History of Kachori: इस समाज को दिया जाता है कचौड़ियों की खोज करने का श्रेय, हर 100 Km पर मिलता है अलग टेस्ट
Kachori ka Itihas, Kachori Recipe and History in Hindi: कचौड़ी एक लोकप्रिय भारतीय नाश्ता है जो मैदा से बनी होती है और इसके अंदर दाल के मसाले भरे जाते हैं। इसे डीप फ्राई किया जाता है और यह बाहर से खस्ता और अंदर से नरम होती है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर कचौड़ी की शुरुआत कैसे हुई और क्या है इसका इतिहास।

Kachori.
Kahani Kachori Ki, Kachori Recipe History in Hindi: कचौड़ी, एक लोकप्रिय और स्वादिष्ट भारतीय स्नैक है जिसका नाम सुनते ही सभी के मुंह में पानी आ जाता है। चटपटे स्वाद की वजह से इसे भारत के फेवरेट स्नैक्स में से एक माना जाता है। कचौड़ी खाने में जितना स्वादिष्ट लगता है, उतना ही दिलचस्प इसका इतिहास है। समय के साथ कचौड़ी के रंग रूप में भी काफी बदलाव आया है। लेकिन इसका इतिहास सदियों पुराना बताया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कहां से आई कचौड़ी, कितने प्रकार की होती है कचौड़ी।
कैसे हुई कचौड़ी की शुरुआत
चटपटे और जायकेदार कचौड़ी का इजाद करने का श्रेय मारवाड़ी समुदाय के लोगों को दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कचौरी की शुरुआत भारत के राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में हुई थी। ऐसा माना जाता है कि मारवाड़ी समुदाय, जो व्यापार और वाणिज्य में अग्रणी थे, ने इसे बनाया था। चूंकि प्राचीन समय में मुख्य व्यापार मार्ग मारवाड़ से होकर गुजरते थे, इसलिए मारवाड़ियों के पास बेहतरीन सामग्री उपलब्ध थी।
मारवाड़ी व्यापारियों को काम के सिलसिले में अक्सर इधर उधर जाना पड़ता था, ऐसे में कचौड़ी को उन्होंने सबसे शानदार नाश्ते के रूप में बनाया, जो लंबी दूरी की यात्रा के वक्त पेट को लंबे समय तक भरा रह सकता है। यह कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का बेहतरीन सोर्स भी माना जाता था। कचौड़ी को बनाने के लिए ठंडे मसालों जैसे धनिया और सौंफ का इस्तेमाल किया जाता था। समय के साथ, कचौड़ी पूरे भारत में लोकप्रिय हो गई और हर क्षेत्र ने अपनी स्थानीय विविधताएं जोड़ीं। आज, आपको बाजार में विभिन्न प्रकार की कचौड़ी मिलेगी, जिनमें दाल कचौड़ी, प्याज कचौड़ी, मावा कचौड़ी और राज कचौड़ी काफी फेमस है।
कचौड़ी से जुड़ी रोचक बातें
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि कचौड़ी का प्रारंभिक रूप 7वीं शताब्दी के जैन ग्रंथों में कच्छारी के रूप में भी है, जो कि दाल से भरी हुई एक फूली हुई तली हुई हुआ करती थी। वहीं 12वीं शताब्दी के संस्कृत पाठ मानसोल्लास में भी एक ऐसे व्यंजन का उल्लेख है जो कचौड़ी जैसा दिखता है।
इसके अलावा प्रसिद्ध जीवनी अर्धकथानक के लेखक बनारसीदास ने 1613 में इंदौर में कचौड़ी खरीदने का उल्लेख किया है, जिससे पता चलता है कि यह व्यंजन उस समय भी मौजूद था। यह भी माना जाता है कि मारवाड़ी समुदाय, जो व्यापार के लिए दूर-दूर तक यात्रा करते थे, उन्होंने इस स्नैक को बनाया और लोकप्रिय बनाया क्योंकि यह ले जाने में आसान और लंबे समय तक पेट भरने वाला होता था।
कचौड़ी किन राज्यों में खाई जाती है
समय के साथ कचौड़ी ने उत्तर भारत के कई राज्यों में अपनी छाप छोड़ दी। आज के समय में अलग अलग राज्यों में अलग अलग प्रकार की कचौड़ी मिलती है। तो चलिए जानते हैं भारत में किन किन राज्यों में कौन सी कचौड़ी लोगकप्रिय है।
