Som Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi, Muhurat: आज है सोम प्रदोष व्रत, जान लें पूजा करने का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि
Som Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi And Shubh Muhurat (सोम प्रदोष व्रत विधि): भगवान शिव के भक्तों के लिए प्रदोष व्रत बेहद खास होता है। सोमवार में पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत और चंद्र प्रदोषम के नाम से जाना जाता है। यहां से आप सोम प्रदोष व्रत के पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि जान सकते हैं।

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Som Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi And Shubh Muhurat (सोम प्रदोष व्रत विधि): प्रदोष व्रत हर माह में दो बार पड़ता है। हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। वहीं, साल 2025 में जून माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का व्रत 23 जून, 2025 सोमवार के दिन रखा जाएगा इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत भी कहा जा रहा है। इस व्रत को करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति खराब होती है वो भी इस व्रत को रखते हैं। इतना ही नहीं, संतान प्राप्ति के लिए भी ये व्रत रखा जाता है। यहां से आप प्रदोष व्रत के पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि जान सकते हैं।
सोम प्रदोष व्रत पूजा का मुहूर्त-
त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 23 जून को अर्घ्यरात्रि में 1 बजकर 21 मिनट पर होगी। ऐसे में त्रयोदशी तिथि 23 जून रात 10 बजकर 5 मिनट पर होगी। सोम प्रदोष व्रत जून में 23 जून को रखा जाएगा और इस दिन प्रदोष काल का समय शाम 6 बजकर 38 मिनट से लेकर 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इस दौरान पूजा की जानी चाहिए।
सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि-
प्रदोष व्रत रखने वाले लोगों को सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए। इसके बाद स्नान करके साफ कपड़े पहनकर भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए। इस दिन भगवान शिव की पूजा बेल पत्र, अक्षत, धूप, गंगा जल से करें। ये व्रत निर्जला या फलाहारी भोजन के साथ रखा जाता है। इस व्रत में शाम की पूजा सबसे अहम होती है। इसलिए इस दिन शाम के समय में दोबारा से स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। फिर गाय के गोबर से मंडप तैयार करें और पांच अलग-अलग तरह के रंगों की मदद से इस मंडप में एक रंगोली बना लें। फिर उत्तर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं। इसके बाद शिव शंकर भगवान के ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए उन्हें जल चढ़ाएं। फिर प्रदोष व्रत की कथा सुनें। कथा के बाद आरती करें। कुछ लोग शाम की पूजा के बाद अपना व्रत खोल लेते हैं तो वहीं कई श्रद्धालु अगले दिन अपना उपवास खोलते हैं।
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