीच अंतर कम हो रहा है। कुछ वर्षों में भारत का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में जापान से आगे निकलना निश्चित है।

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