राजस्थान
- कचौड़ी की जन्मभूमि होने के नाते, यहां कई प्रकार की कचौड़ियां मिलती हैं। राजस्थान में मिलने वाली प्रमुख कचौड़ियां हैं :
- प्याज की कचौड़ी (प्याज की भरावन वाली)
- दाल कचौड़ी (दाल की भरावन वाली)
- मावा कचौड़ी (मीठी, मावा और सूखे मेवों से भरी)
- कोटा की कचौड़ी अपने मसालेदार स्वाद और हींग की खुशबू के लिए जानी जाती है।
उत्तर प्रदेश
यहां कचौड़ी अक्सर आलू की सब्जी के साथ परोसी जाती है और यहां के लोग नाश्ते में कचौड़ी खाना पसंद करते हैं। बनारस की कचौड़ी गली इसके लिए प्रसिद्ध है। मथुरा और वृंदावन में बेड़मी पूरी भी काफी फेमस है। बेड़मी को भी कचौड़ी का ही एक रूप माना जाता है तो थोड़ा पतला और दाल की हल्की भरावन लिए होता है।
दिल्ली
यहां राज कचौड़ी लोग बड़े शौक से खाते हैं। राज कचौड़ी को उबले आलू, अंकुरित दालें, दही, चटनी और सेव भरकर परोसा जाता है। इसका स्वाद काफी अनोखा होता है।
गुजरात
यहां की लीलवा कचौड़ी सर्दियों में बनती है और इसमें हरी मटर, नारियल और मसाले भेर होते हैं। यहां मीठी और मसालेदार कचौड़ी भी मिलती है जिसे दही और उबले आलू के साथ परोसा जाता है।
बंगाल
कचौड़ी सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं बल्कि बंगाल में भी काफी लोकप्रिय है। यहां की कचौड़ी (जिसे 'कोचुरी' भी कहा जाता है) थोड़ी नरम और छोटी होती है और इसे अक्सर आलू और मटर की करी के साथ खाया जाता है। मटर की भरावन वाली 'कोराइशुटी कोचुरी' सर्दियों में खासकर बनाई जाती है।
भारत में मिलती है अलग अलग प्रकार की कचौड़ी
- खस्ता कचौड़ी : खस्ता कचौड़ी सबसे आम प्रकार की कचौड़ी है, जो अपनी कुरकुरेपन के लिए जानी जाती है। इसमें आमतौर पर दाल भरी जाती है।
- प्याज की कचौड़ी : जैसा कि नाम से पता चलता है कि ये कचौड़ी प्याज से तैयार की जाती है। इसमें मसालेदार प्याज भरी होती है और यह राजस्थान में बहुत लोकप्रिय है।
- आलू की कचौड़ी : आलू की कचौड़ी भी अपने खास स्वाद के लिए दुनियाभर में लोकप्रिय है। इसमें मसालेदार आलू भरे होते हैं। उत्तर भारत के कई राज्यों में इसे बड़े चाव के साथ खाय जाता है।
- मटर की कचौड़ी : यह हरी मटर की मसालेदार भरावन से बनाई जाती है और सर्दियों में विशेष रूप से खाई जाती है।
- मावा कचौड़ी : यह एक मीठे प्रकार की कचौड़ी है जिसमें मावा (खोया) और सूखे मेवों की भरावन होती है और इसे चीनी की चाशनी में डुबोया जाता है। यह जोधपुर की सबसे लोकप्रिय डिशेज में से एक है।
- राज कचौड़ी : यह एक बड़ी कचौड़ी है जिसे दही, विभिन्न प्रकार की चटनी, सेव और अनार के दानों के साथ परोसा जाता है। इसे अक्सर चाट के रूप में खाया जाता है।
- कोटा कचौड़ी : यह राजस्थान के कोटा की सबसे लोकप्रिय कचौड़ी है। जो अपने मसालेदार स्वाद और हींग की विशिष्ट खुशबू के लिए जानी जाती है।
कचौड़ी की पारंपरिक रेसिपी
- 2 कप मैदा
- 1/2 चम्मच नमक
- 3 बड़े चम्मच तेल या घी (मोयन के लिए)
- पानी, आवश्यकतानुसार
- भरावन: (यह एक सामान्य मूंग दाल की भरावन है, अन्य प्रकार की भरावन भी बनती है)
- 1/2 कप मूंग दाल, कम से 2 घंटे या रात भर के लिए भिगो दें
- 1 चम्मच तेल या घी
- 1 चम्मच सौंफ, दरदरी कुटी हुई
- 1/2 चम्मच जीरा
- चुटकी भर हींग
- 1/4 चम्मच हल्दी पाउडर
