बिहार का वो जेल ब्रेक कांड,जिस पर बनी वेब सीरीज, हिल गया था पूरे देश

Jehanabad of Love And War Web Series: साल 2005 में सर्दियों की उस रात में करीब नौ बजे 1000 नक्सलियों ने जहानाबाद जेल पर बम, बंदूकों से हमला कर दिया। रात में गोलियों की तड़तड़ाहत और बमों के धमाकें से पूरा जहानाबाद थर्रा उठा था।

jehanabad jail

जहानाबाद जेल ब्रेक कांड (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Jehanabad of Love And War Web Series:बिहार को लेकर OTT पर आई वेब सीरीज जहानाबाद ऑफ लव एंड वार इन दिनों चर्चा में हैं। वेब सीरीज साल 2005 में हुए बिहार के सबसे बड़े जेल ब्रेक कांड पर बनाई गई है। उस समय करीब 1000 माओवादियों ने रात के अंधेरे में जेल पर हमला कर दिया था। और वे अपने कई साथियों को छुड़ा ले गए थे। यह जेल ब्रेक कांड बिहार में कानून व्यवस्था के खत्म होने का सबूत भी बन गया था। क्योंकि जहानाबाद, बिहार की राजधानी पटना से केवल 50 किलोमीटर की दूरी पर था। माओवादियों की इस हमले में उनके कई साथी के साथ 300 से ज्यादा कैदी फरार हो गए थे।

उस रात क्या हुआ था

बात 15 नवंबर 2005 की है। सर्दियों की उस रात में करीब नौ बजे एक हजार नक्सलियों ने जहानाबाद जेल पर बम, बंदूकों से हमला कर दिया। रात में गोलियों की तड़तड़ाहत और बमों के धमाकें से पूरा जहानाबाद थर्रा उठा था। नक्सलियों ने सुरक्षाकर्मी और जेल में बंद कैदी की हत्या तो की ही प्रमुख माआोवादी ने अजय कानू समेत सैकड़ों कैदियों को छुड़ाकर फरार हो गए। इस दौरान जहानाबाद पुलिस लाइन को नक्सलियों ने चारों तरफ से घेरे रखा था ताकि पुलिसकर्मियों को कोई मदद न मिल सके। इस जेल ब्रेक कांड में 300 से ज्यादा कैदी फरार हो गए थे।

राज्य में राष्ट्रपति शासन था

साल 2005 के विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू था। उस वक्त बूटा सिंह राज्यपाल थे। ऐसे में जेल पर हमला पुलिस बल के मनोबल के लिए बेहद प्रतिकूल था। ऐसे में राज्य की कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठे थे। और इसी साल बाद राज्य में नीतीश कुमार के साथ में सत्ता में आई और लालू प्रसाद यादव की 15 साल पुरानी सरकार जगह ली थी।

माओवादी आंदोलन का केंद्र

जहानाबाद उस वक्त माओवादी आंदोलन का केंद्र था। माओवादी का आरोप था बिहार में जमीदारों ने उनका शोषण किया है। और सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर पा रही, इसलिए हम जबरन अपना हक लेंगे। वहीं जमींदारों का आरोप था कि सरकार माओवादियों से उनकी रक्षा नहीं कर पा रही है। इसके लिए उन्होंने खुद की निजी सेना बना ली थी। जिसमें रणवीर सेना सबसे ताकतवर मानी जाती थी। बिहार में यह वर्ग संघर्ष काफी लंबे समय तक उसकी पहचान बना रहा।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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