Russia Ukraine war: महाजंग के एक साल पूरे, शह- मात के खेल में किसे क्या मिला
यूक्रेन के खिलाफ रूस जंग लड़ रहा है। एक साल पहले 24 फरवरी के दिन व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई छेड़ी थी। जानकार बताते थे कि तीन से चार दिन में नतीजा आ जाएगा। लेकिन लड़ाई लंबी खींच गई। सवाल यह है कि आखिर इससे किसको क्या हासिल हुआ।
रूस-यूक्रेन जंग के एक साल पूरे
पिछले एक साल में क्या हुआ
- 24 फरवरी 2022 को जंग का ऐलान हुआ, उसके तीन बाद यूक्रेन के डोनबास और लुहांस्क ने खुद को स्वतंत्र देश घोषित किया।
- पुतिन के जंग के ऐलान के क्रम में करीब 2 लाख रूसी सेना बेलारुस के रास्ते यूक्रेन की तरफ बढ़ी
- उत्तर पूर्व की तरफ से कीव पर चढ़ाई और पूर्व में डोनबास के जरिए खारकीव की तरफ रूसी सेना बढ़ी, क्रीमिया की तरफ जोपोरेज्जियास मारियापोल और ओडेसी की तरफ सेना बढ़ी
- यूक्रेन के प्रमुख शहरों और बंदरगाहों पर रूस ने कब्जा किया। लेकिन यूक्रेन ज्यादातर इलाकों को वापस पाने में कामयाब रहा।
- अगर नेटो देशों के अधिकारियों पर यकीन करें तो इस जंग में रूस को बड़ी क्षति हुई है, उसके करीब 1.80 लाख सैनिक और यूक्रेन के करीब 1 लाख सैनिक मारे या घायल हुए हैं।
- यूक्रेन ने 23 फरवरी यानी शुक्रवार को दावा किया कि उसने रूस के डेढ़ लाख सैनिकों को मार गिराया है।
- यूक्रेन ने अपने तरफ की जनहानि के बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं दी है।
तबाही की तस्वीरें
रूस की सेना ने कैपिटल कीव को निशाना बनाते रहे हैं। कीव में जिस बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है उसे देखकर स्वाभाविक तौर पर कोई भी दहल जाएगा।
खारकीव और मारियापोल में किस तरह से तबाही मची। यह तस्वीर उसकी तस्दीक करती हैं
रूस का कहना है कि उसने कभी भी असैन्य इलाकों को निशाना नहीं बनाया। लेकिन जेलेंस्की कहते हैं कि पुतिन हमेशा झूठ बोलते रहे हैं।
जेलेंस्की का कहना है कि जिस तरह से पुतिन ने अनधिकृत तौर पर उनके देश को निशाना बनाया उसका वो पूरजोर जवाब दे रहे हैं। किसी भी कीमत पर वो रूस की दासता स्वीकार करने वाले नहीं हैं।
क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि व्लादिमीर पुतिन सिर्फ इतना चाहते हैं कि इस तरह का भरोसा यूक्रेन की तरफ से मिले कि वो नेटो देशों का हिस्सा नहीं होगा। नेटो देशों का यूक्रेन की धरती पर आना रूस के लिए किसी भी मायने में सही नहीं होगा। अमेरिका और यूरोप के देश जिस तरह से यूक्रेन के कंधे पर बंदूक दाग रहे हैें उससे होने वाले असर को रूसी रणनीतिकार समझते हैं। रूस को यह पता है कि यूक्रेन तो सिर्फ मुखौटा है असली लड़ाई तो नेटो के मुल्क ही लड़ रहे हैं।
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