- 1 चम्मच लाल मिर्च पाउडर (स्वादानुसार)
- 1 चम्मच धनिया पाउडर
- 1/2 चम्मच गरम मसाला
- 1/2 चम्मच अमचूर पाउडर
- 1/4 चम्मच अदरक पाउडर (सोंठ)
- 1/2 चम्मच नमक (स्वादानुसार)
- 2 बड़े चम्मच पानी
कैसे बनाएं कचौड़ी | Dal Kachori Recipe in Hindi
- आटा तैयार करने के लिए एक बड़े बर्तन में मैदा लें। फिर इसमें तेल या घी डालकर अच्छी तरह मिलाएं। आप इसमें थोड़ा सा नमक भी मिला सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि मैदा में मोयन अच्छी तरह मिल जाए।
- धीरे-धीरे पानी डालते हुए सख्त और चिकना आटा गूंथ लें। आटे को गीले कपड़े से ढककर 15-20 मिनट के लिए रख दें।
- भरावन के सबसे पहले रात भर के लिए मूंग दाल को भिगोकर छोड़ दें। भीगी हुई मूंग दाल को पानी से निकालकर मिक्सर में दरदरा पीस लें (पानी न डालें)।
- एक पैन में तेल या घी गरम करके इसमें सौंफ, जीरा और हींग डालें। जब वे चटकने लगें तो हल्दी पाउडर डालकर तुरंत पिसी हुई दाल डाल दें।
- मध्यम आंच पर लगातार चलाते हुए 2-3 मिनट तक भूनें जब तक कि दाल का रंग थोड़ा बदल न जाए।
- आंच बंद कर दें और लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, गरम मसाला, अमचूर पाउडर, अदरक पाउडर और नमक डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
- कचौड़ी बनाने के लिए पहले आटे को हल्का सा मसलकर इसे 12 बराबर भागों में बांट लें। एक भाग लें और उंगलियों से किनारों को पतला करते हुए 3 इंच का गोल आकार दें ।
- कटोरी जैसा आकार बनाएं और बीच में 1 चम्मच भरावन भरें। किनारों को एक साथ लाकर भरावन को पूरी तरह से ढक दें और अच्छी तरह से सील कर दें। हल्के हाथों से दबाकर थोड़ा चपटा कर लें। ध्यान रहे कि कचौड़ी फटे नहीं।
- कचौड़ी तलने के लिए एक कड़ाही में मध्यम आंच पर तेल गरम करें।
- जब तेल गर्म हो जाए तो कचौड़ियों को मध्यम-धीमी आंच पर तलें। एक बार जब वे फूलने लगें तो धीरे-धीरे पलट दें।
- दोनों तरफ से सुनहरा भूरा और कुरकुरा होने तक तलें। कचौड़ियों को निकालकर अतिरिक्त तेल सोखने के लिए कागज के पेपर पर रखें।
कैसे बनाएं हेल्दी कचौड़ी
इन दिनों लोगों में हेल्थ को लेकर काफी ज्यादा जागरूकता बढ़ी है। खाने के शौकीन सेहत को ध्यान में रखते हुए किसी भी चीज का सेवन करते हैं। ऐसे में अगर आप एक फिटनेस फ्रीक हैं, लेकिन कचौड़ी का जायका चखना चाहते हैं तो घर पर हेल्दी कचौड़ी बना सकते हैं। कचौड़ी बनाने के लिए आप मैदा की जगह आटे का इस्तेमाल कर सकते है। इसके अलावा आप इसे डीप फ्राई करने की बजाय एयर फ्रायर, माइक्रोवेव का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह आपको कचौड़ी का जायका भी मिल सकेगा और फिटनेस पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।
कचौड़ी खाएं तो ये भी रखें ध्यान
आप कचौड़ी को नाश्ते, पार्टी फूड, किसी खास मौके पर मजे से खा सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि ये गरिष्ठ भोजन है। बीपी, शुगर की समस्या होने पर इससे थोड़ा ही खाएं। रात के समय कचौड़ी खाने से बचें। अगर कचौड़ी खाने के बाद आपको भारीपन हो रहा हो तो नमक, जीरे का पानी पिएं।
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शुरुआती शिक्षा बिहार के मुजफ्फरपुर से हुई। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए नोएडा आय...और देखें

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