यूक्रेन से लड़ाई को अब पुतिन उतारेंगे अपनी 'चिल्लर' आर्मी, स्कूलों में बच्चों को दी जा रही 'खतरनाक' ट्रेनिंग

Russia Ukraine War: इसमें 7 से 8 साल के बच्चों को युद्ध की ट्रेनिंग दी जा रही है। बच्चों को देखकर लग रहा है जैसे वो असली युद्ध में दुश्मन पर हमला करने के लिए निकल पड़े हैं। बच्चों के हाथों में नकली नहीं बल्कि असली वाले आधुनिक हथियार पकड़ाए गए हैं। छोटे-छोटे बच्चों को बस में भरकर मिलिट्री ट्रेनिंग के लिए जंगल में पहुंचाया जा रहा है।

Vladimir putin

रूस में बच्चों को दी जा रही हथियार चलाने की ट्रेनिंग।

Russia Ukraine War: यूक्रेन युद्ध के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अब 'चिल्लर' आर्मी उतारनेवाले हैं? रूस के छोटे-छोटे बच्चे अब यूक्रेन से युद्ध लड़ने जाएंगे? रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को डेढ़ साल से ज्यादा वक्त हो चुका है। इस युद्ध में यूक्रेन के साथ ही रूस को भारी नुकसान हुआ है। रूस के भी हजारों सैनिक युद्ध की भेंट चढ़ चुके हैं। ऐसे में पुतिन नहीं चाहते कि युद्ध जीतने के लिए उन्हें सैनिकों की कमी पड़े। इसलिए पुतिन के आदेश पर रूस में छोटे-छोटे स्कूली बच्चों को सेना की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी गई है। जिसके बाद रूस के स्कूलों में खेल के मैदान धीरे-धीरे मिलिट्री परेड के मैदान बनते जा रहे हैं। नर्सरी कक्षा के बच्चे आर्मी की यूनिफॉर्म पहन रहे हैं। रूस के स्कूलों में स्पोर्ट्स की जगह मिलिट्री ट्रेनिंग ने ले ली है। बच्चों को गोली चलाना और ग्रेनेड फेंकना सिखाया जा रहा है।

बच्चों को आधुनिक हथियार दिए गए

इसमें 7 से 8 साल के बच्चों को युद्ध की ट्रेनिंग दी जा रही है। बच्चों को देखकर लग रहा है जैसे वो असली युद्ध में दुश्मन पर हमला करने के लिए निकल पड़े हैं। बच्चों के हाथों में नकली नहीं बल्कि असली वाले आधुनिक हथियार पकड़ाए गए हैं। छोटे-छोटे बच्चों को बस में भरकर मिलिट्री ट्रेनिंग के लिए जंगल में पहुंचाया जा रहा है। फौजियों की स्टाइल में बच्चों के बाल काटे जा रहे हैं। बच्चों को वो सारी ट्रेनिंग दी जा रही है, जो सेना के जवानों को मिलती है। बच्चों को जंगल में रहने के लिए टेंट लगाना भी सिखाया जा रहा है।

स्कूली बच्चों के सिलेबस में बदलाव हुआ

इस वीडियो में स्कूली बच्चों को रात के अंधेरे में जंगल में ले जाया जा रहा है। कमांडो ट्रेनिंग की तरह उनके चेहरे में मिट्टी पोती जा रही है, ताकि जंगल से गुजरते वक्त वो दुश्मन की नजर में ना आ पाएं। इसके साथ बच्चों नींद पूरी करने के लिए पेड़ के सहारे लटक कर सोने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। रूस में स्कूली बच्चों को सिर्फ सेना की बेसिक ट्रेनिंग ही नहीं दी जा रही, बल्कि उन्हें असली हथियार चलाने भी सिखाए जा रहे हैं। रूस में बच्चों को सैनिक बनाने के लिए स्कूलों के सिलेबस में बदलाव कर दिया गया है। सेना के महिमामंडन करने वाली किताबों को कोर्स में शामिल किया जा रहा है। बच्चों के लिए मिलिट्री ट्रेनिंग जरूरी करने लिए पुतिन नए कानून पर हस्ताक्षर भी कर चुके हैं।

इसी साल अगस्त में रूस की सरकार ने बच्चों के लिए हिस्ट्री की नई किताब रिलीज की है। जिसका इंग्लिश में नाम है Fundamentals of Security and Defense of the Motherland। इस किताब को महज 5 महीने में तैयार किया गया और स्कूलों में हिस्ट्री के सिलेबस में जोड़ दिया गया। इस किताब में यूक्रेन पर रूस के हमले को सही ठहराया गया है।

  • रूस शुरुआत से ही यूक्रेन पर हमले को स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन कहता आया है, और यही बात अब रूस के स्कूलों में बच्चों को भी पढ़ाई जा रही है।
  • नई किताब में लिखा गया है कि यूक्रेन में 'डिमिलिटराइजेशन' और 'डीनाजीफिकेशन' की जरूरत थी।
  • किताब में बताया गया है कि 'डिमिलिटराइजेशन' का मतलब ऐसा इलाका तैयार करना होता है, जहां फौज की मौजूदगी नहीं होती या वहां शांति की वजह से सेना की जरूरत नहीं होती।
  • वहीं किताब में 'डिनाजीफिकेशन' का मतलब ये समझाया गया है कि हिटलर की लोगों को दबाने की जो मानसिकता था, उसके उलट लोगों को आजादी देना। ताकि वो खुद को सही मायनों में आजाद महसूस कर सकें।
  • इस किताब में 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया में रूस के कब्जे का भी जिक्र किया गया है। क्रीमिया पर हुए रूसी कब्जे को इलाके में शांति स्थापित करने वाला ऑपरेशन बताया गया है। इसमे कहा गया है कि रूसी सैनिकों ने क्रीमिया में शांति स्थापित की है।
रूस की सरकार का कहना है कि इस वक्त रूस के स्कूलों में मिलिट्री ट्रेनिंग से जुड़े करीब 10 हजार क्लब तैयार हो चुके हैं और मिलिट्री ट्रेनिंग लेने के लिए करीब ढाई लाख बच्चे इन क्लब से जुड़ चुके हैं।

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